सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश को बरकरार रखते हुए अवैध कोयला खनन मामले में मेघालय सरकार को 100 करोड़ रुपए का जुर्माना भरने का आदेश दिया है।
जस्टिस अशोक भूषण और केएम जोसेफ की पीठ ने राज्य प्राधिकरणों को आदेश दिया है कि अवैध तरीके से खनन किए कोयले को कोल इंडिया लिमिटेड को सुपुर्द करें, जो कि इस कोयले की नीलामी कर हासिल होने वाले फंड राज्य सरकार को वापस करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में मेघालय के विभिन्न स्थानों को कोयला परिवहन के लिए मांगी जा रही मंजूरी देने से इंकार कर दिया था। हालांकि पीठ ने निजी और सामुदाय के स्वामित्व वाली भूमि पर खनन की मंजूरी यह कह कर दी थी कि इससे पहले संबंधित प्राधिकरणों से मंजूरी हासिल करनी होगी। एनजीटी ने मेघालय सरकार पर चार जनवरी 2019 को अवैध कोयला खनन मामले में यह जुर्माना लगाया था।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने यह हामी भर ली थी कि राज्य में कई जगह अवैध खनन हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश मेघालय में खनन के एक बड़े हादसे के छह माह बीत जाने के बाद आया है।
13 दिसंबर 2018 में हुए इस हादसे में 15 खनन मजदूर एक अवैध खान में दब कर मर गए थे। यह खान पूर्वी जैंतिया हिल्स के कसान में स्थित थी। यह खान जंगल के भीतर 3.7 किलोमीटर मौजूद हुआ। यह हादसा तब हुआ, जब वहां पास की नदी लिटन का पानी इस खान में घुस गया।
भारतीय फौज की ओर से बचाव अभियान भी चलाया गया, लेकिन केवल दो शवों को ही बाहर निकाला जा सका था। इस खान को वहां चूहे का बिल की तरह माना जाता है, जिसे कोयला खान के भीतर तक पहुंचने के लिए बनाया जाता है। ये चूहे के बिल जैसी खानें पूरे मेघालय में फैली हुई हैं, लेकिन ज्यादातर जैंतिया हिल्स में हैं।