दुनिया भर में आठ में से एक व्यक्ति है मोटापे का शिकार, भारत में महिलाओं में मोटापे की दर 9.8 फीसदी

भारत में महिलाओं में मोटापे की दर 1990 में 1.2 फीसदी से बढ़कर 2022 में 9.8 फीसदी हुई, वहीं, पुरुषों में, 1990 में 0.5 फीसदी से 2022 में 5.4 फीसदी हो गई
पोषण विशेषज्ञ मोटापे को लेकर एक महिला की कमर का निरीक्षण करते हुए, फोटो साभार : आईसटॉक
पोषण विशेषज्ञ मोटापे को लेकर एक महिला की कमर का निरीक्षण करते हुए, फोटो साभार : आईसटॉक
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द लैंसेट में प्रकाशित एक नए अध्ययन के मुताबिक, दुनिया भर में बच्चों और किशोरों में मोटापे की दर 1990 से 2022 तक चार गुना बढ़ गई है, जबकि वयस्कों में मोटापे की दर दोगुनी से अधिक हो गई है

दुनिया भर में मोटापे से ग्रस्त बच्चों, किशोरों और वयस्कों की कुल संख्या एक अरब से अधिक हो गई है। कुल मिलाकर, 2022 में 15.9 करोड़ बच्चे और किशोर तथा 87.9 करोड़ वयस्क मोटापे से ग्रस्त थे। आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि 2022 में 43 फीसदी वयस्क अधिक वजन वाले थे।

यह अध्ययन विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्ल्यूएचओ) के सहयोग से किया गया था। जिसमें 190 से अधिक देशों में 1,500 से अधिक शोधकर्ताओं ने पांच साल या उससे अधिक उम्र के 22 करोड़ से अधिक लोगों के वजन और ऊंचाई की माप का विश्लेषण किया। उन्होंने यह समझने के लिए बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) को देखा कि 1990 से 2022 तक दुनिया भर में मोटापा और कम वजन में किस तरह बदलाव आया।

अध्ययन से यह भी पता चलता है कि भले ही कुपोषण की दर में गिरावट आई है, लेकिन यह अभी भी कई हिस्सों में, विशेष रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया और उप-सहारा अफ्रीका में सार्वजनिक स्वास्थ्य को लेकर एक बहुत बड़ी चुनौती बना हुआ है।

अध्ययन में कहा गया है कि 1990 के बाद से कम वजन वाले लोगों की संख्या में गिरावट के साथ-साथ मोटापा अधिकांश देशों में कुपोषण का सबसे आम रूप बन गया है।

कुपोषण, अपने सभी रूपों में, बौनापन, कम वजन, अपर्याप्त विटामिन या खनिज, अधिक वजन और मोटापा इसमें शामिल है। पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की आधी मौतों के लिए अल्पपोषण जिम्मेदार है और मोटापा गैर-संचारी रोगों जैसे हृदय रोग, मधुमेह और कुछ में यह कैंसर का कारण बन सकता है।

अध्ययन के अनुसार, ब्रिटेन में महिलाओं में मोटापे की दर 1990 में 13.8 फीसदी से बढ़कर 2022 में 28.3 फीसदी और पुरुषों में यह 10.7 फीसदी से 26.9 फीसदी हो गई है। अमेरिका में, महिलाओं में मोटापे की दर 1990 में 21.2 फीसदी से बढ़कर 2022 में 43.8 फीसदी और पुरुषों में 16.9 फीसदी से 41.6 फीसदी हो गई। चीन में, महिलाओं में मोटापे की दर 1990 में 2.0 फीसदी से बढ़कर 2022 में 7.8 फीसदी और पुरुषों के लिए 2022 में 0.8 फीसदी से 8.9 फीसदी हो गई।

अध्ययन में कहा गया है कि भारत में, महिलाओं में मोटापे की दर 1990 में 1.2 फीसदी से बढ़कर 2022 में 9.8 फीसदी और पुरुषों में यह 0.5 फीसदी से 5.4 फीसदी हो गई है। जबकि महिलाओं में कम वजन की दर 1990 में 41.7 फीसदी से घटकर 2022 में 13.7 फीसदी और पुरुषों में यह 39.8 फीसदी से 12.5 फीसदी हो गई।

अध्ययन के मुताबिक, भारत में लड़कियों में मोटापे की दर 1990 में 0.1 फीसदी से बढ़कर 2022 में 3.1 फीसदी और लड़कों में यह 0.1 फीसदी से 3.9 फीसदी हो गई है। लड़कियों और लड़कों में मोटापे के मामले में भारत 2022 में दुनिया में 174वें स्थान पर था।

कम वजन के सबसे अधिक मामले वाले देशों में लड़कियों के मामलों में श्रीलंका और लड़कों में नाइजर और भारत, जहां बच्चे और किशोर आबादी मोटापे से ग्रस्त पाए गए।

अध्ययन मोटापे से निपटने के उपायों के साथ-साथ विशेष रूप से दुनिया के सबसे गरीब हिस्सों में कम वजन वाले लोगों की संख्या को कम करने के लिए नीतियों में बड़े बदलावों की तत्काल जरूरत पर भी प्रकाश डालता है।

वहीं, 1990 से 2022 के बीच, दुनिया भर में कम वजन से पीड़ित बच्चों और किशोरों का अनुपात लड़कियों में लगभग पांचवें और लड़कों में एक तिहाई से अधिक गिर गया है।

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