महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध के बीच निर्भया फंड के इस्तेमाल की सुस्ती

कई राज्यों ने निर्भया फंड का आधा हिस्सा भी नहीं खर्च किया है
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पूरे देश के झकझोर कर रख देने वाले निर्भया गैंगरेप हादसे को 10 साल पूरे हो गए हैं। इस घटना ने महिलाओं की सुरक्षा को देशभर में बहस का विषय बना दिया था। सरकार ने महिलाओं की सुरक्षित रखने के लिए कई योजनाएं भी शुरू कीं, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में कमी नहीं आई है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार, 2012 यानी जिस साल निर्भया के साथ दरिंदगी हुई, उस साल महिलाओं के खिलाफ कुल 2,44,270 आपराधिक घटनाएं दर्ज की गई थीं जो 2021 में सवा चार लाख के पार (4,28,278) पहुंच गई।

निर्भया हादसे के बाद से अब केवल दो बार (2015 और 2020) ऐसा हुआ जब महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध में कमी आई, लेकिन शेष सभी वर्षों में अपराध बढ़े। 2021 में तो ऐसे अपराध अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गए। 2020 की तुलना में 2021 में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में 15.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

जहां एक तरफ महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाया गया निर्भया कोष की बड़ी धनराशि खर्च ही नहीं की गई है।

2012 में निर्भया के साथ हुई दरिंदगी के बाद 2013-14 में निर्भया फंड की शुरुआत की गई थी। शुरुआती दो वर्षों में फंड में 1,000-1,000 करोड़ रुपए डाले गए, लेकिन उसके बाद इसमें लगातार गिरावट आती रही। 2021-2022 और 2022-23 में इस कोष में 500-500 करोड़ रुपए ही डाले गए, जो अब तक की सबसे कम धनराशि है।

राज्यसभा सांसद फूलो देवी नेताम और प्रमोद तिवारी द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 3 अगस्त 2022 को बताया कि 2022-23 तक कुल 6,712.85 करोड़ रुपए का आवंटन निर्भया फंड के तहत किया गया है जिसमें से 4,480.30 करोड़ रुपए जारी कर दिए गए हैं। महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने इसी प्रश्न के जवाब में बताया कि निर्भया फंड से जारी करीब 68 प्रतिशत हिस्सा खर्च कर दिया गया है।

लोकसभा में 25 मार्च 2022 को पूछे गए प्रश्न के जवाब में मंत्रालय द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, बहुत से राज्य ऐसे हैं जिन्होंने आवंटित फंड का 50 प्रतिशत हिस्सा भी उपयोग नहीं किया है। उदाहरण के लिए आंध्र प्रदेश को कुल 118.53 करोड़ रुपए निर्भया फंड से जारी किए गए हैं लेकिन उसने 39.21 करोड़ (लगभग 33 प्रतिशत) रुपए का ही उपयोग किया है।

इसी तरह असम ने लगभग 77 करोड़ रुपए में से 18 करोड़, बिहार ने 113 रुपए में 36 करोड़, छत्तीसगढ़ ने 83 करोड़ रुपए में से 37 करोड, हरियाणा ने 55 करोड़ रुपए में से 24 करोड़, हिमाचल प्रदेश ने 35 करोड़ रुपए में से 11 करोड़, उत्तर प्रदेश ने 488 करोड़ रुपए में से 187 करोड़ रुपए, तमिलनाडु ने 330 करोड़ रुपए में से 96 करोड़ रुपए और पंजाब ने 62 करोड़ रुपए में से 20 करोड़ रुपए का ही उपयोग किया है। निर्भया फंड के उपयोग के मामले में दिल्ली का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा। दिल्ली ने 422 करोड़ रुपए में से करीब 412 करोड़ रुपए खर्च कर दिए।

इससे पहले भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय द्वारा 22 जुलाई 2021 को जारी विज्ञप्ति में जानकारी दी गई है कि निर्भया फंड के लिए अब तक 6,212.85 करोड़ रुपए का आवंटन हुआ है। इसमें से 4,087.37 करोड़ रुपए विभिन्न मंत्रालयों व विभागों द्वारा जारी किए गए हैं और इनमें से 2,871.42 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। विज्ञप्ति में यह जानकारी भी दी गई कि एम्पावर्ड कमिटी द्वारा निर्भया फंड की योजनाओं का मूल्य  9,764.30 करोड़ आंका गया है।

मार्च 2020 में महिला सुरक्षा पर संसदीय रिपोर्ट संख्या 316 में कहा गया था कि निर्भया फंड से चल रही परियोजनाएं सुस्त पड़ी हैं और उनमें तेजी लाने की जरूरत है। संसदीय समिति ने सुझाव दिया था कि कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक समिति को परियोजनाओं की प्रगति को देखना चाहिए। संसदीय समिति का यह भी कहना था कि मंत्रालय व विभागों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि निर्भया फंड से चल रही परियोजनाएं तय समय पर पूरी हों क्योंकि ये परियोजनाएं महिलाओं की सुरक्षा की दृष्टि से अहम हैं।

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