एक नए अध्ययन में कहा गया है कि, निचले तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों को भविष्य में चक्रवातों से और भी अधिक खतरा होगा। जहां प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र सुरक्षा प्रदान करते हैं, लेकिन हाल के सालों में यह सुरक्षा कम हो गई है और इसमें लगातार गिरावट जारी रहने की आशंका जताई गई है। यह अध्ययन ईटीएच ज्यूरिख की अगुवाई में शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम द्वारा किया गया है।
इडाई चक्रवात अफ्रीका और दक्षिणी गोलार्ध में अब तक आए सबसे भीषण उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में से एक था। लंबे समय तक चलने वाले तूफान ने 2019 में मोजाम्बिक, जिम्बाब्वे और मलावी में विनाशकारी क्षति और मानवीय संकट पैदा किया। जिसके कारण 1,500 से अधिक लोगों की जान चली गई और कई लोग लापता हो गए।
जैसे-जैसे जलवायु बदलती रहेगी, ऐसे तूफान और तेज होते जायेंगे। हालांकि, तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों और उनके आसपास के प्राकृतिक सुरक्षात्मक पारिस्थितिकी तंत्र के बीच अतीत, वर्तमान और भविष्य के संबंध में जानकारी नहीं है।
एक मॉडल को लेकर किए गए अध्ययन में, ईटीएच शोधकर्ताओं ने कई प्रश्नों की जांच की, जिनमें वर्तमान में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों से कितने लोगों को खतरा है, मैंग्रोव जंगलों, चट्टानों या नमक के दलदल जैसे प्राकृतिक तटीय आवासों की सुरक्षात्मक सेवाओं से कितने लोगों को फायदा होता है? भविष्य में कितने लोग खतरे में होंगे क्योंकि तापमान में वृद्धि जारी रहेगी और कितने लोगों को आवासों की बहाली करके संरक्षित किया जा सकता है?
जर्नल एनवायर्नमेंटल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित मॉडल गणना के अनुसार, वर्तमान में दुनिया भर के निचले तटीय क्षेत्रों में रहने वाले सालाना औसतन 6.7 करोड़ लोगों को चक्रवातों से खतरा है। इन लोगों की सबसे बड़ी संख्या चीन में है, जहां हर साल चार करोड़ लोग खतरे में होते हैं। हर साल जापान के तटीय इलाकों में 1.1 करोड़ और फिलीपींस के 90 लाख तटीय निवासियों को भी चक्रवातों से खतरा होता है।
यदि जलवायु बदलाव इसी तरह जारी रहा, तो सभी क्षेत्रों में चक्रवातों से खतरे में पड़ने वाले तटीय समुदायों के लोगों की संख्या 2050 तक 40 फीसदी बढ़कर हर साल लगभग 9.4 करोड़ हो सकती है। यह आज की तुलना में हर साल 2.73 करोड़ अधिक है। इन गणनाओं में जनसंख्या वृद्धि या समुद्र के बढ़ते स्तर को शामिल नहीं किया गया है।
प्राकृतिक सुरक्षा छिन्न-भिन्न हो रही है
मैंग्रोव वन, चट्टानें, समुद्री घास या नमक के दलदल जैसे प्राकृतिक तटीय आवास ज्वारीय लहरों को तोड़कर, हवा के झोंकों को धीमा करके, या बाढ़ के पानी को एक धारण जलाशय की तरह अवशोषित करके उष्णकटिबंधीय चक्रवातों से अपने पास रहने वाले लोगों की रक्षा कर सकते हैं।
यह सुरक्षा वर्तमान में चक्रवात के खतरे वाले 21 फीसदी लोगों को फायदा पहुंचाती है। हालांकि, सुरक्षा का स्तर एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में बहुत अलग होता है। कैरेबियन में वर्जिन द्वीप समूह में, खतरे वाले इलाकों में रहने वाले 92 फीसदी लोग प्राकृतिक तट-रेखाओं द्वारा संरक्षित हैं, जबकि वियतनाम में यह आंकड़ा केवल 11 फीसदी है।
इसके अलावा, पिछले 30 वर्षों में सुरक्षात्मक प्रभाव में कमी आई है। आज, 1992 की तुलना में हर साल 14 लाख अतिरिक्त लोग असुरक्षित हैं और चक्रवातों के कारण खतरे में हैं। यह मुख्य रूप से पारिस्थितिकी तंत्र के विनाश के कारण है। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि 2050 तक प्राकृतिक तटों की सुरक्षा में गिरावट जारी रहेगी।
अध्ययन के हवाले से प्रमुख अध्ययनकर्ता सारा हल्सेन बताती हैं कि, इसी बीच, हाल के दशकों में तटीय इलाकों में जनसंख्या घनत्व बढ़ गया है, और उन हिस्सों में तो और भी अधिक बढ़ गया है जहां सुरक्षात्मक पारिस्थितिकी तंत्र अब मौजूद नहीं हैं, जो कि एक चिंताजनक घटनाक्रम है।
सुरक्षा में कमी का एक अन्य कारण इस बात से जुड़ा हुआ है कि, कैसे जलवायु परिवर्तन से चक्रवातों की घटना में बदलाव हो सकता है, भविष्य में, ये उन जगहों पर दिखाई देंगे जहां कुछ साल पहले इनकी उम्मीद भी नहीं की गई थी।
सुरक्षा को चाक-चौबंद करने का समय
सह-अध्ययनकर्ता चैहान एम. क्रॉफ कहते हैं कि, इससे मौजूदा तटीय आवासों की रक्षा करना बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है। नष्ट हुए आवासों को पुनर्स्थापित करना भी महत्वपूर्ण है, उदाहरण के लिए मैंग्रोव का रोपण करना आदि।
मैंग्रोव वनों को बहाल करके लोगों को चक्रवातों के खिलाफ बेहतर सुरक्षा प्रदान करने की क्षमता विशेष रूप से कैरेबियन जैसे - बरमूडा या त्रिनिदाद और टोबैगो और प्रशांत क्षेत्र में पापुआ न्यू गिनी में द्वीप राज्यों में बहुत अच्छी है। बरमूडा में, चक्रवातों से खतरे में रहने वाले 100 लोगों में से 40 को ऐसे उपायों से फायदा होगा।
क्रॉफ के मुताबिक, फिर से बहाल किए गए आवासों द्वारा प्रदान किए गए लाभ अक्सर प्राकृतिक आवासों द्वारा प्रदान किए गए लाभों से कम होते हैं। इसका मतलब है कि संरक्षण को बहाली से अधिक प्राथमिकता दी जाती है।
अध्ययनकर्ता ने बताया कि, यह अध्ययन जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में, जलवायु परिवर्तन के लिए पुनर्स्थापन पहल और अनुकूलन की योजना बनाने के लिए एक आधार प्रदान करता है, जो इस बात पर प्रकाश डालता है कि तटीय क्षेत्र किस प्रकार सुरक्षा प्रदान करते हैं, इसके लिए कौन से क्षेत्र अहम हैं।