रुमेटॉइड अर्थराइटिस: दर्द शुरू होने से सालों पहले ही चुपचाप शुरू हो जाती है बीमारी

रुमेटॉइड आर्थराइटिस केवल एक “जोड़ों की बीमारी” नहीं, बल्कि एक लंबी और जटिल इम्यून प्रक्रिया है जो चुपचाप शरीर में शुरू होती है।
नई रिसर्च ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हमें बीमारी को केवल लक्षणों से पहचानने की बजाय उसके शुरुआती संकेतों और बायोमार्कर्स पर ध्यान देना होगा।
नई रिसर्च ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हमें बीमारी को केवल लक्षणों से पहचानने की बजाय उसके शुरुआती संकेतों और बायोमार्कर्स पर ध्यान देना होगा।फोटो साभार: आईस्टॉक
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सारांश
  • रुमेटॉइड आर्थराइटिस दर्द आने से कई साल पहले ही शरीर में शुरू हो जाती है बीमारी।

  • रिसर्च में पाया गया कि शरीर में सूजन और इम्यून बदलाव पहले से सक्रिय रहते हैं।

  • बी और टी कोशिकाएं लक्षण आने से पहले ही नुकसान पहुंचाने लगती हैं।

  • एसीपीए एंटीबॉडी शुरुआती चेतावनी संकेत हो सकती है।

  • नई खोज से रोकथाम आधारित इलाज की नई दिशा खुली है।

अब तक यह माना जाता रहा है कि रुमेटॉइड आर्थराइटिस तब शुरू होती है जब मरीज को जोड़ों में दर्द और सूजन महसूस होने लगती है। लेकिन हाल ही में हुई एक महत्वपूर्ण रिसर्च ने इस धारणा को बदल दिया है। नई खोज से पता चला है कि आरए का सफर दर्द शुरू होने से कई साल पहले ही चुपचाप शरीर में शुरू हो जाता है।

यह अध्ययन अमेरिका के एलन इंस्टीट्यूट, सीयू एंशुट्ज, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैन डिएगो और बेनारोया अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने मिलकर किया और इसे साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित किया गया।

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नई रिसर्च ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हमें बीमारी को केवल लक्षणों से पहचानने की बजाय उसके शुरुआती संकेतों और बायोमार्कर्स पर ध्यान देना होगा।

रुमेटॉइड अर्थराइटिस क्या है?

रुमेटॉइड आर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है। इसमें शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र, जो हमें बीमारियों से बचाने के लिए बना है, उल्टा हमारे ही जोड़ों पर हमला करने लगता है। नतीजा जोड़ों में सूजन, दर्द, अकड़न और धीरे-धीरे उनका क्षतिग्रस्त होना होता है। यह बीमारी मरीज की रोजमर्रा की जिंदगी को बेहद कठिन बना देती है।

नई खोज : दर्द से पहले ही शुरू हो जाता है बदलाव

इस रिसर्च ने साबित किया कि आरए केवल जोड़ों की बीमारी नहीं, बल्कि पूरे शरीर को प्रभावित करने वाली प्रक्रिया है, जो लक्षण दिखने से पहले ही सक्रिय हो जाती है।

शोधकर्ताओं ने उन लोगों पर सात साल तक अध्ययन किया जिनके खून में एसीपीए एंटीबॉडी मौजूद थे। यह एंटीबॉडी आरए के जोखिम वाले लोगों की पहचान करने के लिए एक बायोमार्कर मानी जाती हैं। अध्ययन में पाया गया कि इन लोगों के शरीर में कई स्तरों पर बदलाव हो रहे थे, भले ही उन्हें कोई दर्द महसूस न हो।

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नई रिसर्च ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हमें बीमारी को केवल लक्षणों से पहचानने की बजाय उसके शुरुआती संकेतों और बायोमार्कर्स पर ध्यान देना होगा।

रिसर्च की प्रमुख खोजें

1. विस्तृत इन्फ्लेमेशन (सूजन)

