कैंसर जागरूकता को लेकर भारत सरकार विशेष मुहिम चला रही है, लेकिन इसका कोई खास असर नहीं हो रहा है। देश की महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर और गर्भाशय कैंसर की शिकार हो रही है। महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर छह फीसदी और गर्भाशय कैंसर करीब 1.2 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। महिलाओं में इन दो गंभीर कैंसर की बीमारियों को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय बीमारियों के पैटर्न को समझने के लिए विशेष अध्ययन करवाने जा रहा है।
नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम, भारत सरकार और अस्पतालों के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2016 से 2018 तक 453109 महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर पाए गए है, जबकि 300941 महिलाए गर्भाशय कैंसर से ग्रसित थी। इन तीन वर्षों में ब्रेस्ट और गर्भाशय कैंसर के मामले में उत्तर प्रदेश देश में अव्वल राज्य है। इसके बाद महाराष्ट्र है। 2018 के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में 15.12 फीसदी ब्रेस्ट कैंसर और 17.41 फीसदी गर्भाशय कैंसर की मरीज है। जबकि महाराष्ट्र में 10.22 फीसदी ब्रेस्ट कैंसर और गर्भाशय कैंसर के 8.74 फीसदी मरीज है। सबसे कम मामले पूर्वोत्तर के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (दिल्ली को छोड़कर) में है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के कैंसर डिविजन से जुड़े डॉ. गौरव गुप्ता बताते है ब्रेस्ट कैंसर और गर्भाशय के कैंसर (बच्चेदानी के मुंह का कैंसर) के असल कारणों का अब तक पता नहीं लग सका है। इस पर लगातार शोध किया जा रहा है। ज्यादातर ब्रेस्ट कैंसर उस हिस्से के डक्ट (सूक्ष्म वाहिनियों) में छोटे कैल्शिफिकेशन (सख्त कण) के जमने से या ब्रेस्ट के टिश्यू में छोटी गांठ के रूप में बनते है और फिर कैंसर में ढलने लगते है। उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र या पश्चिम बंगाल अधिक आबादी वाले राज्य है, इस वजह से यहां कैंसर पीडि़तों की संख्या भी अधिक है। इन राज्यों की महिलाओं में अब भी अपनी स्वास्थ्य प्राथमिकता सूची में नहीं है, जिससे वह बीमारियों के शिकार हो रहे है। डॉ. गुप्ता के मुताबिक, विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 2014 में जारी कैंसर कंट्री प्रोफाइल रिपोर्ट के अनुसार भारतीय महिलाओं में कैंसर के कारण होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा करीब 21 फीसदी मौते ब्रेस्ट कैंसर के कारण होती है।
गुरुग्राम जिला अस्पताल के पूर्व कैंसर सर्जन डॉ. एसपी भनोट बताते है कि भारत में ब्रेस्ट कैंसर को लेकर चिंताजनक स्थिति सामने आ रही है। विकसित देशों के मुकाबले अपने यहां कैंसर होने की औसत उम्र में कमी आ रही है। विकसित देशों में 50-60 वर्ष की औसत उम्र में ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा होता है, जबकि अपने यहां अब 30 से 50 वर्ष की औसत उम्र में महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर से पीडि़त हो रही है।
डॉ. भनोट के मुताबिक, भारत में अभी ब्रेस्ट कैंसर को लेकर जागरूकता की कमी है। अभी भी महिलाएं ब्रेस्ट में होने वाली बदलाव या परेशानियों को लेकर बोलने से झिझकती है। इसकी वजह से 50-70 प्रतिशत ब्रेस्ट कैंसर की जांच एडवांस स्टेज में आने के बाद होती है। इलाज में अधिक देरी की वजह से रोग बहुत बढ़ चुका होता है और कैंसर के फैलने की संभावना भी बढ़ जाती है। यदि ब्रेस्ट कैंसर से असामयिक मृत्यु को कम करना है तो यह जरूरी है कि ब्रेस्ट कैंसर की जांच प्रारंभिक स्थिति में जल्दी और सही हो, और सही इलाज मिले।
