दिल की सेहत पर लॉन्ग कोविड के असर को खत्म करने के लिए टीकाकरण जरूरी: शोध

कोविड टीकाकरण हृदय संबंधी खतरों को काफी हद तक कम करता है। जिन लोगों ने टीकाकरण करवाया है, उनमें गंभीर हृदय जटिलताओं और लॉन्ग कोविड का खतरा कम होता है।
कोविड संक्रमण के महीनों बाद तक मरीजों में दिल की धड़कन असामान्य होना, सीने में दर्द, सांस फूलना, थकान, चक्कर आना यहां तक कि दिल के दौरे जैसी समस्याएं देखने को मिल रही हैं।
कोविड संक्रमण के महीनों बाद तक मरीजों में दिल की धड़कन असामान्य होना, सीने में दर्द, सांस फूलना, थकान, चक्कर आना यहां तक कि दिल के दौरे जैसी समस्याएं देखने को मिल रही हैं।प्रतीकात्मक तस्वीर, फोटो साभार: आईस्टॉक
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Summary
  • कोविड केवल फेफड़ों ही नहीं, बल्कि दिल और रक्त वाहिकाओं को भी गंभीर रूप से प्रभावित करता है।

  • टीकाकरण से हृदय रोग और लॉन्ग कोविड से जुड़ी जटिलताओं का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है।

  • दुनिया में लगभग 10 करोड़ लोग लॉन्ग कोविड से प्रभावित, जिनमें से पांच फीसदी को कार्डियक लॉन्ग कोविड की समस्या।

  • संरचित कार्डियक रिहैबिलिटेशन कार्यक्रम लंबे समय तक स्वास्थ्य सुधार और जीवन गुणवत्ता बढ़ाने के लिए बेहद जरूरी।

  • ग्रामीण क्षेत्रों में पुनर्वास सेवाओं की कमी, समान और न्यायसंगत स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए निवेश और विस्तार की आवश्यकता।

कोरोना महामारी ने दुनिया भर में जीवन को गहराई से प्रभावित किया है। यह केवल सांस की बीमारी नहीं है, बल्कि इसके गंभीर और लंबे समय तक रहने वाले प्रभाव दिल और रक्त वाहिकाओं पर भी पड़े हैं। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंग्लिया और यूरोपियन सोसायटी ऑफ कार्डियोलॉजी (ईएससी) की नई रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि कोविड और लॉन्ग कोविड से जुड़ी हृदय संबंधी समस्याएं आने वाले समय में स्वास्थ्य प्रणालियों के लिए बड़ी समस्या बन सकती हैं।

इस रिपोर्ट में कोविड वैक्सीन को जारी रखने और हृदय पुनर्वास (कार्डियक रिहैबिलिटेशन) को प्राथमिकता देने की सिफारिश की गई है।

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कोविड संक्रमण के महीनों बाद तक मरीजों में दिल की धड़कन असामान्य होना, सीने में दर्द, सांस फूलना, थकान, चक्कर आना यहां तक कि दिल के दौरे जैसी समस्याएं देखने को मिल रही हैं।

कोविड और हृदय रोग का संबंध

शुरुआत से ही यह माना गया था कि कोविड मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है। लेकिन अब कई शोधों से स्पष्ट हुआ है कि यह वायरस दिल और रक्त वाहिकाओं पर भी गहरा असर डाल सकता है। कोविड संक्रमण के दौरान और उसके महीनों बाद तक मरीजों में दिल की धड़कन असामान्य होना (अरिदमिया), सीने में दर्द, सांस फूलना, थकान, चक्कर आना, हार्ट फेल्योर और यहां तक कि स्ट्रोक और दिल के दौरे जैसी समस्याएं देखने को मिल रही हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, जिन लोगों को कोविड के दौरान अस्पताल में भर्ती होना पड़ा, उनमें हृदय रोग और मौत का अधिक अधिक पाया गया। इसके अलावा पहले से हृदय रोग से पीड़ित मरीजों में कोविड संक्रमण जटिलताओं को और बढ़ा देता है।

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कोविड संक्रमण के महीनों बाद तक मरीजों में दिल की धड़कन असामान्य होना, सीने में दर्द, सांस फूलना, थकान, चक्कर आना यहां तक कि दिल के दौरे जैसी समस्याएं देखने को मिल रही हैं।

लॉन्ग कोविड और दिल की दिक्कतें

कोविड संक्रमण के बाद भी कई लोग महीनों तक विभिन्न लक्षणों से जूझते रहते हैं। इसे लॉन्ग कोविड कहा जाता है। रिपोर्ट बताती है कि दुनिया में लगभग 10 करोड़ लोग लॉन्ग कोविड से जूझ रहे हैं, और इनमें से करीब पांच फीसदी लोग "कार्डियक लॉन्ग कोविड" से प्रभावित हैं।

