मोटापे और हृदय रोग से निपटने के लिए यूटीएसए के शोधकर्ताओं ने खोजा नया उपचार

वैज्ञानिकों द्वारा खोजी गई यह दवा साइटोक्रोम पी450 8बीक1 के प्रभाव को रोक सकती है, यह एंजाइम कोलेस्ट्रॉल को सोख लेता है और मोटापे का कारण बनता है
मोटापे और हृदय रोग से निपटने के लिए यूटीएसए के शोधकर्ताओं ने खोजा नया उपचार
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मोटापे और हृदय रोग के उपचार के लिए टेक्सास विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने नया उपचार खोजा है। वैज्ञानिकों द्वारा खोजी गई यह दवा साइटोक्रोम पी450 8बीक1 के प्रभाव को रोक सकती है। गौरतलब है कि साइटोक्रोम पी450 8बीक1 नामक यह एंजाइम कोलेस्ट्रॉल को अवशोषित कर लेता है और मोटापे का कारण बनता है। इससे जुड़ा अध्ययन फरवरी 2022 में साइंटिफिक जर्नल स्टेरॉयड में प्रकाशित हुआ है। 

यह शोध शोधकर्ता फ्रांसिस योशिमोटो और यून्ही चुंग द्वारा अन्य शोधकर्ताओं के सहयोग से किया गया है। अपने इस शोध में उन्होंने बायोएक्टिव कंपाउंड का अध्ययन किया है जो पौधों और कुछ विशेष खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी समझने का प्रयास किया है कि मोटापे और उससे जुड़े मेटाबॉलिक विकारों के उपचार में व्यायाम किस तरह मददगार होता है। 

इस बारे में शोधकर्ता योशिमोतो का कहना है कि मैंने बचपन में अपने परिवार की मदद का सपना देखा था जो मोटापे, ह्रदय रोग और अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी विकारों से ग्रस्त थे। यह सपना अब वास्तविकता में बदल रहा है क्योंकि हमने एक ऐसा छोटा अणु विकसित कर लिया है, जिसका उपयोग मोटापे से लड़ने में किया जा सकता है। उनके अनुसार यह समस्या दुनिया के कई परिवारों की है। 

यूटीएसए द्वारा बनाई इस दवा में एंजाइम पी450 8बीक1 की गतिविधियों को रोकने की क्षमता है जो शरीर में कोलिक एसिड बनाता है। यह दवा शरीर में कोलेस्ट्रॉल के अवशोषण को कम कर देती है। यह प्रक्रिया मोटापे से जुड़े अन्य मेटाबॉलिस्म सम्बन्धी विकारों और बीमारियों जैसे ह्रदय रोग और मधुमेह के इलाज में मददगार हो सकती है। 

अभी तक वैज्ञानिकों ने अपनी इस दवा का परीक्षण चूहों पर सफलतापूर्वक किया है, जिसपर यह दवा कारगर रही है। इस दवा के उपयोग से चूहे के रक्त में ग्लूकोज के स्तर में कमी आ गई थी। उच्च वसा और सुक्रोज के सेवन के बावजूद इस दवा के असर से चूहे के वजन पर असर नहीं पड़ा था। 

दुनिया में गंभीर रूप से बढ़ रही है मोटापे की समस्या

दुनिया भर में मोटापे की समस्या कितनी गंभीर है इसका अंदाजा आप विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के आंकड़ों से लगा सकते हैं जिसके अनुसार 2016 में 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के करीब 190 करोड़ लोगों का वजन सामान्य से ज्यादा था, जबकि 65 करोड़ मोटापे से ग्रस्त थे। 1975 के बाद से मोटापे से ग्रस्त लोगों की संख्या लगभग तीन गुना हो गई है।

वहीं यदि पांच वर्ष या उससे कम उम्र के बच्चों को देखें तो 2020 में 3.9 करोड़ बच्चे ज्यादा वजन और मोटापे से पीड़ित थे। इसी तरह 2016 में 5 से 19 वर्ष के करीब 34 करोड़ बच्चे और किशोर सामान्य से ज्यादा वजन या मोटापे की समस्या से जूझ रहे थे। वहीं डब्लूएचओ का अनुमान है कि 2025 में करीब 16.7 करोड़ लोग अपने बढ़ते वजन या मोटापे के कारण स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे होंगें। 

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