

एबीलेक तकनीक विकसित: वैज्ञानिकों ने एबीलेक हाइब्रिड प्रोटीन बनाया, जो कैंसर कोशिकाओं पर प्रतिरक्षा रुकावट हटाकर प्रतिरक्षा प्रणाली सक्रिय करता है।
ग्लाइकेन और सियालिक एसिड: कैंसर कोशिकाओं की सतह पर मौजूद सियालिक एसिड प्रतिरक्षा कोशिकाओं को निष्क्रिय करता, जिससे प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया कम हो जाती है।
लेक्टिन और एंटीबॉडी संयोजन: एबीलेक में लेक्टिन और एंटीबॉडी जोड़े जाते हैं, जिससे लक्षित कैंसर कोशिकाओं पर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया मजबूत और प्रभावी होती है।
प्रयोगशाला और चूहा अध्ययन: एबीलेक ने कोशिका परीक्षण और मानव जैसे रिसेप्टर वाले चूहों में कैंसर मेटास्टेसिस कम करने में सफलता दिखाई।
मॉड्यूलर डिजाइन और भविष्य: एबीलेक तकनीक प्लग-एंड-प्ले है, विभिन्न कैंसर और प्रतिरक्षा के लिए अनुकूल, भविष्य में व्यापक इम्यूनोथेरेपी की उम्मीद।
वैज्ञानिकों ने कैंसर के इलाज के लिए एक नई और प्रभावी इम्यूनोथेरेपी तकनीक विकसित की है। यह शोध अमेरिका के एमआईटी और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है। इस नई विधि का उद्देश्य शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) को इस तरह सक्रिय करना है कि वह कैंसर कोशिकाओं को पहचान कर उन पर हमला कर सके। यह खोज इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वर्तमान इम्यूनोथेरेपी सभी मरीजों पर समान रूप से प्रभावी नहीं होती।
कैंसर और प्रतिरक्षा प्रणाली का खेल
हमारा इम्यून सिस्टम हमें बैक्टीरिया, वायरस और असामान्य कोशिकाओं से बचाता है। लेकिन कैंसर कोशिकाएं बहुत चालाक होती हैं। वे प्रतिरक्षा प्रणाली से बचने के लिए कुछ “ब्रेक” या रुकावटें लगा देती हैं, जिससे प्रतिरक्षा कोशिकाएं उन्हें नुकसान नहीं पहुंचा पातीं।
अब तक उपलब्ध इम्यूनोथेरेपी दवाएं मुख्य रूप से पीडी-1 और पीडी-एल1 नामक प्रोटीन के बीच होने वाली क्रिया को रोकती हैं। इससे प्रतिरक्षा प्रणाली को दोबारा सक्रिय होने में मदद मिलती है। हालांकि, यह तरीका केवल कुछ ही मरीजों में सफल होता है और कई मरीजों पर इसका प्रभाव नहीं पड़ता।
कैंसर कोशिकाओं की चालाकी: सियालिक एसिड और सिग्लेक
नेचर बायोटेक्नोलॉजी में प्रकाशित इस नए शोध में वैज्ञानिकों ने प्रतिरक्षा प्रणाली को रोकने वाले एक अलग तंत्र पर ध्यान दिया। यह तंत्र कैंसर कोशिकाओं की सतह पर मौजूद शुगर अणुओं (ग्लाइकेन) से जुड़ा है। खासकर इनमें पाए जाने वाले सियालिक एसिड नामक अणु इम्यून कोशिकाओं को निष्क्रिय कर देते हैं।
प्रतिरक्षा कोशिकाओं की सतह पर सिग्लेक नामक रिसेप्टर होते हैं। जब ये रिसेप्टर कैंसर कोशिकाओं पर मौजूद सियालिक एसिड से जुड़ते हैं, तो प्रतिरक्षा कोशिकाओं को यह संकेत मिलता है कि वे हमला न करें। इस तरह कैंसर कोशिकाएं प्रतिरक्षा प्रणाली से बच जाती हैं। यह प्रक्रिया पीडी-1 और पीडी-एल1 की तरह एक “इम्यून ब्रेक” का काम करती है।
