भारत में एमपॉक्स का दूसरा मामला मलप्पुरम में आया सामने, हाई अलर्ट में केरल

इस जिले में निपाह वायरस से हुई मौत के बाद, एमपॉक्स का एक नया मामला सामने आने पर स्वास्थ्य विभाग ने एडवाइजरी जारी कर दी है
भारत में एमपॉक्स का दूसरा मामला मलप्पुरम में आया सामने, हाई अलर्ट में केरल
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केरल में इस साल एमपॉक्स का पहला मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। मलप्पुरम के एडवन्ना में एक 38 वर्षीय व्यक्ति में एमपॉक्स के लक्षण मिला हैं, जिसके साथ ही भारत में सामने आने वाले एमपॉक्स के मामलों की संख्या बढ़कर दो पर पहुंच गई है।

गौरतलब है कि यह खबर उसी जिले में निपाह वायरस के मामले के ठीक दो दिन बाद आई है, जिसके चलते एक स्नातकोत्तर छात्र की मौत हो गई थी। इसके साथ ही राज्य में निपाह वायरस से मरने वालों की संख्या बढ़कर 22 पर पहुंच गई है।

ऐसे में राज्य स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है। इसके साथ ही राज्य में उपचार और आइसोलेशन के लिए तैयार अस्पतालों की सूची साझा कर दी गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) पहले ही एमपॉक्स को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर चुका है, जिससे लोगों की चिंताएं बढ़ गई हैं।

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स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने आश्वासन दिया है कि केरल स्थिति से निपटने के लिए तैयार है, अस्पताल तैयार हैं और राज्य में स्थिति से निपटने के लिए सक्रिय तौर पर उपाय किए जा रहे हैं। बता दें कि 13 सितंबर, 2024 को दुबई से लौटे एक संक्रमित व्यक्ति का इलाज मंजेरी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में चल रहा है और उसकी हालत स्थिर बनी हुई है।

16 सितंबर को तेज बुखार और छाले जैसे लक्षण दिखने के बाद मरीज ने डॉक्टर से संपर्क किया था। उसके सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे और 18 सितंबर को कोझिकोड मेडिकल कॉलेज की वायरोलॉजी लैब ने पुष्टि की है कि यह व्यक्ति एमपॉक्स से संक्रमित है।

जिला चिकित्सा अधिकारी आर रेणुका ने बताया कि इनके संपर्क में आने वाले लोगों में परिवार के सदस्य, विमान में सह-यात्री और वे लोग शामिल हैं जो उनके आने के बाद संपर्क में आए थे। इन सभी से घर पर ही आइसोलेशन में रहने और बीमारी के किसी भी तरह के लक्षण देखे जाने पर स्वास्थ्य अधिकारियों को सूचित करने के लिए कहा गया है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने इनके संपर्क में आए सभी 16 लोगों का पता लगा लिया है, वे सभी आइसोलेशन में हैं और उनमें अब तक किसी में भी इसके लक्षण नहीं दिखे हैं।

एडवन्ना में स्थानीय अधिकारियों ने आइसोलेशन में रह रहे लोगों तक भोजन और अन्य जरूरी चीजें पहुंचाने के रैपिड रिस्पॉन्स टीमों का गठन किया है।

वहीं संदिग्ध रूप से चिकनपॉक्स के चलते शुरू में ही खुद को घर पर क्वारंटीन करने वाले मरीज ने दूसरों के साथ सीमित बनाया हुआ है, जिससे वायरस के फैलने का जोखिम कम हो गया। उनकी पत्नी और बच्चे, जो अलग-अलग रह रहे थे, उनके संपर्क में आने वालों की लिस्ट में नहीं हैं। रेणुका ने पुष्टि की है कि उनकी हालत में सुधार आ रहा है और चकत्ते ठीक हो रहे हैं।

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हिसार में सामने आया था एमपॉक्स का पहला मामला

भारत में इस साल एमपॉक्स का पहला मामला दस दिन पहले ही हरियाणा के हिसार में सामने आया था, जब एक 26 वर्षीय व्यक्ति में इसके लक्षण पाए गए थे। इस मरीज की त्वचा पर चकत्ते और लाल फोड़े जैसे लक्षण सामने के बाद दिल्ली में भर्ती कराया गया था। यह और केरल में सामने आया मामला दोनों ही एमपॉक्स वायरस क्लेड 2 से जुड़े संक्रमण के हैं, जो आमतौर पर कम गंभीर होता है।

मलप्पुरम से लिए मरीज के सैम्पल्स को आगे की जांच के लिए पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान भेज दिया गया है।

डीएमओ का कहना है कि, "पुणे से रिपोर्ट मिलने के बाद हमें इस बारे में बेहतर जानकारी मिल पाएगी। हमें मरीज से बात करके पता लगाना होगा कि वह कैसे संक्रमित हुआ, उसके ठीक होने के बाद हम उससे बात करेंगे।"

राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने लोगों को आश्वस्त किया कि चिंता की कोई बात नहीं है, क्योंकि संपर्क में आने वाले लोगों की ट्रेसिंग लगभग पूरी हो चुकी है और मरीज को उचित देखभाल मिल रही है। उन्होंने कहा, "राज्य में सभी हवाई अड्डों पर निगरानी टीम गठित की गई हैं। जिन देशों में इसके मामले सामने आए हैं, वहां से आने वाले यात्रियों को हवाई अड्डे पर किसी भी लक्षण की सूचना देनी चाहिए।"

आइसोलेशन, सैंपल कलेक्शन और इलाज के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएं 2022 से लागू हैं। वीना ने सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को निर्देश दिया है कि अगर किसी मरीज में एमपॉक्स के लक्षण दिखते हैं तो वे इन दिशानिर्देशों का पालन करें।

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म्युटेशन के कारण कहीं ज्यादा ‘स्मार्ट’ हो रहा है मंकीपॉक्स
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वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों ने संकेत दिया है कि भारत में एमपॉक्स प्रकोप के महामारी में बनने की आशंका कम है। हालांकि, कोविड-19 के अनुभव को देखते हुए, केरल वायरस से संबंधित किसी भी घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रहा है और उसके प्रति प्रतिक्रिया कर रहा है।

एमपॉक्स संक्रमित जानवरों के रक्त, तरल पदार्थ या घावों के संपर्क में आने के कारण जानवरों से इंसानों में फैलता है। संक्रमण के दौरान इंसानों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, सूजे हुए लिम्फ नोड्स और अक्सर चेहरे पर होने वाले चकत्ते या दाने जैसे लक्षण सामने आते हैं। गिलहरी और बंदर जैसे जानवर इस वायरस को फैला सकते हैं।

इसकी वजह से जंगलों के आसपास रहने वाले लोगों को खतरा हो सकता है। वहीं मनुष्य से मनुष्य में इसका संक्रमण घावों, तरल पदार्थों, सांस की बूंदों के संपर्क से फैलता है। इसी तरह यह संक्रमण यौन संपर्क के माध्यम से भी फैल सकता है।

बता दें कि हाल ही में मिसौरी विश्वविद्यालय से जुड़े वैज्ञानिकों द्वारा किए अध्ययन से पता चला है कि म्युटेशन की वजह से एमपॉक्स से जुड़ा वायरस कहीं ज्यादा स्मार्ट होता जा रहा है। शोध के मुताबिक म्युटेशन के चलते यह वायरस शरीर के इम्यून सिस्टम के साथ-साथ दवाओं से भी बचने के काबिल बन रहा है। ऐसे में इसके बढ़ते खतरे से इंकार नहीं किया जा सकता।

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