एचआईवी/एड्स उपचार: एआरटी दवाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को दिया निर्देश

यह एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) दवाएं एचआईवी/एड्स के इलाज में उपयोग की जाती हैं
प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
Published on

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) दवाओं को लेकर उठाई चिंताओं को संबोधित करने का आदेश दिया है। यह दवाएं एचआईवी/एड्स के इलाज में उपयोग की जाती हैं।

24 फरवरी, 2025 को जारी अपने आदेश में अदालत ने राज्यों से अपना हलफनामा दाखिल करने को भी कहा है। उन्हें अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक महीने का समय दिया गया है।

गौरतलब है कि इस मामले में नेटवर्क ऑफ पीपल लिविंग विद एचआईवी/एड्स और अन्य के द्वारा एक याचिका दायर की गई थी। अदालत ने याचिकाकर्ताओं को एक चार्ट प्रस्तुत करने की भी अनुमति दी है, जिसमें विभिन्न राज्यों और भारत सरकार द्वारा किए कार्यों को दर्शाया गया हो।

मामले में अगली सुनवाई चार अप्रैल, 2025 को होगी।

पर्यावरण मंजूरी के बिना श्रीस्तीनगर टाउनशिप प्रोजेक्ट में नहीं होना चाहिए कोई निर्माण: एनजीटी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बंगाल सृष्टि इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट लिमिटेड को श्रीस्तीनगर टाउनशिप परियोजना में किसी भी तरह के निर्माण से परहेज करने का आदेश दिया है। 24 फरवरी, 2025 को अदालत ने कहा कि जब तक पर्यावरण मंजूरी नहीं मिल जाती, किया गया कोई भी निर्माण नियमों का उल्लंघन होगा।

ऐसे में आदेश के मुताबिक परियोजना प्रस्तावक के लिए काम को आगे बढ़ाने से बचना उचित होगा। मामला पश्चिम बर्दवान जिले का है।

गौरतलब है कि फैक्ट फाइंडिंग कमिटी ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए बंगाल सृष्टि इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट लिमिटेड पर 12.75 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। पश्चिम बर्दवान के जिला मजिस्ट्रेट ने भी समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के निष्कर्षों पर सहमति जताई है।

वहीं बंगाल सृष्टि इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट लिमिटेड की ओर से पेश वकील ने फैक्ट फाइंडिंग कमिटी की रिपोर्ट पर जवाब देने के लिए अदालत से और समय मांगा है। परियोजना प्रस्तावक का दावा है कि उसने उल्लंघन श्रेणी के तहत पर्यावरण मंजूरी के लिए आवेदन किया था, क्योंकि निर्माण पर्यावरण मंजूरी मिलने से पहले ही शुरू हो गया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रक्रिया पर पहले ही रोक लगा दी है।

इस मामले में आवेदक आशीष कुमार ने नुनिया नदी में मलबा डाले जाने का आरोप लगाते हुए आवेदन दाखिल किया था। उन्होंने तीन निर्माण परियोजनाओं- तरंग, टाउन हाउस और संगति को लेकर चिंता जताई है।

ये सभी परियोजनाएं आसनसोल दुर्गापुर विकास प्राधिकरण की जमीन पर बनाई जा रही हैं, जो श्रीस्तीनगर टाउनशिप को आवंटित की गई है। यह 89.67 एकड़ भूमि पर बन रही हैं। यह भी कहा गया है कि इन परियोजनाओं के पास राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) द्वारा जारी कोई पर्यावरण मंजूरी भी नहीं है।

यह भी आरोप है कि अवैध निर्माण ने गारुई नदी के लंबे हिस्से पर कब्जा कर लिया है, जिससे यह नदी एक संकरे नाले में बदल गई है। यह भी कहा गया है कि गारुई, नूनिया नदी की सहायक नदी है, जो फिर दामोदर नदी में मिल जाती हैं। औद्योगिक और निर्माण गतिविधियों से दोनों नदियां बुरी तरह प्रभावित हैं।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in