ओमिक्रॉन का पुनः संक्रमण होने की कितनी संभावना? क्या कहते हैं विशेषज्ञ

भारतीय शोधकर्ताओं के मुताबिक, इसमें आरटीपीसीआर टेस्ट की सूक्ष्मग्राहिता भूमिका की भी हो सकती है
ओमिक्रॉन का पुनः संक्रमण होने की कितनी संभावना? क्या कहते हैं विशेषज्ञ
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कई घटनाएं ऐसा दर्शा रही हैं कि ओमिक्रॉन के मुख्य केंद्र दक्षिण अफ्रीका में कुछ लोग कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन से उबरने के बाद इसके पुनः संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस संक्रमण को कोरोना वायरस का पांचवां वेरिएंट मानने के सवाल पर बंटे हुए हैं। रटगर्स न्यू जर्सी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के महामारी विज्ञान विभाग में प्रोफेसर स्टेनली वीस के मुताबिक ऐसा होना, निश्चित तौर पर संभव है। वह कहते हैं, ‘ ओमिक्रॉन अत्यधिक संक्रामक है और इंसान को सुरक्षा देने वाली शानदार प्रतिरोधी क्षमता को भी भेद सकता है।’

बफेलो विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और संक्रामक बीमारियों के प्रमुख डॉ थॉमस रूसो ने मीडिया से कहा, ‘अगर आपको पहले हल्का संक्रमण हुआ हो, आपमें उससे लड़ने के लिए बेहतर प्रतिरोधी तंत्र विकसित न हुआ हो और आप फिर से वायरस की चपेट में आ जाएं तो यह काफी हद तक संभव हे कि आप पुनः संक्रिमत हो जाएं।’

महामारी विज्ञानी, स्वास्थ्य अर्थशास्त्री और अमेरिकी वैज्ञानिक संघ के एक वरिष्ठ फेलो डॉ एरिक फीगल-डिंग ने कहा कि ओमिक्रॉन का पुनः संक्रमण ऐसे लोगों में भी हो सकता है, जिनका प्रतिरोधी तंत्र बार-बार संकट में पड़ जाता है। उन्होंने इस पर सहमति जताई कि हाल ही में ओमिक्रॉन संक्रमण के बाद उसका एक पुनः संक्रमण पूरी तरह से संभव है।

क्या कहते हैं भारतीय विशेषज्ञ
लगभग दस हजार केसों और हर दिन 16.41 पॉजिटिवटी रेट के साथ भारत इन दिनों ओमिक्रॉन लहर का सामना कर रहा है। ओमिक्रॉन के यह भयावह मामले पिछले एक महीने की देन हैं। विशेषज्ञों का अभी यह देखना बाकी है कि क्या इसका देश में पुनः संक्रमण संभव है।

प्रसिद्ध वायरस-विज्ञानी और भारतीय सार्स कोवी-2 जीनोमिक्स संघ के पूर्व प्रमुख शाहिद जमील ने डाउन टू अर्थ से कहा, ‘ऐसा होना थोड़ा असामान्य होगा। ओमिक्रॉन का संक्रमण हमारे बीच आए अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है। अगर कोई इससे संक्रमित होता है तो उसमें इसके खिलाफ प्रतिरोधी क्षमता तैयार हो जाती है। किसी के इतनी जल्दी पुनःसंक्रमित होने की संभावना कम है लेकिन अगर किसी का प्रतिरोधी तंत्र बहुत ही कमजोर है तो ऐसा हो सकता है।’

वह आगे कहते हैं कि अगर ओमिक्रॉन का तेजी से पुनः संक्रमण संभव है तो डेल्टा और कोरोना के दूसरे वेरिएंट्स के मामलों में भी पुनः संक्रमण देखा गया होगा। इस पर जोर देकर कि ओमिक्रॉन को भारत में आए अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है, वह कहते हैं कि एंटीबॉडीज कम हो जाती है लेकिन इतनी जल्दी नहीं होती।
उनके मुताबिक, कुछ किस्सों के आधार पर मैं इतनी जल्दी नहीं मान सकता कि ओमिक्रॉन का पुनः संक्रमण हो रहा है।

पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रमुख गिरिधर बाबू के मुताबिक, आरटी-पीसीआर (रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमेरेज चेन रिएक्शन) टेस्टों की सूक्ष्मग्राहिता का घटना-बढ़ना , ओमिक्रॉन के पुनः संक्रमण के पीछे का एक कारण हो सकता है।

वह कहते हैं, ‘अगर कोई ओमिक्रॉन से संक्रमित होने के बाद ठीक हो गया हो, उसका टेस्ट निगेटिव आया हो लेकिन कुछ दिनों के बाद टेस्ट फिर पॉजिटिव आया हो तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसे दो बार संक्रमण हुआ है। अधिक सूक्ष्मग्राहिता वाला टेस्ट कभी-कभी देर तक वायरस की मौजदगी दर्शा देता है। ’

बाबू के मुताबिक, ‘ओमिक्रॉन के एक बार के संक्रमण के लंबा होने की संभावनाएं, पुनः संक्रमण होने की संभावना से ज्यादा होती हैं। ओमिक्रॉन संक्रमण से ठीक होने में समय कम लगता है लेकिन गले में खराश और थकान लंबे समय तक बनी रह सकती है।’

वह विस्तार से बताते हैं कि यह कहना कि ओमिक्रॉन जल्दी होता है और जल्दी ठीक भी हो जाता है, केवल फिलहाल के लिए सही है। कोरोना के मामलों में इस वेरिएंट का प्रभाव समझना अभी बाकी हैं। उनके मुताबिक, मैंने अभी तक इस संदर्भ में दक्षिण अफी्रका, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका के वास्तविक आंकड़े नहीं देखे हैं।

अध्ययनों से यह साबित हो चुका है कि पहले वाले वेरिएंट से हुए संक्रमणों से ओमिक्रॉन में कोई सुरक्षा नहीं मिलती। इंपीरियल कॉलेज लंदन की कोविड-19 रिस्पांस टीम ने पाया कि पहले का संक्रमण छह महीने तक पुनःसंक्रमण से 85 फीसदी तक सुरक्षा देता है। टीम ने बताया कि ओमिक्रॉन के संक्रमण के मामले में पुनःसंक्रमण से यह सुरक्षा गिरकर 19 फीसदी पर पहुंच गई।

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