यूपी के प्रयागराज से गुजरने वाली गंगा नदी में तेरह से अधिक लावारिश शव मिल चुके हैं जिसमें तीन आत्महत्या करने वालों के चिन्हित हुए जबकि अन्य बहते शवों का पता नहीं चल सका है। दूसरी ओर गंगा-यमुना किनारे फाफामऊ, श्रृंगवेरपुर, छतनाग, अरैल घाट जैसी कई जगहों पर बड़ी मात्रा में शव दफन मिले हैं। हालांकि यह कह पाना मुश्किल है कि गंगा किनारे रेत में दफन शवों में कितने कोरोना संक्रमित हैं?
प्रयागराज संगम तट के दोनों छोर छतनाग और अरैल घाट क्षेत्र में जहां तक नजर जाती है, रेत में दफन शव ही शव नज़र आ रहे हैं। वहीं शहर के दूसरे छोर फाफामऊ में भी बड़ी मात्रा में शव दफन हैं। रेत में दफन होने के कारण शवों की ठीक-ठीक संख्या बता पाना मुश्किल है लेकिन अनुमानित संख्या हजार से भी अधिक हो सकती हैं।
प्रयागराज में गंगा-यमुना किनारे भारी संख्या में शवों के दफनाए जाने से पर्यावरण तथा जल प्रदूषण का गम्भीर खतरा मंडराने लगा है। हर साल जुलाई माह से ही गंगा का जलस्तर बढ़ने लगता है। आस-पास के कई मोहल्ले, मंदिर और आश्रम पानी में डूब जाते हैं। फाफामऊ, छतनाग और अरैल घाट के आस-पास तेलियरगंज, सलोरी, बघाड़ा, दारागंज, छतनाग में रहने वाले लोगों में दहशत का माहौल है। लोग आशंकित हैं कि जुलाई माह में आने वाली बाढ़ के बाद पानी के साथ रेत में दफन शव उनके घरों तक न पहुंच जाएं?
कछार में भैंस चरा रहे महीन गांव के सुनील कुमार यादव (60) ने बताया कि "हिन्दू समुदाय में भी कुछ लोग मान्यताओं के कारण अपने परिजन के शवों को मिट्टी में दफन करते हैं लेकिन इतनी बड़ी संख्या में पहली बार शव कछार में दफन किये गए हैं। छतनाग घाट पर दस दिन पहले तक अंधाधुंध लाश जली। शव लाने वालों का तांता लगा रहता था। शव रखने की जगह नहीं रहती थी। लेकिन अभी कुछ सामान्य हुआ है दिनभर में 25-30 लाशें अभी भी आ रही हैं।"
बाढ़ में शवों के ऊपर आ जाने के सवाल पर सुनील कुमार कहते हैं कि "जो लाशें मिट्टी में गाड़ी गई हैं वो बाढ़ आने पर ऊपर नहीं आएंगी लेकिन जो बालू में गाड़ी गई हैं वो बारिश में उतरा (ऊपर) आएंगी। इतना ही नहीं मानव कंकाल बनारस तक पहुंच जाएंगे।"तीन दिनों की लगातार बारिश के बाद गंगा किनारे रेत में दफन शव खुलने लगे। श्रृंगवेरपुर के आस-पास रहने वालों ने बताया कि कुछ शवों के खुलने के बाद कुत्ते और सुवर नोच रहे थे।
सूचना के बाद प्रशासन ने कुछ जगहों पर लाशों पर मिट्टी भी डलवाई हैं। वहीं ग्रामीणों की शिकायत के बाद स्थानीय प्रशासन की ओर से लाशों को दफन करने पर रोक लगा दिया गया है। जगह-जगह शवों को दफन न करने की चेतावनी लिखी गई हैं। इसके बावजूद शव दफन किये जा रहे हैं।