नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की पूर्वी बेंच ने स्पष्ट कर दिया है कि जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट के बिना असम में लघु खनिजों की नीलामी नहीं होगी। इस मामले में 23 जुलाई, 2024 को दिए अपने आदेश में अदालत ने गोलपारा और लखीमपुर के साथ असम के ऐसे जिलों में लघु खनिजों की नीलामी और खनन गतिविधियों पर रोक लगाने का निर्देश दिया है, जहां स्वीकृत जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट नहीं है।
गौरतलब है कि इस मामले में आवेदक ने जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार होने तक कछार, तिनसुकिया, उदलगुड़ी, गोलपारा, गोलाघाट, कामरूप, लखीमपुर और नागांव में लघु खनिजों की ई-नीलामी पर रोक लगाने का अनुरोध किया था।
कोर्ट ने उल्लेख किया है कि प्रभागीय वन अधिकारी ने पत्र के हवाले से कहा है कि गोलपारा के लिए जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट अभी तक तैयार नहीं की गई है। लखीमपुर के आयुक्त ने भी माना है कि लखीमपुर से संबंधित जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट अभी तैयार की जा रही है। एनजीटी ने कहा है कि इससे पता चलता है कि आज तक लखीमपुर के लिए कोई जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार नहीं की गई है।
बिहार के जहानाबाद में नहीं कोई सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 23 जुलाई 2024 को बिहार के नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव से हलफनामा दाखिल करने को कहा है। उन्हें यह हलफनामा दो सप्ताह के भीतर दाखिल करना होगा। मामला दरधा नदी में कचरा की डंपिंग से जुड़ा है।
इस मामले में अगली सुनवाई 13 अगस्त, 2024 को होनी है।
इस मामले में जहानाबाद के जिला मजिस्ट्रेट ने आठ जुलाई, 2024 को दायर एक पूरक हलफनामे में कहा है कि शहरी विकास और आवास विभाग ने बिहार में अमृत 2.0 के तहत जल निकायों, हरित क्षेत्रों और सीवरेज एवं जलापूर्ति योजनाओं के पुनरुद्धार पर एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इस परियोजना की लागत करीब 70 करोड़ रुपए है।
इस मामले में पांच फरवरी, 2024 को मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा दाखिल हलफनामे से पता चला है कि जहानाबाद में कोई सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) नहीं है। अमृत 2.0 परियोजना के तहत 17 एमएलडी और सात एमएलडी क्षमता वाले दो एसटीपी को मंजूरी दी गई है। बताया गया कि इसके तहत 161 किलोमीटर में सीवेज नेटवर्क सिस्टम की व्यवस्था की जाएगी।
इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार कर ली गई है और उसे बिहार शहरी आधारभूत संरचना विकास निगम के मुख्य महाप्रबंधक द्वारा तकनीकी स्वीकृति मिल चुकी है। इसके बाद रिपोर्ट को प्रशासनिक स्वीकृति के लिए नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव को भेज दिया गया है।
सिलचर राष्ट्रीय राजमार्ग के निकट क्षतिग्रस्त पाइपलाइन की हो चुकी है मरम्मत: जिला आयुक्त
सिलचर राष्ट्रीय राजमार्ग के पास पाइपलाइन के बड़े पैमाने पर क्षतिग्रस्त होने के कारण निवासियों को दूषित पानी की सप्लाई हो रही थी। लेकिन अब इस समस्या को हल कर दिया गया है और पाइपलाइन को हुए नुकसान की मरम्मत कर दी गई है।
इस मामले में कछार के जिला आयुक्त ने 23 जुलाई, 2024 को दिए अपने हलफनामे में जानकारी दी है कि पाइपलाइन को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ था, जिसके कारण मरम्मत में कुछ समय लग गया। हालांकि मरम्मत का काम 26 मई, 2024 को पूरी हो गया था।
गौरतलब है कि यह मामला 19 अप्रैल, 2024 को बराक बुलेटिन में प्रकाशित एक खबर के आधार पर एनजीटी ने स्वतः संज्ञान में लिया था। इस खबर में कहा गया है कि घर-घर तक सीधी गैस पहुंचाने के लिए गैस पाइपलाइन बिछाने की वजह से राष्ट्रीय राजमार्ग रोड, वार्ड नंबर 17, सिलचर के निवासियों की पेयजल आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई है।