मवेशियों में लम्पी बीमारी
आज सदन में उठे एक सवाल के जवाब में पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रुपालाने जानकारी देते हुए बताया कि, भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के पशुपालन और डेयरी विभाग को देश में लम्पी स्किन डिजीज (एलएसडी) के फैलने की जानकारी है। विभाग इस बीमारी पर नियंत्रण और रोकथाम के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सहायता के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रहा है, जिसमें वित्तीय और तकनीकी सहायता भी शामिल है।
रुपाला ने कहा, वर्तमान में लम्पी बीमारी के 6,584 सक्रिय मामलों के साथ रोग नियंत्रण में है। अब तक 11.57 करोड़ से अधिक पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है और टीकाकरण जारी है।
जुलाई 2022 से अब तक 200001 मवेशियों की मृत्यु हो चुकी है जिसमें एनडीआरएफ मानदंडों के अनुसार प्रति मवेशी लगभग 30,000 रुपये की हानि होती है। लम्पी स्किन डिजीज (एलएसडी) के कारण किसानों को होने वाले पशुओं के नुकसान की भरपाई के लिए विभाग के पास कोई योजना नहीं है।
रूपाला ने कहा, प्राप्त जानकारी के अनुसार, महाराष्ट्र, कर्नाटक राज्यों ने किसानों और पशुपालकों को एलएसडी के कारण उनके मवेशियों के नुकसान के लिए मुआवजा दिया है।
मवेशियों में पैर और मुंह की बीमारी को लेकर आज सदन में एक प्रश्न पूछा गया जिसके उत्तर में मंत्री परषोत्तम रूपाला ने कहा कि, पशुपालन और डेयरी विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एलएचडीसीपी) लागू कर रही है।
यह गुजरात सहित सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में एक केंद्रीय क्षेत्रीय योजना है, जिसमें खुरपका और मुंहपका रोग (एफएमडी) के खिलाफ टीकाकरण चल रहा है। पिछले दौर के दौरान 24.18 करोड़ से अधिक मवेशियों और भैंसों का टीकाकरण किया गया था और वर्तमान दौर में अब तक देश भर में 4.89 करोड़ से अधिक मवेशियों और भैंसों का टीकाकरण किया जा चुका है।
इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण
सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में भारी उद्योग राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने बताया कि, भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) सार्वजनिक परिवहन बसों सहित देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के निर्माण के आंकड़ों का रखरखाव नहीं करता है। हालांकि, ई-वाहन पोर्टल (सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय) के अनुसार, पिछले तीन वर्षों (2020 से 2022) के दौरान देश में कुल 14,66,264 इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत हुए।
मनरेगा के तहत काम करने वाले लोग
नरेगा के तहत रोजगार को लेकर उठे एक प्रश्न के जवाब में ग्रामीण विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने आज सदन में बताया कि, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महात्मा गांधी एनआरईजीएस) एक मांग आधारित योजना है। पंजीकृत परिवार योजना के प्रावधान के अनुसार काम के लिए आवेदन कर सकते हैं। वित्तीय वर्ष 2020 से 21 तक 18 से 30 वर्ष की आयु वर्ग में कुल 2.95 करोड़ व्यक्तियों का पंजीकरण किया गया था, जिसे वित्तीय वर्ष 2022 से 23 तक बढ़ाकर 3.06 करोड़ व्यक्तियों तक महात्मा गांधी नरेगा के तहत किया गया।
थर्मल पावर प्लांटों द्वारा एफजीडी सिस्टम स्थापित करना जरूरी
सदन में आज थर्मल पावर प्लांटों द्वारा एफजीडी सिस्टम स्थापित करने को लेकर पूछे गए एक प्रश्न की जवाब में बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने बताया कि, सभी थर्मल पावर प्लांटों को केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा अधिसूचित उत्सर्जन मानदंडों और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा समय-समय पर दिए गए निर्देशों का पालन करना आवश्यक है।
सिंह ने कहा सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ 2) उत्सर्जन मानदंडों के अनुपालन के लिए, थर्मल पावर प्लांट फ़्लू गैस डिसल्फराइजेशन (एफजीडी) उपकरण स्थापित कर रहे हैं।
स्वास्थ्य योजनाओं के लिए बजटीय आवंटन में कमी
स्वास्थ्य योजनाओं के लिए बजटीय आवंटन में कमी को लेकर सदन में उठे सवाल के जवाब में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने कहा कि, पिछले वर्ष स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के बजटीय आवंटन में पीएम-एबीएचआईएम के तहत, कोविड-19 आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए 323.00 करोड़ रुपये का प्रावधान था। चालू वर्ष में कोविड-19 आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
इसलिए, पीएम-एबीएचआईएम से संबंधित 2023-24 के बजट में कटौती की गई है। हालांकि, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के लिए पीएम-एबीएचआईएम के तहत 2021-22 से 2025-26 तक पांच वर्षों के लिए कुल बजटीय आवंटन 1670 करोड़ रुपये है।
पवार ने बताया, वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 28,859.73 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन की तुलना में वर्ष 2023-24 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के लिए बजटीय आवंटन 29,085.26 करोड़ रुपये है। पवार ने कहा, इसलिए, बजटीय आवंटन में कोई कमी नहीं की गई है।
दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित मरीजों का इलाज को लेकर सदन में उठे एक अन्य सवाल के जवाब में राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने कहा कि, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, नवंबर, 2019 से 9,675 मरीजों को दुर्लभ और अन्य वंशानुगत विकारों के लिए राष्ट्रीय रजिस्ट्री (एनआरआरओआईडी) के पोर्टल पर नामांकित किया गया है। जिनमें से 4,408 मरीज केंद्र शासित अस्पतालों से पाए गए हैं।
पवार ने बताया कि, वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए, राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति (एनपीआरडी), 2021 के तहत नामित उत्कृष्टता केंद्रों में दुर्लभ बीमारियों के रोगियों के इलाज के लिए 92.84 करोड़ रुपये (नब्बे करोड़ चौरासी लाख रुपये) की धनराशि आवंटित की गई है।
स्वास्थ्य देखभाल पर प्रति परिवार अपनी जेब से व्यय
आज सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह बघेल ने जानकारी देते हुए कहा कि, नवीनतम राष्ट्रीय स्वास्थ्य खाता (एनएचए) अनुमान 2019-20 के अनुसार, वर्ष 2019-20 के लिए स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति के जेब से होने वाला खर्च (ओओपीई) 2289 रुपये है। एनएचए 2019-20 रिपोर्ट के अनुसार, 2018 के लिए प्रति व्यक्ति क्रय शक्ति समानता ओपीई में 189 देशों की सूची में भारत 67वें स्थान पर था।