मिट्टी के प्रदूषण से पड़ सकता है दिल का दौरा, वैज्ञानिकों ने दी है चेतावनी

शोध के मुताबिक मिट्टी में कीटनाशकों और भारी धातुओं का हृदय पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकते हैं
फोटो : विकिमीडिया कॉमन्स
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एक नए शोध में कहा गया है कि मिट्टी में प्रदूषण की वजह से दिल का दौरा पड़ सकता है, क्योंकि मिट्टी के प्रदूषकों में भारी धातु, कीटनाशक और प्लास्टिक शामिल होते हैं।

शोधकर्ताओं का कहना है कि दूषित मिट्टी रक्त वाहिकाओं में ऑक्सीडेटिव तनाव अर्थात अधिक खराब मुक्त कणों और अच्छे एंटीऑक्सिडेंट को कम करती है। यह शरीर में सूजन पैदा करके शरीर की घड़ी में गड़बड़ी पैदा कर हृदय रोग को बढ़ा सकती है।

यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर मेंज, जर्मनी के शोधकर्ता प्रोफेसर थॉमस मुंज़ेल ने कहा कि गंदी हवा की तुलना में मिट्टी का प्रदूषण मानव स्वास्थ्य के लिए कम दिखाई देने वाला खतरा है। लेकिन इसके सबूत बढ़ रहे हैं, मिट्टी में प्रदूषक सूजन सहित कई तंत्रों के माध्यम से हृदय या कार्डियोवैस्कुलर स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं और शरीर की प्राकृतिक घड़ी में गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं।

हवा, पानी और मिट्टी का प्रदूषण हर साल होने वाली कम से कम 90 लाख मौतों के लिए जिम्मेदार है। प्रदूषण से संबंधित 60 फीसदी से अधिक रोग और मृत्यु हृदय रोग जैसे क्रोनिक इस्केमिक हृदय रोग, दिल का दौरा, स्ट्रोक और हृदय ताल विकार (अतालता) के कारण होती है।

गंदी मिट्टी रेगिस्तान की धूल, उर्वरक क्रिस्टल या प्लास्टिक के कणों को अंदर ले कर शरीर में प्रवेश कर सकती है। भारी धातुओं जैसे कैडमियम और सीसा, प्लास्टिक और जैविक विषाक्त पदार्थों का भी मौखिक रूप से सेवन किया जा सकता है। मृदा प्रदूषक नदियों में मिल जाते हैं और यह पानी को गंदा करते हैं जिसका हो सकता है इसका सेवन किया जाए।

कीटनाशकों को हृदय रोग के बढ़ते खतरों से जोड़ा गया है। जबकि कृषि और रासायनिक उद्योगों में कर्मचारियों को सबसे अधिक खतरों का सामना करना पड़ता है, आम जनता दूषित भोजन, मिट्टी और पानी से कीटनाशकों का सेवन कर सकती है।

कैडमियम एक भारी धातु है जो प्राकृतिक रूप से हवा, पानी, मिट्टी और भोजन में कम मात्रा में होती है और यह औद्योगिक और कृषि स्रोतों से भी आती है। धूम्रपान न करने वालों में भोजन कैडमियम का मुख्य स्रोत है।

शोध में कहा गया है कि लोगों पर किए गए अध्ययनों ने कैडमियम और हृदय रोग के बीच संबंधों पर मिश्रित परिणाम दिखाए हैं। एक कोरियाई अध्ययन का हवाला देते हुए कहा गया है कि उच्च रक्त कैडमियम वाले मध्यम आयु वर्ग के कोरियाई लोगों में स्ट्रोक और उच्च रक्तचाप के जोखिम बढ़ गए थे।

सीसा खनन, गलाने, निर्माण और रीसायकल के माध्यम से पर्यावरण प्रदूषण के साथ प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली जहरीली धातु है। अध्ययनों में महिलाओं में और मधुमेह वाले लोगों में उच्च रक्त चाप में सीसे का स्तर और हृदय रोग के बीच संबंध पाया गया है, जिसमें कोरोनरी हृदय रोग, दिल का दौरा और स्ट्रोक शामिल हैं।

आगे के अध्ययनों ने आर्सेनिक के संपर्क से जुड़े हृदय रोग से मृत्यु के एक अत्यधिक खतरे का संकेत दिया है, एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला धातु जिसका स्तर औद्योगिक प्रक्रियाओं के कारण बढ़ सकता है और फसलों की सिंचाई के लिए दूषित पानी का उपयोग किया जा सकता है।

शोध में कहा गया है कि खाद्य आपूर्ति श्रृंखलाओं के बढ़ते वैश्वीकरण और फलों, सब्जियों और मांस के साथ इन भारी धातुओं का सेवन बढ़ जाता है।

हवा में फैली दूषित धूल से होने वाले खतरों पर गौर किया गया है। रेगिस्तान की धूल लंबी दूरी तय कर सकती है। शोध से पता चला है कि चीन और मंगोलिया में मिट्टी के कण जापान में दिल के दौरे की बढ़ती समस्याओं से संबंधित थे। एशियाई धूल के संपर्क से जापान के आपातकालीन विभाग में हृदय संबंधी दौरे की संख्या 21 फीसदी अधिक पाई गई।

जबकि मनुष्यों में नैनो और माइक्रोप्लास्टिक के कार्डियोवैस्कुलर स्वास्थ्य प्रभावों पर कोई अध्ययन नहीं है, शोध से पता चला है कि ये कण रक्त प्रवाह तक पहुंच सकते हैं, जिससे यह संभव हो जाता है कि वे अलग-अलग अंगों तक पहुंच सकते हैं। जिसके कारण सूजन और कार्डियोमेटाबोलिक या हृदय से संबंधित बीमारी हो सकती हैं।

प्रोफेसर मुंजेल ने कहा हृदय रोग पर कई तरह की मिट्टी के प्रदूषकों के प्रभाव पर अधिक अध्ययन करने की आवश्यकता है। क्योंकि हम शायद ही कभी अकेले एक जहरीले एजेंट के संपर्क में आते हैं। नैनो और माइक्रोप्लास्टिक कार्डियोवैस्कुलर बीमारी को कैसे शुरू और बढ़ा सकता है, इस पर शोध की तत्काल जरूरत है। यह शोध कार्डियोवैस्कुलर रिसर्च नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। 

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