दुनिया भर में तीन लाख बच्चे थैलेसीमिया के लक्षणों के साथ पैदा होते हैं

विश्व थैलेसीमिया दिवस: थैलेसीमिया एक आनुवंशिक रक्त विकार है जिसके कारण शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से कम हो जाता है।
थैलेसीमिया के रोगियों का स्टेम सेल प्रत्यारोपण से इलाज किया जा सकता है, जिसमें उनके शरीर में खराब खून बनाने वाली कोशिकाओं को दाता से हासिल कर स्वस्थ कोशिकाओं से बदल दिया जाता है।
थैलेसीमिया के रोगियों का स्टेम सेल प्रत्यारोपण से इलाज किया जा सकता है, जिसमें उनके शरीर में खराब खून बनाने वाली कोशिकाओं को दाता से हासिल कर स्वस्थ कोशिकाओं से बदल दिया जाता है।फोटो साभार: आईस्टॉक
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थैलेसीमिया आज भी दुनिया भर में बच्चों और उनके परिवारों के लिए बहुत सी शारीरिक और भावनात्मक समस्याओं का कारण बना हुआ है। दुनिया भर में थैलेसीमिया से पीड़ित लोगों की संख्या सबसे अधिक है।

थैलेसीमिया बच्चों से जुड़ी एक ऐसी बीमारी है जिसके बारे में बहुत कम जानकारी है। भारत में हर साल लगभग 10 से 12 हजार बच्चे इस बीमारी का शिकार होते हैं। ऐसे में इस बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल आठ मई को विश्व थैलेसीमिया दिवस मनाया जाता है।

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थैलेसीमिया के रोगियों का स्टेम सेल प्रत्यारोपण से इलाज किया जा सकता है, जिसमें उनके शरीर में खराब खून बनाने वाली कोशिकाओं को दाता से हासिल कर स्वस्थ कोशिकाओं से बदल दिया जाता है।

थैलेसीमिया होता क्या है?

थैलेसीमिया एक आनुवंशिक रक्त विकार है जिसके कारण शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से कम हो जाता है। यह रक्त की ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता को प्रभावित करता है जिसके कारण एनीमिया, थकान और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

थैलेसीमिया से पीड़ित लोगों को स्वस्थ हीमोग्लोबिन के स्तर को बनाए रखने के लिए नियमित रक्त बदलने सहित आजीवन देखभाल की जरूरत पड़ती है। थैलेसीमिया के रोगियों का स्टेम सेल प्रत्यारोपण से इलाज किया जा सकता है, जिसमें उनके शरीर में खराब खून बनाने वाली कोशिकाओं को दाता से हासिल कर स्वस्थ कोशिकाओं से बदल दिया जाता है।

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थैलेसीमिया के रोगियों का स्टेम सेल प्रत्यारोपण से इलाज किया जा सकता है, जिसमें उनके शरीर में खराब खून बनाने वाली कोशिकाओं को दाता से हासिल कर स्वस्थ कोशिकाओं से बदल दिया जाता है।

विश्व थैलेसीमिया दिवस 2025 की थीम “थैलेसीमिया के लिए एक साथ: समुदायों को एकजुट करना, रोगियों को प्राथमिकता देना” है। यह थीम विशेष रूप से इस विकार के बारे में जागरूकता बढ़ाने में सामुदायिक सहयोग के महत्व को सामने लाता है। इस साल थीम का लक्ष्य थैलेसीमिया से पीड़ित लोगों के लिए देखभाल, उपचार और सहायता में सुधार के लिए समुदाय के नेतृत्व वाले काम को बढ़ावा देना है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, थैलेसीमिया और सिकल-सेल एनीमिया सहित हीमोग्लोबिनोपैथी आनुवंशिक विकार हैं। दुनिया भर की आबादी का लगभग पांच फीसदी रोगात्मक हीमोग्लोबिन जीन के वाहक हैं।

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थैलेसीमिया के रोगियों का स्टेम सेल प्रत्यारोपण से इलाज किया जा सकता है, जिसमें उनके शरीर में खराब खून बनाने वाली कोशिकाओं को दाता से हासिल कर स्वस्थ कोशिकाओं से बदल दिया जाता है।

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि हर साल, 3,00,000 नवजात इन समस्याओं के साथ पैदा होते हैं, जो मुख्य रूप से सिकल-सेल एनीमिया है। इसलिए, इन समस्याओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना जरूरी है ताकि प्रभावित परिवारों के लिए शुरुआती पहचान, बेहतर देखभाल और सहायता को बढ़ावा देने में मदद मिल सके।

विश्व थैलेसीमिया दिवस का इतिहास 1994 से शुरू होता है, जब थैलेसीमिया अंतर्राष्ट्रीय फेडरेशन (टीआईएफ) के संस्थापक पैनोस एंगलजोस ने इस विकार के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए इस दिवस को मनाने की घोषणा की थी।

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थैलेसीमिया के रोगियों का स्टेम सेल प्रत्यारोपण से इलाज किया जा सकता है, जिसमें उनके शरीर में खराब खून बनाने वाली कोशिकाओं को दाता से हासिल कर स्वस्थ कोशिकाओं से बदल दिया जाता है।

किस तरह हीमोग्लोबिन का स्तर बनाए रखा जा सकता है?

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, आयरन युक्त खाद्य पदार्थ खाने से हीमोग्लोबिन का स्तर पर्याप्त रूप से बनाए रखा जा सकता है। लोगों को अपने निर्धारित हीमोग्लोबिन स्तर को बनाए रखने के लिए फोलेट, विटामिन बी 12, विटामिन ए और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। आयरन के सेवन को बढ़ाने के लिए, मछली, मुर्गी, फलियां, फोर्टिफाइड अनाज और गहरे हरे पत्तेदार सब्जियों का सेवन करने की सलाह दी जाती है।

आहार में विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल किया जा सकता हैं जो आयरन के अवशोषण को बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं। यह आयरन युक्त खाद्य पदार्थ खाते समय चाय, कॉफी, कोको और कैल्शियम जैसे खाद्य पदार्थों से बचने की भी सलाह दी जाती है क्योंकि पूर्व को आयरन अवरोधक के रूप में जाना जाता है। कम हीमोग्लोबिन स्तर वाले लोग सप्लीमेंट लेने पर भी विचार कर सकते हैं।

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