शरीर में पहले से ही सिस्टमेटिक इंफ्लेमेशन मौजूद था। यह सिर्फ जोड़ों तक सीमित नहीं था, बल्कि पूरे शरीर में फैला हुआ था। यह सूजन उतनी ही गंभीर थी जितनी कि पहले से आरए से पीड़ित मरीजों में देखी जाती है।

2. इम्यून कोशिकाओं की गड़बड़ी

बी कोशिकाएं, जो सामान्यतः शरीर को बचाने वाले एंटीबॉडी बनाती हैं, अब उल्टा सूजन और नुकसान पहुंचाने वाले एंटीबॉडी बना रही थीं।

टी हेल्पर कोशिकाएं, खासकर टीएफएच17 कोशिकाएं, असामान्य रूप से बढ़ गई थीं और वे शरीर के अंगों पर हमला करने में प्रमुख भूमिका निभा रही थीं।

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3. कोशिकाओं का री-प्रोग्रामिंग

सबसे चौंकाने वाली खोज यह थी कि यहां तक कि वे “नेवी टी सेल्स”, जो अभी तक किसी संक्रमण या खतरे से नहीं लड़े थे, उनमें भी एपीजेनेटिक बदलाव पाए गए। इसका मतलब था कि कोशिकाओं के डीएनए में बदलाव नहीं हुआ, लेकिन जीन के ऑन और ऑफ होने का तरीका बदल गया था। यानी कोशिकाएं पहले से ही दुश्मन बनने के लिए तैयार हो रही थीं।

4. खून में जोड़ जैसी सूजन

खून की मोनोसाइट्स कोशिकाएं अत्यधिक सूजनकारी पदार्थ छोड़ रही थीं। यह कोशिकाएं आरए मरीजों के जोड़ों में पाए जाने वाले मैक्रोफेज जैसी ही दिख रही थीं। इससे संकेत मिला कि बीमारी लक्षण आने से पहले ही शरीर को जोड़ों पर हमला करने के लिए तैयार कर रही थी।

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डॉक्टरों और वैज्ञानिकों की राय

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि उम्मीद करते हैं कि यह अध्ययन यह जागरूकता बढ़ाएगा कि रुमेटॉइड आर्थराइटिस सोच से कहीं पहले शुरू हो जाती है। साथ ही यह शोधकर्ताओं को ऐसी रणनीति बनाने में मदद करेगा जिससे बीमारी की शुरुआत को रोका जा सके।

वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर इन शुरुआती बायोमार्कर्स और इम्यून बदलावों की पहचान कर ली जाए, तो मरीजों को लक्षण आने से पहले ही सही निगरानी और इलाज दिया जा सकता है।

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क्यों है यह रिसर्च महत्वपूर्ण?

अब तक आरए का इलाज तभी शुरू होता था जब मरीज के जोड़ों में दर्द और सूजन शुरू हो चुकी होती थी। लेकिन इस रिसर्च ने दिखाया कि बीमारी सालों पहले शरीर में सक्रिय हो जाती है। इससे डॉक्टरों को मौका मिलेगा कि वे रोकथाम-आधारित इलाज की रणनीति अपनाएं। अगर समय रहते हस्तक्षेप हो जाए तो लाखों मरीजों को सालों तक दर्द और विकलांगता झेलने से बचाया जा सकता है।

रुमेटॉइड आर्थराइटिस केवल एक “जोड़ों की बीमारी” नहीं, बल्कि एक लंबी और जटिल इम्यून प्रक्रिया है जो चुपचाप शरीर में शुरू होती है। नई रिसर्च ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हमें बीमारी को केवल लक्षणों से पहचानने की बजाय उसके शुरुआती संकेतों और बायोमार्कर्स पर ध्यान देना होगा।

अगर हम समय रहते चेतावनी संकेत पकड़ लें और रोकथाम की दिशा में काम करें, तो लाखों लोग इस बीमारी से बच सकते हैं। भविष्य में यह रिसर्च हमारी चिकित्सा प्रणाली को बीमारी आने पर इलाज से बीमारी आने से पहले रोकथाम की दिशा में ले जा सकती है।

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