गुजरात के जिले सुरेंद्र नगर के कोविड-19 के आंकड़ों पर उठे सवाल

सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, कोविड-19 की वजह से गुजरात के सुरेंद्र नगर में अब तक 132 लोगों की मौत हुई है
गुजरात के सुरेंद्र नगर के सरकारी अस्पताल में इस तरह चल रहा है इलाज। फोटो: कलीम सिद्दीकी
गुजरात के सुरेंद्र नगर के सरकारी अस्पताल में इस तरह चल रहा है इलाज। फोटो: कलीम सिद्दीकी
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गुजरात सरकार के आंकड़ों के अनुसार सुरेंद्र नगर जिला कोरोना से कम संक्रमित जिलों की सूची में शामिल है। कोरोनावायरस संक्रमण के कारण जिले में दस मई तक 7257 मामले सामने आए थे, जबकि कोविड-19 बीमारी से मरने वालों की संख्या 127 बताई गई है। 20 मई तक मरने वालों की संख्या 132 पहुंच गई है। लेकिन जिले के इन आंकड़ों पर सवाल उठने लगे हैं। 

खासकर स्थानीय विधायक नौशाद सोलंकी द्वारा जिले में मृत्यु प्रमाण पत्र के आंकड़े जुटाने के बाद यह मामला गरमाता जा रहा है। सोलंकी बताते हैं कि कोरोना संक्रमण का दूसरा चरण शुरू होने के बाद एक मार्च से लेकर 7 मई के बीच कुल 5517 मृत्यु प्रमाण पत्र नगर निगम और ग्रांम पंचायतों द्वारा जारी किए गए। सोलंकी ने बताया कि 2018 से 2021 तक जिले में मासिक औसत मृत्यु 850 रही। जबकि एक मार्च से 7 मई के बीच जिले में 5517 मृत प्रमाण पत्र निगम और ग्राम पंचायत से जारी किए गए हैं। जो औसत मृत दर से 3577 अधिक है। इतनी अधिक मृत्यु का कारण क्या कोविड नहीं हो सकता?

नौशाद सोलंकी ने सुरेंद्र नगर की 10 तहसीलों के आंकड़े भी जारी किए हैं को सरकार द्वारा छिपाए जा रहे कोविड मृत आंकड़े की पोल खोलता है।

तहसील         मासिकऔसत मृत्यु            मार्च-7मई तक हुई मृत 
दसाडा                102                          371
वर्दवान                268                        1963
धांगेधरा               115                          811
लींबडी                 95                          505
थान गढ़               49                           293
चोटिला                63                           341
साइला                 65                           314
चुड़ा                   45                           233
लखतर                36                           197
मूडी                   61                           267
कोविड की पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर अधिक खतरनाक है। पहली लहर में सुरेंद्र नगर कम प्रभावित ज़िला था। दूसरी लहर के मृत आंकड़े डराने वाले हैं। आरोप है कि  कोविड से हुई मौतों को छुपाया जा रहा है। मुड़ी तहसील के रहने वाले तरुण गढ़वी ने बताया कि सरकार द्वारा जारी आंकड़े पर यकीन नहीं किया जा सकता, क्योंकि छोटे छोटे गांव जिसकी आबादी 500-700 है वहां भी 15-20 एक्टिव केस हैं।
नौशाद सोलंकी बताते हैं कि सुरेंद्र नगर जिले में किसी भी सरकारी अस्पताल में सीटी स्कैन की व्यवस्था नहीं है। सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर भी नहीं था। अब कुछ वेंटिलेटर आए हैं वह दान और एनजीओ सहयोग से है। आरटी पीसीआर टेस्ट के लिए भी प्राइवेट अस्पताल में जाना पड़ता है। आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग को इलाज के आभाव अथवा ऑक्सीजन की कमी से जान गवानी पड़ी। निजी अस्पताल एक बेड का एक दिन के लिए 8000 से 15000 रुपए ले रहे हैं। सरकार निजी अस्पतालों पर अंकुश लगाने में असफल रही है।
3500 की आबादी वाले जसपरा गांव के सरपंच परालिया रामसंगभाई बताते हैं कि हमारे गांव में 4-5 लोगों की कोरोना से मौत हुई है। हमलोग पहले से सजग थे। गांव के हर घर जाकर लोगों को कोरोना और मास्क के लिए जागरूक किया था। अब तक 500 लोग टीका भी लगवा चुके हैं। टीके की अगली खेप न मिल पाने के कारण टीकाकरण का काम रुक गया। इन सबके बावजूद अब भी 15-20 एक्टिव केस हैं।
उल्लेखनीय है कि गुजरात सरकार द्वारा जारी कोविड-19 के मरीजों के आंकड़ों पर गुजरात हाई कोर्ट भी सवाल उठा चुकी है। 15 अप्रैल 2021 को हाई कोर्ट ने कहा था कि सरकार कोविड-19 और उसके अलावा होने वाली बीमारी से हुई मौतों के आंकड़े जाहिर करे, ताकि जनता में विश्वास स्थापित हो। सरकार द्वारा हाई कोर्ट में दो एफिडेविट जमा किए गए हैं। दोनों एफिडेविट में मृत्यु के आंकड़े नहीं बताए।

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