डॉक्टरों के मुताबिक, अधिक उम्र में पहला बच्चा होना, नियमित रूप से स्तनपान नहीं कराना, वजन ज्यादा बढ़ना आदि ब्रेस्ट कैंसर के प्रमुख कारण हैं। इसके अलावा अनुवांशिक रूप से भी स्तन कैंसर की बीमारी हो सकती है। जबकि गर्भाशय कैंसर 30 से 35 साल की उम्र की महिलाओं में यह सर्वाधिक होने वाला कैंसर है।
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कैंसर के इलाज के लिए अपर्याप्त है व्यवस्था
भारत सरकार ने कैंसर के प्रति जागरूकता और रोकथाम के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत वर्ष 2010 में नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रिवेंशन कंट्रोल ऑफ कैंसर, डायबिटीज, कार्डियोवेस्कुलर डिजिज एंड कंट्रोल कार्यक्रम शुरू किया था, जो अब भी चल रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दिसंबर 2019 में जारी आंकड़ों के मुताबिक, गैर संचारी रोगों के इलाज के लिए अब तक जिले स्तर पर 599 क्लिनिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर 3274 क्लिनिक की स्थापना की गई है। अधिकांश जिला अस्पताल में कैंसर विभाग ही नहीं है, जिसकी वजह से मरीजों की पहचान ही सही समय पर नहीं हो पाती है। बता दें कि नेशनल कैंसर कंट्रोल प्रोग्राम के तहत देशभर में अभी 27 कैंसर सेंटर चिह्नित किए है। जिसमें गंभीर स्थिति में कैंसर के मरीजों का इलाज संभव है।
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कैंसर 2016 2017 2018
ब्रेस्ट कैंसर 142283 150842 159924
गर्भाशय कैंसर 99099 100306 101536
ब्रेस्ट कैंसर के मामले
राज्यवार आंकड़े 2016 2017 2018
उत्तर प्रदेश 21376 22737 24181
महाराष्ट्र 14726 15522 16358
पश्चिम बंगाल 10906 11550 12234
बिहार 9958 10644 11378
तमिलनाडु 9486 9870 10269
मध्य प्रदेश 8334 8858 9414
कर्नाटक 8029 8527 9055
गुजरात 8001 8504 9039
राजस्थान 7536 7996 8483
केरल 5682 6189 6748
आंध्र प्रदेश 5901 6251 6620
तेलंगाना 4633 4918 5220
ओडिशा 4205 4448 4705
झारखंड 3716 3962 4225
पंजाब 3321 3503 3694
दिल्ली 3181 3351 3530
हरियाणा 3103 3308 3526
छत्तीसगढ़ 2944 3145 3359
असम 2406 2437 2467
जम्मू-कश्मीर 1421 1516 1618
उत्तरांचल 1217 1298 1384
हिमाचल प्रदेश 613 647 681
चंडीगढ़ 196 207 219
सिक्किम 30 30 31
अरुणाचल प्रदेश 82 84 85
नगालैंड 67 67 68
मणिपुर 273 281 289
मिजोरम 97 99 101
त्रिपुरा 129 130 132
मेघालय 104 106 108
दमन और दीव 42 47 52
दादर और नगर हवेली 54 61 68
गोवा 233 247 262
लक्षद्वीप 14 15 17
पुदुचेरी 227 242 257
अंडमान और निकोबार 44 45 47
गर्भाशय कैंसर
राज्यवार आंकड़े 2016 2017 2018
जम्मू-कश्मीर 1060 1079 1098
हिमाचल प्रदेश 603 606 610
पंजाब 2157 2173 2189
चंडीगढ़ 66 67 68
उत्तरांचल 866 877 890
हरियाणा 2018 2043 2070
दिल्ली 1073 1088 1103
राजस्थान 5791 5861 5933
उत्तर प्रदेश 17156 17420 17687
बिहार 9454 9638 9824
सिक्किम 24 24 24
अरुणाचल प्रदेश 70 70 72
नगालैंड 88 89 90
मणिपुर 138 142 147
मिजोरम 119 122 125
त्रिपुरा 159 160 163
मेघालय 119 122 124
असम 1438 1456 1474
पश्चिम बंगाल 7450 7509 7568
झारखंड 2907 2958 3009
ओडिशा 3662 3693 3723
छत्तीसगढ़ 2303 2343 2383
मध्य प्रदेश 6222 6322 6423
गुजरात 4801 4868 4928
दमन और दीव 17 18 19
दादर और नगर हवेली 29 30 32
महाराष्ट्र 8741 8811 8882
तेलंगाना 2870 2893 2916
आंध्र प्रदेश 4124 4149 4173
कर्नाटक 5020 5074 5130
गोवा 108 109 110
लक्षद्वीप 05 06 06
केरल 2849 2908 2975
तमिलनाडु 5452 5443 5432
पुदुचेरी 103 106 108
अंडमान और निकोबार 28 28 28
स्रोत: राष्ट्रीय कैंसर पंजीकरण कार्यक्रम के तहत किया गया अध्ययन