इस स्थिति में मरीजों को एंजाइना (सीने में दर्द), सांस लेने में कठिनाई, धड़कन तेज या अनियमित होना, अत्यधिक थकान और चक्कर आने जैसी समस्याएं होती हैं। कुछ मरीजों में ऑटोनॉमिक डिसफंक्शन भी देखा गया है, जिसमें शरीर की प्राकृतिक क्रियाएं जैसे दिल की धड़कन, सांस लेना और तापमान नियंत्रित करने वाली नसें ठीक से काम नहीं करतीं।

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कोविड टीकाकरण की अहमियत

रिपोर्ट का सबसे बड़ा निष्कर्ष यह है कि कोविड टीकाकरण हृदय संबंधी खतरों को काफी हद तक कम करता है। जिन लोगों ने पूरी तरह टीकाकरण करवाया है, उनमें गंभीर हृदय जटिलताओं और लॉन्ग कोविड का खतरा कम होता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड भले ही महामारी के चरम दौर से गुजर चुका हो, लेकिन संक्रमण का खतरा और उसके लंबे समय तक रहने वाले प्रभाव अब भी मौजूद हैं। ऐसे में नियमित और वैश्विक स्तर पर वैक्सीनेशन कार्यक्रमों को जारी रखना बेहद जरूरी है।

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हृदय पुनर्वास (कार्डियक रिहैबिलिटेशन) की भूमिका

रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि कोविड और लॉन्ग कोविड से पीड़ित मरीजों के लिए संरचित कार्डियक रिहैबिलिटेशन कार्यक्रम बेहद जरूरी हैं।

इन कार्यक्रमों में मरीजों को विशेष फिजियोथेरेपी, व्यायाम, पोषण संबंधी परामर्श और मानसिक स्वास्थ्य समर्थन दिया जाता है, जिससे दिल की सेहत बेहतर होती है और लंबे समय तक जटिलताओं से बचाव होता है।

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यूरोपियन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी में प्रकाशित शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि कोविड सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं, बल्कि दिल और रक्त वाहिकाओं को भी नुकसान पहुंचाता है। संक्रमण के महीनों बाद तक सीने में दर्द, सांस फूलना, दिल की धड़कन तेज होना या थकान आदि, सब कार्डियक लॉन्ग कोविड के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में पुनर्वास कार्यक्रम मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य और जीवन गुणवत्ता दिलाने में अहम हैं।

स्वास्थ्य सेवाओं में कमी और जरूरत

रिपोर्ट में यह भी माना गया है कि फिलहाल यूरोप समेत कई क्षेत्रों में पुनर्वास सेवाओं की क्षमता सीमित है। ग्रामीण इलाकों में रहने वाले मरीजों को तो इन सेवाओं तक पहुंचना और भी मुश्किल होता है।

कई जगहों पर पारंपरिक हृदय रोगियों और कोविड से प्रभावित मरीजों दोनों को एक साथ संभालने के लिए पर्याप्त संसाधन और सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में सरकारों और स्वास्थ्य संगठनों को वित्तीय निवेश बढ़ाने और पुनर्वास सेवाओं को विस्तार देने की आवश्यकता है।

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आगे की दिशा

विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड और लॉन्ग कोविड से जुड़े हृदय रोग भविष्य में भी स्वास्थ्य प्रणालियों के लिए समस्या बने रहेंगे। इसके लिए तीन मुख्य कदम उठाने होंगे:

निवारण: टीके लगाना और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देना।

पुनर्वास: संरचित कार्डियक रिहैबिलिटेशन कार्यक्रम को व्यापक बनाना और हर मरीज तक पहुंचाना।

शोध: लॉन्ग कोविड और इसके हृदय पर पड़ने वाले प्रभावों पर और अधिक शोध करना।

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कोविड महामारी भले ही अब उतनी भयावह न हो, लेकिन इसके प्रभाव अब भी लाखों लोगों की जिंदगी को प्रभावित कर रहे हैं। खासकर हृदय संबंधी जटिलताएं लंबे समय तक बनी रह सकती हैं और मरीजों की जीवन गुणवत्ता घटा सकती हैं।

इसलिए, कोविड टीकाकरण को जारी रखना, सभी मरीजों के लिए हृदय पुनर्वास कार्यक्रम उपलब्ध कराना और स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करना समय की मांग है। अगर ये कदम समय पर उठाए जाएं तो कोविड और लॉन्ग कोविड से होने वाले हृदय रोगों के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

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