विश्व पोलियो दिवस: पोलियो मुक्त दुनिया की ओर एक कदम

विश्व पोलियो दिवस: डॉ. जोनास साल्क के योगदान को स्मरण कर, पोलियो उन्मूलन, टीकाकरण और सतर्कता का संकल्प दिवस है आज|
भारत का पोलियो मुक्त सफर: भारत ने पल्स पोलियो अभियान और व्यापक टीकाकरण के माध्यम से 2014 में पोलियो मुक्त होने का गौरव हासिल किया।
भारत का पोलियो मुक्त सफर: भारत ने पल्स पोलियो अभियान और व्यापक टीकाकरण के माध्यम से 2014 में पोलियो मुक्त होने का गौरव हासिल किया।फोटो साभार: आईस्टॉक
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सारांश
  • डॉ. जोनास साल्क के योगदान: पोलियो के लिए पहली सफल वैक्सीन विकसित करने वाले वैज्ञानिक की याद में विश्व पोलियो दिवस मनाया जाता है।

  • पोलियो रोग और खतरे: यह अत्यंत संक्रामक बीमारी पांच साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है और लकवा या मृत्यु का कारण बन सकती है।

  • वैक्सीन और टीकाकरण: ओरल पोलियो वैक्सीन और इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन पोलियो से बचाव के मुख्य उपाय हैं।

  • भारत का पोलियो मुक्त सफर: भारत ने पल्स पोलियो अभियान और व्यापक टीकाकरण के माध्यम से 2014 में पोलियो मुक्त होने का गौरव हासिल किया।

  • सतर्कता और जागरूकता: पोलियो पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है, इसलिए निरंतर टीकाकरण, स्वच्छता और संदिग्ध मामलों की रिपोर्टिंग जरूरी है।

हर साल 24 अक्टूबर को पूरे विश्व में विश्व पोलियो दिवस मनाया जाता है। यह दिन डॉ. जोनास साल्क की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने पोलियो के खिलाफ पहली सफल वैक्सीन विकसित की थी। यह दिवस हमें यह याद दिलाता है कि पोलियो जैसी बीमारी को खत्म करने के लिए निरंतर सावधानी, सतर्कता और टीकाकरण कितना आवश्यक है।

पोलियो क्या है?

पोलियो (पोलियोमायलाइटिस) एक अत्यंत संक्रामक रोग है जो पोलियो वायरस से होता है। यह वायरस तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है और कभी-कभी स्थायी लकवा या मृत्यु का कारण भी बन सकता है। यह रोग अधिकतर पांच साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, हर 200 पोलियो संक्रमणों में से एक बच्चे को स्थायी लकवा हो जाता है। लकवे से ग्रसित बच्चों में से लगभग 5 से 10 फीसदी बच्चे मर जाते हैं क्योंकि उनके सांस लेने की मांसपेशियां काम करना बंद कर देती हैं।

कभी यह बीमारी दुनिया भर में हजारों बच्चों को प्रभावित करती थी, लेकिन टीकों के विकास और व्यापक टीकाकरण कार्यक्रमों ने इसे लगभग खत्म कर दिया है।

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पोलियो वैक्सीन का महत्व

डॉ. जोनास साल्क द्वारा विकसित पहली पोलियो वैक्सीन चिकित्सा इतिहास की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक मानी जाती है। इस वैक्सीन के कारण यह घातक बीमारी अब रोकथाम योग्य बन चुकी है।

बाद में डॉ. अल्बर्ट सबिन ने ओरल पोलियो वैक्सीन विकसित की, जिसे मुंह के माध्यम से दिया जाता है। दोनों वैक्सीन आज भी बच्चों को पोलियो से सुरक्षित रखने में मदद करती हैं।

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विश्व स्तर पर पोलियो उन्मूलन

साल 1988 में जब वैश्विक स्तर पर पोलियो उन्मूलन अभियान शुरू हुआ, तब 125 से अधिक देशों में करीब 3,50,000 से अधिक बच्चे हर साल पोलियो का शिकार हो रहे थे। लेकिन निरंतर प्रयासों के कारण आज यह संख्या 99 फीसदी से भी अधिक घट चुकी है।

वर्तमान में केवल दो देश - अफगानिस्तान और पाकिस्तान में ही जंगली पोलियो वायरस के मामले पाए जा रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), रोटरी इंटरनेशनल, यूनिसेफ और अन्य वैश्विक संस्थाएं मिलकर पोलियो को पूरी तरह समाप्त करने का लक्ष्य लेकर काम कर रही हैं।

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भारत का पोलियो मुक्त सफर

भारत का पोलियो उन्मूलन अभियान जन आंदोलन का रूप ले चुका था। भारत सरकार ने 1995 में पल्स पोलियो इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम की शुरुआत की। इस कार्यक्रम का नारा था - "दो बूंद जिन्दगी की!"

हर साल लाखों स्वास्थ्यकर्मी, डॉक्टर, स्वयंसेवक और सामाजिक संगठन घर-घर जाकर पांच वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चों को पोलियो की खुराक देते रहे। इन प्रयासों का परिणाम यह हुआ कि भारत को साल 2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पोलियो मुक्त देश घोषित किया। यह सफलता भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य इतिहास की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक मानी जाती है।

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पोलियो से बचाव के उपाय

स्वास्थ्य विशेषज्ञों और विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, पोलियो से बचाव के लिए तीन मुख्य बातें जरूरी हैं:

  • पूरा टीकाकरण करें - बच्चे को समय पर ओपीवी या आईपीवी वैक्सीन की सभी खुराक दें।

  • सफाई और स्वच्छता बनाए रखें - हाथों को बार-बार धोएं, साफ पीने का पानी उपयोग करें और गंदगी से बचें।

  • संदिग्ध मामलों की रिपोर्ट करें - यदि किसी बच्चे में अचानक कमजोरी या लकवे के लक्षण दिखें तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र को सूचित करें।

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सतर्कता क्यों जरूरी है?

हालांकि भारत और कई अन्य देश पोलियो मुक्त घोषित हो चुके हैं, लेकिन जब तक दुनिया का एक भी बच्चा पोलियो वायरस से संक्रमित है, तब तक सभी बच्चे खतरे में हैं।

यदि शेष देशों से वायरस अन्य जगहों पर फैलता है, तो पोलियो फिर से लौट सकता है। इसलिए निरंतर टीकाकरण, निगरानी और जन-जागरूकता बेहद जरूरी है।

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विश्व पोलियो दिवस केवल एक स्मरण दिवस नहीं, बल्कि एक जागरूकता अभियान है। यह दिन उन वैज्ञानिकों, डॉक्टरों, स्वास्थ्यकर्मियों और स्वयंसेवकों को सम्मान देने का अवसर है जिन्होंने मानवता को पोलियो मुक्त बनाने के लिए अपना जीवन समर्पित किया।

भारत आज गर्व से कह सकता है कि वह पोलियो मुक्त देश है, परंतु यह उपलब्धि तभी स्थायी रहेगी जब हम सतर्कता, टीकाकरण और स्वच्छता को अपनी प्राथमिकता बनाए रखेंगे।

आइए, इस विश्व पोलियो दिवस पर हम सब यह संकल्प लें कि कोई भी बच्चा पोलियो की चपेट में न आए और पूरी दुनिया जल्द ही पोलियो मुक्त विश्व बने।

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