नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने अधिकारियों से झारखंड के धनबाद जिले में हो रहे अवैध रेत खनन के आरोपों पर जवाब देने का आदेश दिया है। 24 मई, 2024 को एनजीटी द्वारा दिए इस आदेश में झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और धनबाद के उपायुक्त को कोलकाता में पूर्वी बेंच के समक्ष अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए कहा गया है। इस मामले में अगली सुनवाई 26 जुलाई 2024 को होनी है।
यह आवेदन 12 अप्रैल, 2024 को लाइवहिंदुस्तान.कॉम में छपी एक खबर के आधार पर एनजीटी ने स्वतः संज्ञान लेते हुए पंजीकृत किया है। इस खबर में कहा गया है कि धनबाद में रेत क्षेत्रों का उपयोग माफियाओं द्वारा वर्षों से अवैध रूप से किया जा रहा है। खबर के मुताबिक इस साल भी स्थिति वैसी ही रहेगी, क्योंकि वहां रेत खनन के लिए नीलामी न करना इसकी सबसे बड़ी वजह है।
खबर में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि माफिया अवैध खनन के जरिए रेत बेचकर चांदी काट रहे हैं। आरोप है कि अधिकारियों को स्थिति के बारे में पता है लेकिन उन्होंने फिर भी कार्रवाई नहीं की है। खबर में कहा गया है कि श्रेणी-दो के 16 से अधिक रेत क्षेत्रों पर इन माफियाओं का कब्जा है, जो अवैध खनन कर रहे हैं। खबर में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि बराकर नदी के किनारे करीब आठ स्थानों पर अवैध खनन हो रहा है, जहां नदी से रेत इकट्ठा करने के लिए नावों की मदद ली जा रही है।
अदालत का कहना है कि इस खबर में पर्यावरण नियमों, विशेष रूप से सतत रेत खनन दिशानिर्देश, 2016 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के पालन को लेकर महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए गए हैं।
करनाल में तालाब पर अवैध अतिक्रमण के मामले में एनजीटी ने दिए जांच के निर्देश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हरियाणा के करनाल में एक तालाब पर अवैध अतिक्रमण के मामले में दर्ज शिकायत पर सुनवाई की। ट्रिब्यूनल ने 24 मई, 2024 को जिला प्रशासन से मामले की जांच करने को कहा है। साथ ही अदालत ने मुद्दे की जांच के लिए करनाल के जिला मजिस्ट्रेट और हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित अन्य अधिकारियों की एक संयुक्त समिति के गठन का भी निर्देश दिया है।
कोर्ट के निर्देशानुसार यह समिति साइट का दौरा करेगी और प्रासंगिक जानकारी एकत्र करेगी। साथ ही यदि वहां किसी प्रकार का अतिक्रमण पाया जाता है या तालाब में तरल या ठोस कचरा फेंकते पाया जाता है, जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है तो ट्रिब्यूनल ने नियमों के तहत उल्लंघनकर्ता के खिलाफ उचित तीन महीनों के भीतर उचित कार्रवाई करने को कहा है।
यह मामला एक तालाब पर अवैध कब्जे से जुड़ा है। इस तालाब को हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण अधिनियम, 2020 द्वारा एक विशेष आईडी नंबर भी दिया गया है।
आरोप है कि कुछ समृद्ध लोगों ने तालाब के बड़े हिस्से पर अवैध कब्जा कर वहां मकान बना लिया है। तालाब पहले चार से पांच एकड़ में फैला था, लेकिन वो अब सिर्फ एक एकड़ का रह गया है। अधिकारियों ने भी इस बारे में कुछ नहीं किया। इतना ही नहीं तालाब में सीवेज और कचरा डाला जा रहा है, जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है और लोग बीमार पड़ रहे हैं।
ऐसे में एनजीटी ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश हिंच लाल तिवारी बनाम कमला देवी और अन्य का जिक्र करते हुए कहा कि तालाबों की देखभाल जिला प्रशासन का काम है। किसी को भी उन पर कब्जा करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। तालाब महत्वपूर्ण हैं और इन्हें संरक्षित करने की जरूरत है। इसलिए, जिला प्रशासन को तालाब को बहाल करने और किसी भी अतिक्रमण को रोकने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए।
उचित सर्वेक्षण के बिना चंडीगढ़ में नहीं किया जाना चाहिए ‘एन चो’ का पुनर्निर्माण, पैदा हो सकता है बाढ़ का खतरा
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 24 मई, 2024 को उचित सर्वेक्षण के बिना चंडीगढ़ में ‘एन चो’ के पुनर्निर्माण के आरोपों के संबंध में एक संयुक्त समिति से तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। इस समिति में एसएएस नगर मोहाली के जिला मजिस्ट्रेट, पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और चंडीगढ़ के उपायुक्त के साथ अन्य सदस्य शामिल होंगें। ट्रिब्यूनल ने समिति से मामले की जांच करने और साइट का दौरा करने के साथ प्रासंगिक जानकारी एकत्र करने को कहा है। यह समिति दो महीनों के भीतर एक तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी, जैसा कि अदालत ने निर्देश दिया है।
गौरतलब है कि ‘एन-चो’ चंडीगढ़ में जल निकासी का एक चैनल है, जो इसके केंद्र से होकर घग्गर नदी में मिल जाता है।
इस मामले में मोहाली के एसएएस नगर के मनौली गांव के रहने वाले दिलदीप सिंह बसी ने ट्रिब्यूनल को एक पत्र याचिका भेजी थी। इस शिकायत के मुताबिक पंजाब का आवास और शहरी विकास विभाग भूमि और जल प्रवाह का उचित सर्वेक्षण किए बिना 'एन चो' के पुनर्निर्माण के लिए कदम उठा रहा है। इसकी वजह से सम्बंधित क्षेत्र में गंभीर पारिस्थितिक और पर्यावरणीय समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
'एन चो' का पुनर्संरेखण सेक्टर 82 में ग्रेटर मोहाली क्षेत्र विकास प्राधिकरण के करीब है। इसे एक सिंचाई परियोजना के रूप में वर्गीकृत किया गया है, लेकिन इसे उचित सर्वेक्षण के बिना आगे नहीं बढ़ना चाहिए। यह भी कहा गया है कि चंडीगढ़ की सुखना झील का पानी और शहर का तूफानी पानी दोनों एन-चो में बहते हैं। ऐसे में अवैध पुनर्संरेखण की अनुमति देने से बाढ़ का खतरा पैदा हो सकता है।