हर साल, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाता है। डब्ल्यूएचओ का लक्ष्य तंबाकू के उपयोग के खतरों के बारे में जागरूकता फैलाना है और यह सुनिश्चित करना कि, दुनिया को तंबाकू मुक्त किस तरह बनाया जाए।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, दुनिया भर में हर साल तंबाकू से होने वाली बीमारियों से करीब 80 लाख लोगों की मौत होती है, फिर भी दुनिया भर में सरकारें तंबाकू उगाने के लिए लाखों खर्च करती हैं।
तंबाकू के बजाय भोजन संबंधी फसलें उगाने का चयन करके, हम स्वास्थ्य को प्राथमिकता दे सकते हैं, पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित कर सकते हैं और सभी के लिए खाद्य सुरक्षा को मजबूत कर सकते हैं।
दुनिया भर में 30 करोड़ से अधिक लोग खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। इस बीच 120 से अधिक देशों में 30 करोड़ हेक्टेयर से अधिक भूमि का उपयोग घातक तंबाकू उगाने के लिए किया जा रहा है, यहां तक कि उन देशों में भी जहां लोग भूखे मर रहे हैं।
यह वार्षिक उत्सव लोगों को तम्बाकू का उपयोग करने के खतरों, तम्बाकू कंपनियों की व्यावसायिक तरीकों, तम्बाकू महामारी से लड़ने के लिए डब्ल्यूएचओ कई तरह की पहल कर रहा है। दुनिया भर के लोगों को अपने स्वास्थ्य और स्वस्थ जीवन के अधिकार की रक्षा करने के लिए क्या कर सकते हैं, डब्ल्यूएचओ के द्वारा इस बारे में जनता को जानकारी दी जाती है।
तंबाकू का उपयोग कैंसर, फेफड़ों की बीमारी, हृदय रोग और स्ट्रोक सहित कई पुरानी बीमारियों के लिए जिम्मेवार है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, यह भारत में मृत्यु और बीमारी के प्रमुख कारणों में से एक है। भारत तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और उत्पादक भी है। देश में विभिन्न प्रकार के तंबाकू उत्पाद बहुत कम कीमत पर उपलब्ध हैं।
तंबाकू से जुड़ी बीमारियां सूची में हैं, इसलिए यदि हम लक्ष्य तक पहुंचते हैं, तो 2030 जश्न मनाने का वर्ष होगा न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए, बल्कि हमारे बटुए के आकार के लिए भी। धूम्रपान करने वाला व्यक्ति सालाना सिगरेट पर करीब 4,000 डॉलर खर्च कर देता है।
तम्बाकू उगाना हमारे स्वास्थ्य, किसानों के स्वास्थ्य और धरती के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। तम्बाकू उद्योग, तम्बाकू उगाने के विकल्प के प्रयासों में हस्तक्षेप करता है, वैश्विक खाद्य संकट के लिए जिम्मेवार है।
यह अभियान सरकारों को तम्बाकू उगाने वाली सब्सिडी को समाप्त करने के लिए प्रोत्साहित करता है और बचत का उपयोग किसानों को खाद्य सुरक्षा और पोषण में सुधार करने वाली अधिक टिकाऊ फसलों को अपनाने में सहायता कर सकता है।
विश्व तंबाकू निषेध दिवस का इतिहास
विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य राज्यों ने 1987 में विश्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाने की बात कही, ताकि तम्बाकू महामारी और इसके कारण होने वाली मृत्यु को रोका जा सके। 1987 में, विश्व स्वास्थ्य सभा ने प्रस्ताव ब्ल्यूएचए 40.38 पारित किया, जिसमें सात अप्रैल 1988 को "विश्व धूम्रपान निषेध दिवस" घोषित किया गया। 1988 में, संकल्प ब्ल्यूएचए 42.19 पारित किया गया था, जिसमें हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाने का आह्वान किया गया था।