एबीलेक: नई हाइब्रिड तकनीक
अब तक वैज्ञानिक इस सिग्लेक–सियालिक एसिड सिस्टम को प्रभावी रूप से रोकने में सफल नहीं हो पाए थे। इसका कारण यह था कि सियालिक एसिड से जुड़ने वाले प्रोटीन, जिन्हें लेक्टिन कहा जाता है, अकेले पर्याप्त मजबूत नहीं होते। वे कैंसर कोशिकाओं की सतह पर लंबे समय तक नहीं टिक पाते।
इस समस्या को हल करने के लिए वैज्ञानिकों ने लेक्टिन को एक एंटीबॉडी के साथ जोड़ दिया। एंटीबॉडी वह प्रोटीन होती है जो किसी खास लक्ष्य को पहचान कर उससे जुड़ती है। इस नए हाइब्रिड प्रोटीन को एबीलेक नाम दिया गया।
एबीलेक में दो हिस्से होते हैं
एंटीबॉडी हिस्सा: सीधे कैंसर कोशिकाओं को पहचानता है और उनसे जुड़ जाता है।
लेक्टिन हिस्सा: कैंसर कोशिकाओं पर मौजूद सियालिक एसिड को बांधता है।
इस तरह सियालिक एसिड सिग्लेक रिसेप्टर से नहीं जुड़ पाता और इम्यून सिस्टम पर लगा ब्रेक हट जाता है।
प्रयोगशाला और जानवरों में परीक्षण
प्रयोगशाला में किए गए परीक्षणों में देखा गया कि एबीलेक के इस्तेमाल से इम्यून कोशिकाएं कैंसर कोशिकाओं पर अधिक प्रभावी ढंग से हमला करती हैं।
इसके बाद वैज्ञानिकों ने चूहों पर परीक्षण किया। इन चूहों में मानव जैसे इम्यून रिसेप्टर मौजूद थे। जब उन्हंक एबीलेक दिया गया, तो उनके फेफड़ों में कैंसर के फैलाव (मेटास्टेसिस) में कमी देखी गई। यह परिणाम सामान्य कैंसर दवा की तुलना में बेहतर था।
मॉड्यूलर डिजाइन: हर कैंसर के लिए अनुकूल
इस तकनीक की सबसे बड़ी खासियत इसका मॉड्यूलर (“प्लग करें और खेलें”) होना है। इसका मतलब है कि इसमें अलग-अलग प्रकार की एंटीबॉडी और लेक्टिन जोड़े जा सकते हैं। अलग-अलग कैंसर में अलग-अलग एंटीजन पाए जाते हैं, इसलिए इस तकनीक को कई प्रकार के कैंसर के लिए बदला जा सकता है।
भविष्य की उम्मीद
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह नई खोज भविष्य में कैंसर के इलाज को और अधिक प्रभावी बना सकती है। खासकर उन मरीजों के लिए यह उम्मीद की किरण है जिन पर वर्तमान इम्यूनोथेरेपी काम नहीं करती। अगर आगे के क्लिनिकल परीक्षण सफल होते हैं, तो यह तकनीक कैंसर उपचार के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव ला सकती है।
कैंसर कोशिकाओं द्वारा लगाए गए प्रतिरक्षा रुकावट को हटाकर प्रतिरक्षा प्रणाली को दोबारा सक्रिय करना चिकित्सा विज्ञान की एक बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है। एबीलेक तकनीक न केवल वर्तमान दवाओं की तुलना में अधिक प्रभावी है, बल्कि यह विभिन्न प्रकार के कैंसर के इलाज के लिए भी अनुकूल है। यह शोध कैंसर उपचार में नई उम्मीद और संभावनाओं का द्वार खोलता है।