ओमिक्रॉन के बीए.4 और बीए.5 वेरिएंट के ज्यादा गंभीर या संक्रामक होने के अब तक नहीं मिले सबूत: डब्लूएचओ

साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोनावायरस के नए वेरिएंट को नजरअंदाज न करने की चेतावनी भी दी है
ओमिक्रॉन के बीए.4 और बीए.5 वेरिएंट के ज्यादा गंभीर या संक्रामक होने के अब तक नहीं मिले सबूत: डब्लूएचओ
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) पत्रकारों को दी जानकारी में स्पष्ट कर दिया है कि कोविड-19 के नए मामलों और मृतकों की संख्या में आई कमी का यह मतलब नहीं की महामारी का जोखिम कम हो गया है। इस बारे में डब्लूएचओ के महानिदेशक घेबरेयेसस ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा है कि इस वायरस के रूप व प्रकार में बदलाव आना अभी भी जारी है और इसे नजरअंदाज करने का जोखिम नहीं लिया जा सकता।

गौरतलब है कि पिछले सप्ताह इससे होने वाली मौतों में महामारी के शुरूआती दिनों के बाद से सबसे बड़ी कमी दर्ज की गई थी। हालांकि इसके बावजूद कुछ देशों में मामलों में तेजी देखी गई है, जिससे अस्पतालों पर बोझ बढ़ गया है।

उनके अनुसार पिछले कुछ समय में किए जा रहे टेस्ट में काफी कमी आई है, जिसके चलते रुझानों पर नजर रखने की हमारी क्षमता पर असर हुआ है। ऐसे में उनका कहना है कि परीक्षणों की संख्या और सीक्वेंसिंग में तेजी लाना अहम है, जिससे इस वायरस के मौजूदा वेरिएंट पर नजर रखी जा सके और नए उभरते हुए वेरिएंट का पता चल सके। 

आंकड़ों के मुताबिक विकासशील देशों में हर 100 में से केवल 24 लोगों के लिए पर्याप्त टीके उपलब्ध हैं। जबकि विकसित देशों में यह उपलब्धता प्रति 100 लोगों के लिए 150 टीकों की है। ऐसे में महामारी का सामने करने में यह कमजोर देश कितने सक्षम है इसका अंदाजा आप खुद ही लगा सकते हैं।

अभी खत्म नहीं हुआ है आपातकाल

उन्होंने बताया कि फिलहाल ओमिक्रॉन के अनेक उप-प्रकारों पर नज़दीकी से नजर रखी जा रही है,  जिनमें बीए.2, बीए.4 और बीए.5 प्रमुख हैं। साथ ही बीए.1 और बीए.2 के मिलने से बने एक अन्य प्रकार का भी पता चला है। डब्लूएचओ के महामारी विशेषज्ञ ने जानकारी दी है कि दक्षिण अफ्रीका और यूरोप के कई देशों में बीए.4 और बीए.5 के नए उप-प्रकारों के बारे में जानकारी मिली है।

उनके अनुसार इसकी अभी तक 200 से भी कम सीक्वेंसिंग उपलब्ध हैं, और हम इसमें बदलाव की अपेक्षा रखते हैं। डॉ मारिया वान केरखोव का कहना है कि "...हम वायरस पर नजदीकी से नजर रखे हुए हैं ताकि मामलों में वृद्धि को देख सकें, मगर अभी तक इसकी संक्रामकता या मामलों की गम्भीरता के नजरिए से कोई बदलाव नहीं देखा गया है।” 

संयुक्त राष्ट्र एजेंसी में आपात मामलों के निदेशक माइकल रायन ने चेतावनी देते हुए कहा है कि वायरस में बदलाव अभी भी जारी है। ऐसे में इसे नजरअंदाज करने का खतरा मोल नहीं लिया जा सकता। उनके अनुसार यह मानना गलत होगा कि मामलों में कमी आने का मतलब है कि इसका जोखिम कम हो गया है।

“हम मौतों में आती कमी को लेकर खुश हैं, लेकिन इस वायरस ने पहले भी हमें चकित किया है। जैसे-जैसे लोग सामान्य जिंदगी की ओर लौट रहे हैं, वैसे-वैसे जितना सम्भव हो सके इस वायरस की निगरानी करने की भी जरुरत है।“

लापरवाही बरतने के बजाय, जिंदगियां बचाने का है यह समय

इस बीच डब्लूएचओ की शीर्ष वैज्ञानिक डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन ने सचेत किया है कि वायरस के उप-प्रकारों का उभरना आगे भी जारी रहेगा और इसके मद्देनजर दुनिया को नई वैक्सीन में निवेश करते रहना होगा। उनके अनुसार हमें ऐसी सम्भावना के लिये तैयार रहना होगा, जिसमें वायरस में इतना बदलाव आ जाए कि वो मौजूदा प्रतिरक्षा को बेअसर कर दे। 

डब्लूएचओ प्रमुख ने जोर देकर कहा है कि यह वायरस अब भी घातक है, विशेष रूप से उन लोगों के लिये जिन्होंने वैक्सीन नहीं ली है और जिनके पास स्वास्थ्य देखभाल या एण्टीवायरल उपचार की सुलभता नहीं है। डॉक्टर घेबरेयेसस के अनुसार बचाव का सबसे बेहतर उपाय टीकाकरण है। साथ ही मास्क का प्रयोग विशेष रूप से भीड़भाड़ वाले इलाकों में जारी रखना होगा। साथ ही घर को हवादार रखने पर ध्यान देना होगा।

उन्होंने ध्यान दिलाया है कि लापरवाही बरतने के बजाय, यह समय जिंदगियों को बचाने के लिये कड़ी मेहनत करने का है। साथ ही इस जंग में कारगर उपचारों, जैसे कि वैक्सीन को न्यायसंगत तरीके से सभी के लिए उपलब्ध कराने पर जोर देना होगा। उन्होंने वैश्विक महामारियों पर एक नई सन्धि की अहमियत को भी रेखांकित किया है, जिससे इस वायरस और भविष्य में आने वाली भावी बीमारियों से लोगों की सुरक्षा की जा सके।  

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