भारत में गरीबी रेखा से नीचे वाले घरों में रहने वाले तकरीबन 30 फीसदी बुजुर्ग ही इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना का लाभ उठा पा रहे हैं। यह जानकारी हाल में बुजुर्ग आबादी पर कराए गए एक सरकारी सर्वे में सामने आई है।
45 से अधिक उम्र के 72,000 से ज्यादा लोगों पर कराए गए इस सर्वे में पता चला कि असल में, 60 वर्ष व उससे अधिक उम्र के सिर्फ 55 फीसदी लोगों को ही इस योजना की जानकारी थी। 1995 में शुरू की गई इस योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे के वृद्ध लोगों को 600 से 1000 रुपये दिए जाते हैं।
6 जनवरी को जारी की गई इस रिपोर्ट के मुताबिक, सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने वाली दो अन्य योजनाओं के बारे में बुजुर्गों के बीच जागरूकता और नामांकन और भी कम रहे। अधिकतर बुजुर्गों (54 फीसदी) ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना के बारे में नहीं सुना, जिसके तहत गरीबी रेखा से नीचे आने वाली 40 साल से अधिक उम्र की विधवाओं को 300 रुपये दिए जाते हैं।
अप्रैल 2017 से दिसंबर 2018 तक इस सर्वे के दौरान इस आबादी में से एक चौथाई से भी कम को यह पेंशन मिली। 65 वर्ष से अधिक उम्र के गरीब नागरिकों को अनाज मुहैया कराने वाली केंद्रीय अन्नपूर्णा योजना के लिए शहरी आबादी में से सिर्फ 2.5 फीसदी और ग्रामीण आबादी में से सिर्फ 1.5 फीसदी बुजुर्गों ने अपना नाम दर्ज कराया है। दोनों ही क्षेत्रों के 13 फीसदी से भी कम बुजुर्गों को इस योजना के बारे में जानकारी है।
इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना और इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना को लेकर बुजुर्गों में अधिक जागरूकता हरियाणा (78 फीसदी), हिमाचल प्रदेश (77 फीसदी), बिहार (82 फीसदी), झारखंड (78 फीसदी), ओड़िशा (74 फीसदी), असम (84 फीसदी) और दादरा व नगर हवेली (78 फीसदी) में है। अध्ययन के मुताबिक, शिक्षा का स्तर बढ़ने के साथ वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन व अन्नपूर्णा योजना के प्रति जागरूकता का स्तर बढ़ता है।
इन योजनाओं का लाभ उठा रहे बुजुर्गों में शहरी बुजुर्गों की हिस्सेदारी ग्रामीण बुजुर्गों से कम है।
हालांकि यह योजनाएं गरीबी रेखा से नीचे के घरों के बुजुर्गों के लिए है, लेकिन वृद्धावस्था पेंशन का फायदा 18 फीसदी ऐसे पुरुष बुजुर्गों को हुआ जो गरीबी रेखा से ऊपर के घरों में रहते हैं। जबकि विधवा पेंशन का फ़ायदा गैर-गरीब घरों की 16 फीसदी वृद्ध महिलाओं को मिला।
वृद्धवस्था पेंशन के 30 फीसदी लाभार्थियों ने बताया कि पेंशन की राशि देर से मिली और 24 फीसदी ने बताया कि दस्तावेज प्रस्तुत करने में उन्हें परेशानी उठानी पड़ी।
रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार द्वारा वरिष्ठ नागरिकों को प्रदान की गई विभिन्न प्रकार की छूट जैसे- ट्रेन, बस और विमान यात्रा में डिस्काउंट, बैंक अकाउंट खुलवाने और लोन लेने के लिए ख़ास ब्याज दर और आयकर में कटौती के बारे में सिर्फ 28 फीसदी बुजुर्गों को पता है। सिर्फ 5 फीसदी वरिष्ठ नागरिक ऐसी छूट का फ़ायदा उठा पाए हैं।
इन रियायतों को लेकर वरिष्ठजनों में जागरूकता सबसे ज्यादा महाराष्ट्र (65 फीसदी) में है और सबसे कम नागालैंड (2 फीसदी) में है। महाराष्ट्र के अलावा अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अधिकतर वरिष्ठ नागरिक ऐसी रियायतों से वाक़िफ़ नहीं हैं।
शहरी इलाकों के तकरीबन 37 फीसदी बुजुर्गों ने कम से कम एक बार इन रियायतों का लाभ उठाया है, ग्रामीण इलाकों में यह आंकड़ा 25 फीसदी है। वहीं 33 फीसदी पुरुषों ने इसका लाभ उठाया, जबकि महिलाओं में ये आंकड़ा 24 फीसदी रहा।
रिपोर्ट का कहना है कि, इन रियायतों को लेकर जागरूकता और इनका फ़ायदा उठाने के मामले में ग्रामीण वरिष्ठ नागरिक काफी पीछे हैं, लिहाजा गैर सरकारी संस्थाओं और पंचायत के माध्यम से ग्रामीण इलाकों में अभियान चलकर ग्रामीण वृद्धजनों को जागरूक करने में मदद मिल सकती है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इन रियायतों का फ़ायदा वे बुजुर्ग अधिक उठा रहे हैं जो आर्थिक रूप से बेहतर स्थिति में हैं क्योंकि वे इस मामले में अधिक जागरूक हैं।