भारत में पिछले पांच सालों में युवा लड़कियों में अनीमिया का प्रसार नौ फीसदी बढ़ा: अध्ययन

अध्ययन के अनुसार, अनीमिया के प्रसार में असम, छत्तीसगढ़ और त्रिपुरा में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई
फोटो: अमित शंकर/सीएसई
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भारत में किशोर महिलाओं में खून की कमी या अनीमिया की दर में भारी वृद्धि देखी जा रही है। पीएलओएस ग्लोबल पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित नवीनतम अध्ययन के अनुसार, अनीमिया का प्रसार 2015 और 2016 में 54.2 प्रतिशत से बढ़कर 2019 से 2021 में 58.9 प्रतिशत हो गया। इस अध्ययन में देश के 21 राज्यों के प्रतिभागियों का विश्लेषण किया गया है।

क्या होता है अनीमिया या खून की कमी?

अनीमिया शरीर के ऊतकों तक ऑक्सीजन ले जाने के लिए पर्याप्त स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं या हीमोग्लोबिन की कमी की समस्या है। हीमोग्लोबिन लाल कोशिकाओं में पाया जाने वाला एक प्रोटीन है जो फेफड़ों से शरीर के अन्य सभी अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचाता है। अनीमिया होने पर थकान, कमजोरी और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।

अध्ययन के अनुसार, खून की कमी या अनीमिया के प्रसार में, असम, छत्तीसगढ़ और त्रिपुरा में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि पंजाब, कर्नाटक, तेलंगाना, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में पांच प्रतिशत से कम की मामूली वृद्धि दर्ज हुई है।

अध्ययन के हवाले से कहा गया है कि, इसका उद्देश्य 2015 से 2021 तक युवा लड़कियों के बीच स्थिति की व्यापकता का अवलोकन करते हुए अनीमिया से जुड़े प्रमुख कारणों की पहचान करना था।

यह शोधकर्ताओं द्वारा 1,16,117 और 1,09,400 किशोर लड़कियों जिनकी आयु 15 से 19 वर्ष की है, इनकी जानकारी को देखकर पूरा किया गया, जिन्होंने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के चौथे और पांचवें दौर में भाग लिया था।

क्या कारण है अनीमिया के पीछे?

अध्ययन में कहा गया है कि प्रसार में वृद्धि के पीछे कुछ कारणों में एक से अधिक बच्चे होना, औपचारिक शिक्षा का अभाव, कम वजन होना कुछ प्रमुख कारण हैं। हालांकि, अध्ययन अवधि के दौरान उत्तराखंड और केरल में अनीमिया के प्रसार में गिरावट देखी गई।

शोधकर्ताओं ने कहा कि अनीमिया एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दा बन गया है, खासकर भारतीय महिलाओं के लिए। हालांकि, किशोर महिलाओं में अनीमिया की व्यापकता समय के साथ गहन शोध का विषय नहीं रही है।

किस तरह से बचा जा सकता है अनीमिया से?

पोषण को लेकर, गर्भवती माताओं के लिए, आयरन और अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्वों से भरपूर संतुलित आहार महत्वपूर्ण है। स्थिति के आधार पर, चिकित्सा पेशेवर आयरन की खुराक लेने की सलाह दी जा सकती है।

आयरन सप्लीमेंट- स्वास्थ्य की देखभाल करने वाले आयरन की कमी के आधार पर नवजात शिशुओं के लिए आयरन सप्लीमेंट की सलाह दे सकते हैं। बच्चे को क्या चाहिए, उसके आधार पर खुराक का चयन किया जाएगा।

शुरुआती हस्तक्षेप- यदि आयरन की कमी या अनीमिया पाया जाता है तो नवजात शिशु की जरूरतों के लिए विशिष्ट उपचार रणनीति विकसित की जानी चहिए। इसमें आयरन सप्लीमेंट, आहार में संशोधन और निरंतर अवलोकन शामिल हो सकता है।

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