दुनिया भर में जैसे-जैसे स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रगति होती है, कुशल, सशक्त और अच्छी तरह से समर्थित नर्सों की आवश्यकता अधिक बढ़ जाती है।
दुनिया भर में जैसे-जैसे स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रगति होती है, कुशल, सशक्त और अच्छी तरह से समर्थित नर्सों की आवश्यकता अधिक बढ़ जाती है। फोटो साभार: आईस्टॉक

आज के दिन क्यों मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस, यहां जानें

विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिश है कि 1,000 आबादी की देखभाल के लिए कम से कम तीन नर्सें होनी चाहिए, लेकिन भारत में यह अनुपात 1,000 पर 1.96 है
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हर साल 12 मई को अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है। इसके इतिहास की बात करें तो अंतर्राष्ट्रीय नर्स परिषद (आईसीएन) 1965 से अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस मना रही है। नर्सों को सम्मानित करने का विचार 1953 से शुरू हुआ, जब अमेरिका के स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याण विभाग की एक अधिकारी डोरोथी सदरलैंड ने प्रस्ताव दिया कि राष्ट्रपति ड्वाइट डी. आइजनहावर उनके योगदान को मान्यता देने के लिए "नर्स दिवस" घोषित करें। हालांकि प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली, लेकिन इसने नर्सों के समर्पण और कड़ी मेहनत की बढ़ती मान्यता को दर्शाया।

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जनवरी 1974 तक अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस आधिकारिक तौर पर स्थापित नहीं हुआ था। 12 मई की तारीख को आधुनिक नर्सिंग की संस्थापक फ्लोरेंस नाइटिंगेल की जयंती के साथ मेल खाने के लिए चुना गया था और अब यह उनके सम्मान में विश्व स्तर पर मनाया जाता है।

यह दिन हमारे जीवन में नर्सों की अमूल्य भूमिका की एक याद दिलाता है। इस साल की थीम "हमारी नर्सें। हमारा भविष्य। नर्सों की देखभाल अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाती है," जो मजबूत स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों और स्वस्थ समाजों के लिए एक आधार के रूप में नर्सों की भलाई को प्राथमिकता देने के महत्व पर जोर देता है।

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अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस 2025 पर, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और उसके सहयोगियों के द्वारा दुनिया भर में नर्सिंग की स्थिति 2025 रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में नर्सिंग के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे शिक्षा क्षमता, उन्नत अभ्यास नर्सिंग और पारिश्रमिक पर नए सुझाव शामिल हैं। नर्सिंग और मिडवाइफरी 2021-2025 के लिए वैश्विक रणनीतिक दिशा-निर्देशों से 12 नीति प्राथमिकताओं के अलावा, पांच अतिरिक्त नीति प्राथमिकताएं और प्रत्येक डब्ल्यूएचओ क्षेत्र से आंकड़ों का संकलन है।

साल 2025 में भारत को नर्सों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। भारतीय नर्सिंग परिषद (आईएनसी ) के अनुसार,नर्स-जनसंख्या अनुपात 1.96 प्रति 1,000 है, जो डब्ल्यूएचओ की तीन प्रति 1,000 की सिफारिश से कम है।

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जबकि देश में लगभग 8,92,829 सहायक नर्स दाइयां (एएनएम), 21,51,850 पंजीकृत नर्स और पंजीकृत दाइयां (आरएन और आर एम), और 56,644 महिला स्वास्थ्य आगंतुक (एलएचवी) हैं, नर्सों की मांग बहुत अधिक है, खासकर घरेलू बाजार और विदेशों में।

दुनिया भर में जैसे-जैसे स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रगति होती है, कुशल, सशक्त और अच्छी तरह से समर्थित नर्सों की आवश्यकता अधिक बढ़ जाती है। अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस 2025 न केवल पिछली उपलब्धियों पर चिंतन करने का समय है, बल्कि कार्रवाई का आह्वान भी है, चाहे वकालत के माध्यम से या अपनी कहानियों को साझा करने के माध्यम से। हर इशारा, बड़ा या छोटा, इस जरूरी पेशे को ऊपर उठाने में योगदान देता है। यह सुनिश्चित करना कि हर जगह नर्सों को महत्व दिया और उन्हें सुना जाए।

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