हर चार सेकंड में एक की जान ले रहा तम्बाकू, बड़ों को ही नहीं बच्चों को भी बना रहा शिकार

धूम्रपान करने वाले हर 10 में से नौ लोगों को 18 साल का होने से पहले ही तंबाकू की लत लग जाती है, जो उन्हें हर दिन उनकी मौत के और करीब ले जाता है
दुनिया के करीब आधे बच्चे तम्बाकू से दूषित हुई हवा में सांस लेने को मजबूर हैं; फोटो: आईस्टॉक
दुनिया के करीब आधे बच्चे तम्बाकू से दूषित हुई हवा में सांस लेने को मजबूर हैं; फोटो: आईस्टॉक
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क्या आप जानते हैं कि धूम्रपान करने वाले हर 10 में से नौ लोग 18 साल का होने से पहले ही इसकी लत में पड़ जाते हैं, जो उन्हें हर दिन उनकी मौत के और करीब ले जाता है। यदि आंकड़ों की माने तो तम्बाकू हर चार सेकंड में एक इंसान की जान ले रही है। मतलब की एक साल में 80 लाख लोगों की मौत के लिए तम्बाकू जिम्मेवार है।

विडंबना देखिए कि इनमें से 13 लाख लोग वो है जो इसके कारण पैदा हुए धुंए का शिकार बन जाते हैं। देखा जाए तो यह वो लोग हैं जो स्वयं इन उत्पादों का उपयोग न करने के बावजूद अप्रत्यक्ष रूप से इससे पैदा हुए धुंए में सांस लेने को मजबूर हैं।

ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बच्चों और युवाओं को इसकी लत से बचाने के लिए सरकारों से स्कूलों में धूम्रपान और 'वेपिंग' पर प्रतिबन्ध लगाने का आग्रह किया है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक स्कूलों को तंबाकू और निकोटीन मुक्त रखने से इसे रोकने में मदद मिल सकती है।

बच्चों को इस जहर से बचाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्कूलों के लिए एक नई मार्गदर्शिका जारी की है। इसके साथ ही स्कूलों को निकोटीन- और तम्बाकू मुक्त बनाने के लिए एक नई टूलकिट भी जारी की गई है।

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि तम्बाकू उद्योग लगातार आक्रामक रूप से तम्बाकू और निकोटीन उत्पादों के लिए युवाओं को रिझाने में लगा है, जिससे ई-सिगरेट के उपयोग में वृद्धि हुई है। एक तरफ जहां वे सिंगल-यूज सिगरेट को बेचकर युवाओं के लिए इसे कहीं ज्यादा सस्ता और सुलभ बना रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ इन ई-सिगरेट में आमतौर पर स्वास्थ्य संबंधी चेतावनी नहीं होती है, जिससे युवा आसानी से इसके जाल में फंस जाते हैं।

संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी का कहना है कि चूंकि बच्चे अपने दिन का करीब एक-तिहाई समय स्कूलों में बिताते हैं, ऐसे में उन्हें यहां पर साथियों के दबाव का सामना भी करना पड़ता है, इसलिए धूम्रपान की रोकथाम में स्कूलों की भूमिका काफी अहम हो जाती है।

यूरोपीय बच्चों के बारे में स्वास्थ्य संगठन ने जानकारी दी है कि वहां किशोरों में धूम्रपान की आदतों में गिरावट का सिलसिला जारी है, लेकिन नए और उभरते तम्बाकू एवं निकोटीन उत्पादों के इस्तेमाल में वृद्धि हुई है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट भी शामिल है।

अमेरिका में भी सरकार इसपर सख्त हो चुकी है। पिछले महीने ही अमेरिकी अधिकारियों ने कंपनियों को एक चेतावनी जारी की थी, जिसमें उनसे युवाओं को आकर्षित करने के लिए डिजाईन की गई अवैध ई-सिगरेट की बिक्री को बंद करने की चेतावनी दी थी। इनमें से कई सिगरेट कार्टून के चरित्रों यहां तक की टेडी बियर के आकार की होती हैं, जिससे युवक आकर्षित हो सकें। 

तम्बाकू से दूषित हवा में सांस लेने को मजबूर आधे बच्चे

विश्व स्वास्थ्य संगठन में स्वास्थ्य संवर्धन के निदेशक डॉक्टर रुएडिगर क्रेच ने इस बात पर जोर दिया है कि बच्चों को चाहे कक्षा में बैठे हों, बाहर खेल रहे हों या स्टॉप पर बस का इन्तजार कर रहे हों, उन्हें इसके घातक धुंए, ई-सिगरेट से होते घातक उत्सर्जन और इन उत्पादों को बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों से भी बचाने की जरूरत है।

उनका कहना है कि, "यह बेहद चिन्ताजनक है कि तम्बाकू उद्योग अब भी युवाओं को निशाना बना रहे हैं। साथ ही उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाकर अपने जेबें भर रहे हैं।

