मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों को रोकने में जल्द और शुरुआती कदम बहुत मायने रखते हैं। हालांकि जलवायु परिवर्तन और उसके कारण आने वाले मौसम की चरम घटनाओं के चलते मच्छरों की आबादी में वृद्धि हो सकती है। इसके बावजूद यदि सही समय पर उचित कार्रवाई की जाए तो यह इस तरह की बीमारियों को रोकने में काफी हद तक कारगर हो सकती हैं। यह जानकारी अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा किए अध्ययन में सामने आई है जोकि केन्या में किया गया है। यह शोध अंतराष्ट्रीय जर्नल प्लोस में प्रकाशित हुआ है।
मच्छर दुनिया के सबसे खतरनाक जीवों में से एक हैं। इनके द्वारा फैली बीमारियों से हर वर्ष लाखों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। दुनिया भर में पिछले 30 वर्षों में डेंगू की घटनाएं 30 गुना बढ़ गयी है। जीका, डेंगू, चिकनगुनिया, पीला बुखार, यह सभी बीमारियां एडीज एजिप्टी मच्छर द्वारा मनुष्यों में फैलती हैं।
अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर इनके चलते करीब 6.5 अरब लोगों पर खतरा मंडरा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार एशिया और लैटिन अमेरिका में यह बीमारी एक बड़ा खतरा है, जिसके चलते भारत जैसे कई देशों में अनगिनत बच्चों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। इसका सबसे बड़ा कारण यहां की उष्ण और उप उष्णकटिबंधीय जलवायु हैं, जो इन मच्छरों को पनपने के लिए एक बेहतर वातावरण प्रदान करती है।
एडीज एजिप्टी मच्छरों की आबादी पर असर डालता है जलवायु परिवर्तन
तापमान और बारिश एडीज एजिप्टी मच्छर पर व्यापक असर डालते हैं, इनके चलते इन मच्छरों की आबादी में वृद्धि हो सकती है। एक तरफ जलवायु परिवर्तन के चलते बाढ़, सूखा, शीत और ग्रीष्म लहर, जैसी घटनाओं में वृद्धि हो सकती है। जिसका असर इन मच्छरों की आबादी पर पड़ रहा है। मौसम की इन विसंगतियों का वेक्टर जनित रोगों के फैलने और उसकी गति पर क्या असर पड़ता है इसे समझने के लिए शोधकर्ताओं ने केन्या में यह अध्ययन किया था। जहां भारी बारिश और तापमान का डेंगू संक्रमण पर पड़ने वाले असर को समझने का प्रयास किया गया था।
शोधकर्ताओं ने जलवायु सम्बन्धी आंकड़ों के लिए उपग्रह से प्राप्त डेटा का इस्तेमाल किया है। उन्होंने वर्षा और तापमान के पिछले आंकड़ों के औसत से 10 फीसदी की ऊपरी और निचली सीमा को मौसम की चरम घटनाओं के रूप में वर्गीकृत किया है। साथ ही, वहां एडीज एजिप्टी मच्छरों की आबादी कितनी थी, इस बात की भी निगरानी की थी। उन्होंने वहां 7,653 बच्चों के शरीर से लिए रक्त के नमूनों का भी अध्ययन किया है जिससे डेंगू बुखार के मामलों का पता लगाया जा सके।
शोध से पता चला है कि बाढ़ के कारण इन मच्छरों की संख्या में वृद्धि देखी गई थी। हालांकि चरम घटनाओं और मच्छरों की बढ़ती आबादी के चलते डेंगू के मामलों में वृद्धि हुई थी, यह स्पष्ट नहीं हो सका था। लेकिन इतना जरूर था कि इंसानी व्यवहार मच्छरों की बढ़ती संख्या और बीमारी के संचरण पर असर डाल सकता है। जिन जगहों पर इसे रोकने के लिए प्रयास किए गए थे वहां डेंगू के प्रसार में कमी देखी गई थी।
शोधकर्ताओं के अनुसार यह तो तय है कि बाढ़ के चलते इन मच्छरों की आबादी और उनसे फैलने वाली बीमारियों में वृद्धि हो सकती है। ऐसे में जलवायु परिवर्तन के खतरे को ध्यान में रखते हुए संक्रमण के जोखिम को सीमित करने के लिए सही समय पर उठाए गए कदम महत्वपूर्ण हो सकते हैं।