बंगाल में कोरोना संक्रमण से जुड़ी मोदी सरकार की इस लापरवाही से ममता को मिली संजीवनी

Photo: @AITCofficial / Twitter
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कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार के कुप्रबंधन और लापरवाही ने ममता बनर्जी को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव जीतने में व्यापक रूप से योगदान दिया है। चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि जैसे-जैसे राज्य और देश में कोविड-19 की दूसरी लहर का प्रसार बढ़ता गया और उस पर मोदी सरकार की उपेक्षा ने बंगाल की जनता को भाजपा के खिलाफ कर दिया। इसका सीधा लाभ ममता बनर्जी की पार्टी अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को मिला।

ममता बनर्जी की अगुवाई वाली टीएमसी ने 292 में से 213 यानी लगभग 73 प्रतिशत सीटें जीतीं। पिछले एक दशक की एंटी इनकंबेसी के बावजूद ममता बनर्जी लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाली न केवल बंगाल बल्कि देश के पहली मुख्यमंत्री बन गई हैं। लेकिन चुनाव जीतने के तुरंत बाद ममता बनर्जी ने 3 मई, 2021 को नव निर्वाचित टीएमसी विधायकों को अपने निर्वाचन क्षेत्रों में वापस जाने और राज्य में कोविड-19 महामारी के रूप में लोगों की मदद करने के लिए कहा।

दक्षिण कोलकाता की प्रतिष्ठित रासबिहारी सीट से पहली बार एमएलए बने देबाशीष कुमार ने कहा कि दीदी (ममता बनर्जी) ने हमें कोविड-19 नियंत्रण को प्राथमिकता के रूप में लेने को कहा है और संकट की इस घड़ी में हमें लोगों की मदद करना है।

टीएमसी नेता ने कहा कि यह महसूस किया जा रहा है कि राजनीतिक अधिकारियों की अनुपस्थिति में अधिकारी महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय नहीं ले पा रहे हैं, जिससे कोविड-19 का नियंत्रण प्रभावित हो रहा है। भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) ने पहले आदर्श आचार संहिता की अवधि के दौरान सभी राजनीतिक नेताओं को नगर पालिकाओं के प्रशासक पदों से हटाने का आदेश दिया था।

ममता बनर्जी ने अपनी जीत के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था, कोविड -19 का प्रबंधन मेरी प्राथमिकता है। वैक्सीन की आपूर्ति में कमी है, भारत में उत्पादित होने वाले लगभग 65 प्रतिशत टीकों को पहले ही विदेशों में भेज दिया गया था। फिर भी हम एक दिन में 50,000 लोगों को टीका लगा रहे हैं। अब तक, हमने 15 करोड़ से अधिक वैक्सीन का प्रबंध कर लिया है।

टीएमसी ने उल्लेखनीय रूप से आठ चरणों के चुनाव के आखिरी तीन चरणों में अच्छा प्रदर्शन किया, 112 सीटों में से 89 पर जीत हासिल की। इसी समय के दौरान पश्चिम बंगाल में कोविड-19 के रोगियों की संख्या में लगातार वृद्धि भी हुई। यहां तक कि केन्द्र और चुनाव आयोग इतनी लंबी चुनावी प्रक्रिया निर्धारित करने के लिए सवालों के घेरे में भी आना पड़ा।

7 अप्रैल, 2021 को जब मतदान का चौथा चरण समाप्त हुआ था,तो कोविड-19 मामलों की संख्या 7,717 प्रतिदिन थी। जबकि आठवें चरण के समाप्त होने पर, यह लगभग डेढ़ गुना बढ़कर 29 अप्रैल को 17,403 हो गयी। राज्य में कोविड-19 पॉजिटिव मामलों की दैनिक संख्या पिछले कुछ दिनों से लगातार 17,000 का आंकड़ा छू रही है।

एक पोल एनालिस्ट ने बताया कि, यदि आप परिणामों का विश्लेषण करेगें तो पाएगें कि टीएमसी ने कोलकाता और उत्तर 24 परगना जैसी जगहों पर बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। जहां आखिरी तीन राउंड में मतदान हुआ और यह क्षेत्र कोविड-19 का प्रसार से भी अत्यधिक प्रभावित रहा। टीएमसी ने उत्तर 24 परगना की 33 में से 28 सीटें जीतीं, यहां 5वें और 6वें चरण में मतदान हुआ था।

विशेषज्ञों का कहना है कि पूरे देश में जिस तरह से भाजपा के प्रभाव को कम करने का राजनैतिक आग्रह सभी विपक्षी दलों में बना हुआ था, उससे ज्यादा भूमिका भाजपा को हराने में कोविड-19 महामारी ने निभाई है। विशेष रूप से जिस तरह से भाजपा सरकार पूरे देश में कोविड-19 को संभाल पाने में विफल साबित हो रही है, उसने बंगाल में उनकी हार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

कार्डियक सर्जन और सार्वजनिक स्वास्थ्य सलाहकार, कुणाल सरकार ने कहा था कि बंगाल सहित पूरे देश में कोविड-19 का प्रसार हो रहा है, लेकिन जिस तरह से केंद्र सरकार ऑक्सीजन प्रदान करने, टीका लगाने  जैसे मुद्दों पर उलझी हुई है, लोगों को इस बात पर पुनर्विचार करना चाहिए कि क्या ऐसी पार्टी को बंगाल के लोगों पर शासन करने देना चाहिए।

पश्चिम बंगाल में एक प्रमुख चिकित्सक संघ का प्रतिनिधित्व करने वाले चिकित्सक, मानस गुमाता ने कहा कि राज्य में लोग गोरखपुर और गुजरात जैसे भाजपा शासित राज्यों में ऑक्सीजन और अस्पताल की सुविधा के बिना मरते हुए लोगों की तस्वीरें देख रहे थे। गुमाता ने कहा कि लोगों ने यह सोचा कि ऐसी पार्टी कभी भी बंगालियों को एक स्वर्णिम बंगाल नहीं दे सकती।

चुनाव विश्लेषकों का कहना है कि चुनाव आयोग ने कोविड -19 के प्रसार को कम करने के लिए ममता बैनर्जी के सुझाव को खारिज कर दिया था। ममता बैनर्जी ने अंतिम तीन चरणों के मतदान को एक साथ करने के करने का सुझाव दिया था, जिससे चुनावी रैलियों में भीड़ और उससे होने वाले कोविड के प्रसार को रोका जा सकता था।

टीएमसी सरकार में मंत्री रहे जावेद खान ने कहा कि, दीदी (ममता बनर्जी) के ईसीआई से आग्रह करने के बावजूद, बंगाल के लोगों के जीवन की कीमत पर, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की रैलियों का अधिक से अधिक लाभ पाने के लिए एक महीने और आठ-चरण के चुनाव की योजना बनाई गई। अब राज्य की जनता ने बैलेट बॉक्स के जरिए उन्हे जवाब दे दिया है।

नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने पश्चिम बंगाल में एक महीने में लगभग 80 सार्वजनिक बैठकें और रैलियां कीं। ममता बनर्जी ने उन्हें 'दैनिक यात्री' कहा था। जो कि राज्य में कोविड-19 के प्रसार की रोक और जनता के मन में भाजपा के लिए नकारात्मक साबित हुआ।

बंगाल से बीजेपी के सांसद और चिकित्सक सुभाष सरकार ने भी माना कि, पिछले कुछ चरणों के दौरान कोविड-19 के डर से कोलकाता और अन्य जगहों पर मतदाताओं की संख्या में काफी कमी आई, जो हमारे खिलाफ गया।

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