डब्ल्यूएचओ से जुड़े यूरोप के क्षेत्रीय निदेशक, डॉक्टर हैंस हेनरी क्लूज का इस बारे में कहना है कि, "अगर हमने जल्द कदम न उठाए, तो तम्बाकू उद्योग के इस अनैतिक आचरण के चलते जल्द ही तम्बाकू और निकोटीन का उपयोग करने वाली अगली पीढ़ी हमारे सामने होगी।"

डब्ल्यूएचओ के चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर केर्स्टिन स्कॉटे ने जिनीवा में पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि, "दुनिया के करीब आधे बच्चे तम्बाकू के चलते होते प्रदूषण युक्त हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। इसकी वजह से हर साल तम्बाकू के धुंए के संपर्क में आने से 51 हजार बच्चों की मौत हो जाती है।

वहीं अपने इन प्रकाशनों में डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि स्कूल, युवाओं के लिए सुरक्षित स्थान होने चाहिए, जहां वे निकोटीन उत्पादों के इस्तमाल या संपर्क में न आएं। युवाओं को धूम्रपान से बचाने में मदद करने के लिए, स्कूलों में धूम्रपान और निकोटीन मुक्त वातावरण बनाना आवश्यक है।

भारत में भी हर साल लाखों लोगों की जान ले रहा है धूम्रपान

स्वास्थ्य संगठन ने अपने दिशानिर्देशों में उन देशों पर भी प्रकाश डाला है, जिन्होंने तम्बाकू और निकोटीन मुक्त स्कूल परिसर सुनिश्चित करने के लिए सफल नीतियां लागू की हैं। इनमें भारत, इंडोनेशिया, आयरलैंड, किर्गिस्तान, मोरक्को, कतर, सीरिया, सऊदी अरब और यूक्रेन शामिल हैं।

अंतराष्ट्रीय जर्नल लैंसेट में छपे एक अध्ययन से पता चला है कि तम्बाकू का उपयोग भारत के लिए एक बड़ी समस्या है। आंकड़े दर्शाते हैं कि देश में धूम्रपान के कारण हर साल 10 लाख लोगों की मौत हो रही है। इतना ही नहीं इस आंकड़े में पिछले तीन दशकों में 58.9 फीसदी का इजाफा हुआ है। वहीं यदि सभी रूपों में तम्बाकू के सेवन की बात करें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक भारत में हर साल होने वाली साढ़े तरह लाख मौतों के लिए तम्बाकू जिम्मेवार है।

गौरतलब है कि भारत दुनिया में तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है। ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे इंडिया, 2016-17 के मुताबिक देश में 29 फीसदी वयस्क (करीब 26.7 करोड़ लोग) तंबाकू का सेवन करते हैं। इसमें खैनी, गुटखा, सुपारी, जर्दा, बीड़ी, सिगरेट और हुक्का जैसे उत्पाद शामिल हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यह नई गाइड और टूलकिट स्कूलों को निकोटीन और तंबाकू मुक्त वातावरण बनाने के लिए चरण-दर-चरण निर्देश प्रदान करती है। इस दृष्टिकोण में शिक्षक, कर्मचारी, छात्र और अभिभावकों सहित स्कूल से जुड़े सभी लोग शामिल हैं। गाइड और टूलकिट में विभिन्न विषयों को शामिल किया गया है, जिसमें धूम्रपान छोड़ने के इच्छुक छात्रों की मदद करना, इसके लिए शैक्षिक अभियान चलाना, नीतियां बनाना और उनका कार्यान्वयन सुनिश्चित करना शामिल है।

यह गाइड युवाओं के लिए तंबाकू और निकोटीन मुक्त वातावरण बनाने के लिए चार तरीकों पर जोर देती है:

  • स्कूल परिसरों में निकोटीन और तम्बाकू उत्पादों पर प्रतिबन्ध लगाना।
  • स्कूलों के पास उत्पादों की बिक्री पर रोक लगाना।
  • कक्षाओं के आसपास प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष विज्ञापनों के साथ-साथ निकोटीन एवं तम्बाकू उत्पादों के प्रचार पर प्रतिबन्ध लगाना।
  • स्कूल की किसी भी परियोजना के लिए, तम्बाकू एवं निकोटीन उद्योगों के साथ साझेदारी और प्रायोजन से इनकार करना।

डब्ल्यूएचओ की माने तो यह नई गाइड बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को बढ़ावा देने के साथ-साथ निकोटीन और तंबाकू मुक्त स्कूल स्थापित करने में मदद कर सकती है। इतना ही नही यह नीतियां युवाओं को धूम्रपान करने से रोकने, छात्रों की भलाई और उन्हें बेहतर बनाने में मददगार हो सकती हैं। यह सेकेंड हैंड धुएं में मौजूद हानिकारक पदार्थों से बचाने के साथ सिगरेट से फैलते कचरे को कम करने और सफाई पर होते खर्च को कम करने में भी मदद कर सकती हैं।

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