राष्ट्रीय अस्थि एवं जोड़ दिवस: कैसे रखें अपनी हड्डियों को स्वस्थ व मजबूत

इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों में हड्डियों के प्रति जागरूकता पैदा करना और हड्डियों एवं जोड़ों की समस्याओं का किफायती तरीके से रोकथाम एवं उपचार को बढ़ावा देना है।
ऑस्टियोपोरोसिस एक हड्डी रोग है जो तब होता है जब हड्डियों से खनिज की मात्रा और इनके द्रव्यमान में कमी आती है।
ऑस्टियोपोरोसिस एक हड्डी रोग है जो तब होता है जब हड्डियों से खनिज की मात्रा और इनके द्रव्यमान में कमी आती है। फोटो साभार: आईस्टॉक
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हर साल चार अगस्त को भारत में राष्ट्रीय अस्थि एवं जोड़ दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य हड्डियों और जोड़ों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है, जिसमें रोकथाम और उपचार दोनों शामिल हैं। डेस्क पर काम करने वाले कर्मचारी को जब लंबे समय तक डेस्क पर बैठे रहना पड़ता है और दिन भर में केवल टाइपिंग या क्लिक करना ही शारीरिक गतिविधि होती है, तो यह चुपचाप हड्डियों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है।

इसलिए यह दिन गतिशीलता और हड्डियों की मजबूती पर जोर देता है तथा सक्रिय और स्वस्थ जीवनशैली को बनाए रखने में हड्डियों और जोड़ों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देता है।

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ऑस्टियोपोरोसिस एक हड्डी रोग है जो तब होता है जब हड्डियों से खनिज की मात्रा और इनके द्रव्यमान में कमी आती है।

इसके इतिहास की बात करें तो चार अगस्त, 2012 को, भारतीय अस्थि रोग संघ ने इस दिन को राष्ट्रीय अस्थि एवं जोड़ दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों में हड्डियों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता पैदा करना और हड्डियों एवं जोड़ों की समस्याओं का किफायती तरीके से रोकथाम एवं उपचार को बढ़ावा देना है।

हड्डियां और जोड़ हमारे शरीर की संरचना को सहारा देने और लोगों को स्वतंत्र रूप से गति करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये अहम अंगों को स्थिरता और सुरक्षा प्रदान करने और विभिन्न गतिविधियों को सुगम बनाने के लिए जिम्मेवार हैं।

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ऑस्टियोपोरोसिस एक हड्डी रोग है जो तब होता है जब हड्डियों से खनिज की मात्रा और इनके द्रव्यमान में कमी आती है।

ऑस्टियोपोरोसिस एक हड्डी रोग है जो तब होता है जब हड्डियों से खनिज की मात्रा और इनके द्रव्यमान में कमी आती है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, ऑस्टियोपोरोसिस एक चुपचाप बढ़ने वाला चयापचय हड्डी रोग है जो हड्डियों के द्रव्यमान में कमी का कारण बनता है।

भारत में इसके व्यापक रूप से प्रचलित होने की आशंका है, जहां वयस्क भारतीय पुरुषों और महिलाओं में ऑस्टियोपोरोटिक फ्रैक्चर रुग्णता और मृत्यु दर का एक सामान्य कारण है। यह रोग हड्डियों के घनत्व में कमी और इनके ऊतक की सूक्ष्म-संरचनात्मक गिरावट है। हड्डियों की कमजोरी में वृद्धि के कारण रीढ़, कूल्हे और अग्रबाहु के फ्रैक्चर या टूटने का खतरा बढ़ जाता है।

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ऑस्टियोपोरोसिस एक हड्डी रोग है जो तब होता है जब हड्डियों से खनिज की मात्रा और इनके द्रव्यमान में कमी आती है।

क्या करें क्या न करें?

कंप्यूटर का इस्तेमाल करते समय झुकना, गर्दन आगे की ओर झुकाना या पीठ को मोड़कर बैठना रीढ़ की हड्डी पर अनावश्यक दबाव डालता है।

कार्यस्थल आरामदायक होना चाहिए, जहां स्क्रीन आंखों के स्तर पर, पैर जमीन पर सपाट और कोहनियां 90 डिग्री पर होनी चाहिए। अकड़न के चक्र को तोड़ने के लिए आठ घंटे के कार्य-दिवस के दौरान कम से कम सात बार खड़े होकर हाथ पैरों को फैलाना (स्ट्रेचिंग) चाहिए।

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ऑस्टियोपोरोसिस एक हड्डी रोग है जो तब होता है जब हड्डियों से खनिज की मात्रा और इनके द्रव्यमान में कमी आती है।

अधिकतर कार्यालय बंद जगहों या वातानुकूलित कमरों में होते हैं, जहां सूर्य का प्रकाश बहुत कम होता है, जिससे विटामिन डी की भारी कमी हो जाती है

यह विटामिन हड्डियों की मजबूती के लिए जरूरी है और मन को भी प्रभावित करता है। विटामिन डी के स्तर की नियमित जांच करवानी चाहिए और जरूरत पड़ने पर चिकित्सीय सलाह के अनुसार सप्लीमेंट संबंधी आहार लेना चाहिए।

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सबसे जरूरी बात, व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद, प्रतिदिन कम से कम 25 से 30 मिनट व्यायाम करना चाहिए

पानी साइनोवियल द्रव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अगर बिना पानी के रहते हैं, तो इससे जोड़ों में अकड़न हो सकती है और द्रव की चिकनाई क्षमता कम हो सकती है। दिन भर भरपूर पानी पीने से जोड़ों की लोच और आघात-अवशोषण क्षमता बनाए रखने में मदद मिलती है।

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