असम की जटिंगा नदी में अवैध खनन, आरोपों की जांच के लिए समिति गठित

दावा है कि पर्यावरण नियमों, कानूनों और दिशानिर्देशों को ताक पर रख जटिंगा नदी पत्थर खदान में अवैध रूप से बहुत ज्यादा खनन किया गया, जिससे नदी दूषित हो रही है
असम की जटिंगा नदी में अवैध खनन, आरोपों की जांच के लिए समिति गठित
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की पूर्वी बेंच ने जटिंगा नदी पत्थर खदान में चल रहे अवैध खनन के आरोपों की जांच के लिए चार सदस्यीय समिति के गठन का आदेश दिया है। मामला असम के कछार जिले का है।

नौ जुलाई, 2024 को दिए इस आदेश में अदालत ने समिति से साइट का द्वारा करने को कहा है। साथ ही समिति को अपने निष्कर्षों के साथ इस मामले में क्या कार्रवाई की गई, उसपर एक रिपोर्ट हलफनामे के साथ सबमिट करने का निर्देश दिया है। इस मामले में कछार के जिला मजिस्ट्रेट नोडल एजेंसी होंगें।

याचिका में आरोप लगाया है कि जटिंगा नदी पत्थर खदान में अवैध रूप से खनन किया गया। दावा है कि वहां पर्यावरण नियमों, कानूनों और दिशानिर्देशों को ताक पर रख अवैध रूप से सीमा से बहुत ज्यादा खनन किया गया है।

याचिका में यह भी दावा किया गया है कि वहां अवैध खनन के लिए बड़ी-बड़ी मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे नदी प्रदूषित हो रही है, जो आसपास रहने वाले लोगों के लिए पीने के पानी का प्राथमिक स्रोत है।

यह भी आरोप है कि "स्टोन महल खनन योजना" के तहत खनन अनुबंध के दौरान केवल दो मीटर तक खुदाई की अनुमति है, लेकिन खदान संचालक 20 मीटर की गहराई से भी अधिक खुदाई कर रहे हैं।

ऑपरेटर सही वन परमिट के बिना अनधिकृत मशीनों और 10-पहिया डंपरों का उपयोग करके बड़े निर्माण परियोजनाओं को अवैध रूप से सामग्री की आपूर्ति कर रहे हैं। इसकी वजह से राज्य के खजाने को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है।

युवा बच्चियों को मासिक धर्म संबंधी स्वच्छता उत्पाद उपलब्ध कराने से जुड़ी राष्ट्रीय नीति पर हो रहा है विचार

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी है कि केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय युवा बच्चियों को मासिक धर्म संबंधी स्वच्छता उत्पाद उपलब्ध कराने से जुड़ी एक राष्ट्रीय नीति पर विचार कर रहा है।

उन्होंने आठ जुलाई, 2024 को बताया है कि यह नीति जल्द तैयार हो जाएगी और इसे दो महीनों के भीतर सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश कर दिया जाएगा। इस मामले में अगली सुनवाई नौ 9 सितंबर, 2024 को होनी है।

क्या भोपाल नगर निगम ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 का पालन कर रहा है, सुप्रीम कोर्ट ने नीरी से मांगी रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (नीरी) को एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए तीन महीने का समय दिया है। नौ जुलाई, 2024 को दिया यह आदेश भोपाल नगर निगम द्वारा किए जा रहे कचरे के उचित प्रबंधन से जुड़ा है।

रिपोर्ट में सर्वोच्च न्यायलय ने नीरी से इस बात की जानकारी मांगी है कि क्या भोपाल नगर निगम 2016 में जारी ठोस कचरे के प्रबंधन से जुड़े नियम का पालन कर रहा है। अदालत ने राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान से अगली सुनवाई से पहले रिपोर्ट सबमिट करने को कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई 21 अक्टूबर, 2024 को होनी है।

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