
आज तक यह माना जाता था कि वायु प्रदूषण के कारण फेफड़े का कैंसर, स्ट्रोक, सांस संबंधी बीमारियां होती है, लेकिन एक नए अध्ययन में खुलासा हुआ है कि वायु प्रदूषण से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। यह अध्ययन भारत के बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ (आईएसग्लोबल) की अगुवाई में किया गया है।
ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी बीमारी है, जिसमें हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है और हड्डियां कमजोर हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में प्रत्येक तीसरी महिला (मेनोपॉज) के बाद तथा पुरुष (60 वर्ष की उम्र में) इस बीमारी के शिकार हो सकते है। विश्व स्तर पर, इस बीमारी से कई लोग पीड़ित है और आबादी के बढ़ने के कारण इसकी व्यापकता बढ़ने की आशंका है।
यह अध्ययन सीएचएआई प्रोजेक्ट के तहत किया गया है। इसे जामा नेटवर्क ओपन में प्रकाशित किया गया है। यह अध्ययन 2009 से 2012 के दौरान दक्षिण भारत के हैदराबाद शहर के आस-पास के 28 गांवों के 3,717 लोगों पर किया गया। इसका उद्देश्य वायु प्रदूषण और हड्डियों के स्वास्थ्य के बीच संबंध का पता लगाना था। इसके आंकड़ों का विश्लेषण कुछ समय पहले 2019 में किया गया।
शोधकर्ताओं ने स्थानीय रूप से विकसित, वायु प्रदूषण का पता लगाने वाले मॉडल का उपयोग किया। इस मॉडल द्वारा सूक्ष्म कण 2.5 या उससे कम व्यास वाले कणों और ब्लैक कार्बन द्वारा बाहरी प्रदूषण का अनुमान लगाया गया। प्रतिभागियों से उनके द्वारा खाना पकाने के लिए उपयोग किए जाने वाले ईंधन के प्रकार पर एक प्रश्नावली का भी उपयोग किया गया।
शोधकर्ताओं ने इस जानकारी को हड्डीयों के स्वास्थ्य के साथ एक विशेष प्रकार के रेडियोग्राफी का आकलन करके जोड़ा है जो हड्डी के घनत्व को मापता है। जिसे ड्यूल-एनर्जी एक्स-रे एब्जॉर्बियोमेट्री कहा जाता है। इससे कमर की रीढ़ और बाएं कूल्हे में हड्डी का द्रव्यमान मापा जाता है।
परिणामों से पता चला कि वायु प्रदूषण, विशेष रूप से सूक्ष्म कणों के संपर्क में आने से, हड्डियों के निचले स्तर कमजोर हो जाते हैं। इसका खाना पकाने के लिए बायोमास ईंधन के उपयोग के साथ कोई संबंध नहीं पाया गया।
आईएस ग्लोबल के शोधकर्ता ओटावियो टी. रंजनी ने कहा कि यह अध्ययन वायु प्रदूषण और हड्डियों के स्वास्थ्य पर सीमित योगदान देता है। इस संबंध में एक दूसरे से जुड़े संभावित तंत्रों के बारे में, उनका कहना है कि प्रदूषणकारी कणों के सांस लेने से ऑक्सीडेटिव तनाव और वायु प्रदूषण के कारण होने वाली सूजन के माध्यम से हड्डीयों को बड़े पैमाने पर नुकसान हो सकता है।
यहां पीएम2.5 का वार्षिक औसत 32.8केजी/ एम3 था, जो विश्व संगठन (10-जी / एम3) द्वारा रेकमेन्डड अधिकतम स्तरों से कहीं अधिक है। सीएचएआई परियोजना के समन्वयक कैथरीन टन कहते हैं कि हमारे निष्कर्ष बताते है कि वायु प्रदूषण कम और मध्यम आय वाले देशों के वयस्कों में हड्डियों के द्रव्यमान से जुड़ा हुआ है। वायु प्रदूषण हड्डीयों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।