मच्छर ही दिलाएंगे डेंगू से छुटकारा, वैज्ञानिकों ने खोजा नया उपचार

वैज्ञानिकों ने मच्छरों में कृत्रिम रूप से बदलाव करने में सफलता हासिल की है, जिसकी मदद से यह मच्छर ही डेंगू वायरस को फैलने से रोक देंगे
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वैज्ञानिकों ने मच्छरों में कृत्रिम रूप से बदलाव करने में सफलता हासिल की है, जिसकी मदद से यह मच्छर ही डेंगू वायरस को फैलने से रोक देंगे। डेंगू वायरस से निपटने के लिए बायोलॉजिस्ट्स ने इन एडीज एजिप्टी मच्छरों से निपटने के लिए एक प्रतिरक्षी दवा बनाने में सफलता हासिल की है, जोकि डेंगू फैलाने वाले इन मच्छरों का दमन करने में सक्षम है। यह दवा अब तक ज्ञात चारों प्रकार के डेंगू वायरस से निपटने में कारगर है, जोकि इससे पहले तैयार प्रतिरक्षी दवावों को और बेहतर बनाती है। यह अध्ययन कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के जीव विज्ञानियों द्वारा किया गया है| जोकि जर्नल प्लॉस पैथोजन्स में प्रकाशित हुआ है।

6.5 अरब लोगों पर मंडरा रहा है खतरा

दुनिया भर में मच्छरों को सबसे घातक हत्यारे के रूप में जाना जाता है, क्योंकि वो मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, जीका और पीले बुखार जैसी अनेकों बीमारियों को फैलाते हैं। अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर इनके चलते करीब 6.5 अरब लोगों पर खतरा मंडरा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार एशिया और लैटिन अमेरिका में यह बीमारी एक बड़ा खतरा है, जिसके चलते भारत जैसे कई देशों में अनगिनत बच्चों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। इसका सबसे बड़ा कारण यहां की उष्ण और उप उष्णकटिबंधीय जलवायु हैं, जो इन मच्छरों को पनपने के लिए एक बेहतर वातावरण प्रदान करती है।

हाल ही में पैन अमेरिकन हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने अमेरिका भर में डेंगू के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए थे। नवम्बर 2019 तक के आंकड़े दिखाते हैं कि इस वर्ष देश भर में डेंगू के करीब 136,422 मामले सामने आये थे। साथ ही करीब 132 लोगों की इसके चलते मौत हो गयी थी। यह उन लोगों पर सबसे पहले असर करता है, जिनकी रोग प्रतिरोधी प्रणाली कमजोर होती है। डेंगू वायरस से संक्रमित लोगों में तेज बुखार के साथ-साथ चकत्ते और फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। वहीं गंभीर मामलों में शरीर से रक्तस्राव हो सकता है। वर्तमान में इससे निपटने के लिए कोई विशिष्ट उपचार मौजूद नहीं है और इसकी रोकथाम और नियंत्रण उन उपायों पर निर्भर करता है, जो वायरस के प्रसार को रोकते हैं।

कैसे काम करती है यह प्रणाली

वैज्ञानिकों ने इस प्रतिरोधी दवा को फैलाने के लिए मादा एडीज एजिप्टी मच्छरों का इस्तेमाल किया है| जोकि डेंगू वायरस को फैलने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेवार होते हैं। जैविक विज्ञान विभाग के शोधकर्ता और टाटा इंस्टीट्यूट फॉर जेनेटिक्स एंड सोसायटी के सदस्य उमर अकबरी ने बताया कि "एक बार जब मादा मच्छर इसे रक्त में ले जाती है, तो यह प्रतिरक्षी दवा सक्रिय हो जाती है और अपना काम करना शुरू कर देती है। यह एंटीबॉडी, वायरस को बढ़ने नहीं देती, जिससे मच्छरों में डेंगू वायरस प्रसार रुक जाता है| जिससे यह बीमारी इंसानों में भी नहीं फैल पाती।" जोकि इसको रोकने का एक कारगर उपचार है।

डॉ. अकबरी के अनुसार मच्छरों में कृत्रिम रूप से बदलाव करने की इस प्रणाली को आसानी से जीन एडिटिंग तकनीक क्रिस्पर/ केस 9 के साथ जोड़ा जा सकता है। जिसकी मदद से इन बीमारियों के प्रसार को रोक सकते  हैं। अकबरी और टीआईजीएस लैब का उद्देश्य मच्छरों को मारने की जगह इस रोग को फैलाने से रोकना है। शोध से पता चलता है कि मच्छरों के टीकाकरण के जरिये डेंगू वायरस को फैलने से रोका जा सकता है। साथ ही इसकी मदद से न केवल डेंगू बल्कि इन मच्छरों से होने वाले अन्य रोगों जैसे मलेरिया, चिकनगुनिया, जीका और पीले बुखार को भी रोका जा सकता है।

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