बदलाव: ग्रामीण भारत की लड़कियों में बढ़ा साइकिल का चलन

पश्चिम बंगाल के ग्रामीण इलाकों में लड़कियों के साइकिल चलाने का स्तर साल 2014 में 15.4 फीसदी से बढ़कर 2017 में 27.6 फीसदी हो गया, जो कि मात्र तीन साल के दौरान 12 फीसदी की वृद्धि है।
साइकिल चलाने के स्तर में सबसे बड़ी वृद्धि ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों में हुई है जो 2007 में 4.5 फीसदी से बढ़कर 2017 में 11 फीसदी हो गई है।
साइकिल चलाने के स्तर में सबसे बड़ी वृद्धि ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों में हुई है जो 2007 में 4.5 फीसदी से बढ़कर 2017 में 11 फीसदी हो गई है।फोटो साभार: आईस्टॉक
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भारत में बच्चों की शिक्षा तक पहुंच को बेहतर करने में साइकिल अहम भूमिका निभा रही है, साथ ही बच्चों को साइकिल चलाने से शारीरिक गतिविधि का फायदा भी मिलता है। देश में स्कूल जाने के लिए साइकिल चलाने के स्तर, साइकिल चलाने वाले कौन हैं और समय के साथ इनमें किस तरह से बदलाव आया है, इस बारे में बहुत कम जानकारी है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि धरती को नुकसान पहुंचाए बिना, साइकिल चलाना आबादी में मृत्यु दर के खतरों को कम करती है। साइकिल चलाने से लोगों को अपने रोजमर्रा के जीवन में शारीरिक गतिविधि में मदद मिलती है जो स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक है।

अब एक ने शोध ने इस बात का खुलासा किया है कि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर लड़कियां साइकिल से स्कूल जा रही हैं। जहां-जहां साइकिल वितरण की योजनाएं लागू की गई हैं उन राज्यों में साइकिल चलाने के स्तर को बढ़ावा मिला है। यह शोध जर्नल ऑफ ट्रांसपोर्ट जियोग्राफी नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। शोध की अगुवाई दिल्ली के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और नरसी मोनजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज के शोधकर्ताओं द्वारा की गई है।

शोध के मुताबिक, भारत में साइकिल से स्कूल जाने वाले बच्चों का प्रतिशत 2007 में 6.6 फीसदी से बढ़कर 2017 में 11.2 फीसदी हो गया है। इस दशक में साइकिल चलाने के स्तर में सबसे बड़ी वृद्धि ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों में हुई है जो 2007 में 4.5 फीसदी से बढ़कर 2017 में 11 फीसदी हो गई है।

शोध में शिक्षा पर सामाजिक उपभोग पर राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के तीन दौरों - 2007-08, 2014 और 2017-18 के आंकड़ों का उपयोग किया गया है, जो एक पूरे दशक को कवर करते हैं।

शोधकर्ता ने शोध के हवाले से कहा कि यह एक क्रांति है क्योंकि भारत में महिलाएं घर से बाहर बहुत कम निकलती हैं। पुरुषों की तुलना में महिलाओं के घर से बाहर यात्रा करने की संभावना बहुत कम होती है। शोध से पता चलता है कि ग्रामीण इलाकों में लड़कियों के साइकिल चलाने के स्तर में अभूतपूर्व वृद्धि हुई हैं। शोध में कहा गया है कि भारत में साइकिल चलाने में लैंगिक असमानता को पितृसत्तात्मक मानदंडों के व्यापक संदर्भ में देखा जाना चाहिए जो महिलाओं के बाहर निकले को प्रतिबंधित करते हैं।

ग्रामीण इलाकों में पांच से 17 साल की आयु के स्कूल जाने वाले बच्चों में साइकिल चलाने का स्तर 2007 में 6.3 फीसदी से दोगुना बढ़कर 2017 में 12.3 फीसदी हो गया। शहरी इलाकों में स्तरों में दशक भर में कोई बड़ा बदलाव नहीं देखा गया, जो 2007 में 7.8 फीसदी से 2017 में मात्र 8.3 फीसदी तक पहुंचा। हालांकि शहरों में साइकिल चलाना कितना सुरक्षित है यह एक अलग मुद्दा है।

शोध के मुताबिक, शोधकर्ताओं को इस बात के अहम सबूत मिले हैं कि साइकिल वितरण योजनाओं से राज्यों में साइकिल चलाने के स्तर में वृद्धि हुई है और इसका सबसे बड़ा असर ग्रामीण लड़कियों के साइकिल चलाने पर पड़ा है।

भारत के 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 20 में साइकिल वितरण योजनाएं लागू की गई थी। योजनाओं के तहत या तो साइकिल दी जाती है या साइकिल खरीदने के लिए पैसे दिए जाते हैं।

प्रमुख 10 राज्य, जिनमें 2017 में सबसे ज्यादा साइकिल चलाने का स्तर है और ग्रामीण इलाकों में लड़कियों के बीच पूरे दशक में साइकिल चलाने के स्तर में सबसे ज्यादा वृद्धि देखी गई है, वे हैं जिनमें साइकिल वितरण योजनाएं हैं। राज्य आमतौर पर 14 से 17 वर्ष की आयु के स्कूल जाने वाले बच्चों को साइकिल प्रदान करते हैं, जिसका उद्देश्य नामांकन दरों में सुधार करना है, विशेष रूप से लड़कियों में क्योंकि उनकी स्कूल छोड़ने की दर अधिक है।

शोध में कहा गया है कि साइकिल वितरण योजना का असर पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक दिखाई देता है, जहां यह योजना 2015 में शुरू हुई थी और साइकिल चलाना खासकर ग्रामीण इलाकों में लड़कियों के बीच साल 2014 में 15.4 फीसदी से बढ़कर 2017 में 27.6 फीसदी हो गया, जो कि मात्र तीन साल के दौरान 12 फीसदी की वृद्धि है।

शोध के मुताबिक, लड़कियों के साइकिल चलाने में सबसे ज्यादा वृद्धि ग्रामीण बिहार में हुई, जहां यह आठ गुना बढ़ गया। पश्चिम बंगाल में, लड़कियों के साइकिल चलाने में तीन गुना वृद्धि हुई, जिससे यह देश भर में ग्रामीण लड़कियों के बीच सबसे ज्यादा साइकिल चलाने वाला राज्य बन गया। पूरे दशक में, असम, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में ग्रामीण इलाकों में लड़कियों के साइकिल चलाने का स्तर लगभग दोगुना हो गया है।

अधिकतर राज्यों में साइकिल चलाने वालों की संख्या में दोनों लिंगों के लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिसमें लड़कियों के मामले में अधिक वृद्धि हुई है। साल 2017 में, स्कूल जाने के लिए साइकिल चलाने वालों का अधिकतम स्तर पश्चिम बंगाल (26.2 फीसदी) में था, उसके बाद ओडिशा (19.3 फीसदी), असम (19.0 फीसदी) और छत्तीसगढ़ (18.9 फीसदी) का स्थान था।

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