कोरोना संक्रमण की दूसरी घातक लहर के बीच मरीजों के सामने वेंटिलेटर की मांग तेजी से बढ़ी है। दिल्ली में बिगड़ते हालात के कारण हरियाणा के अस्पतालों में देखने को मिल रहा है। हालांकि हरियाणा सरकार का दावा है कि प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में बेड और आईसीयू वेंटिलेटर हैं, लेकिन प्रदेश में हर रोज सात हजार से अधिक नए केस मिलने और दिल्ली में बेड नहीं मिलने पर वहां के मरीजों का गुरुग्राम, फरीदाबाद, बहादुरगढ़, पानीपत जैसे शहरों की ओर रूख करने के कारण आईसीयू और वेंटिलेटर की कमी हो गई है। मंगलवार को पानीपत में तीन लोगों की मौत वेंटिलेटर नहीं मिलने के कारण हो गई थी।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस समय हरियाणा में 2100 आईसीयू बेड की व्यवस्था की है और इस समय करीब 1360 मरीज आईसीयू में दाखिल हैं। 7101 ऑक्सीजन बेड हैं और 1084 वेंटिलेटर है। प्रदेश में कुल क्वारंटीन बेड 45 हजार हैं और आइसोलेट बेड 11500 हैं। प्रदेश में 181 समर्पित कोविड हेल्थ सेंटर, 526 कोविड केयर सेंटर और 43 कोविड अस्पताल हैं। अहम बात ये है कि इस समय हरियाणा में एक्टिव केसों की संख्या 50 हजार के पास पहुंच गई है। ढाई करोड़ की आबादी वाले हरियाणा में महज पांच अस्पतालों में 13 वेंटिलेटर मौजूद है। कोविड-19 के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. ध्रुव चौधरी का कहना है कि इस समय प्रदेश में निजी और सरकारी अस्पतालों में मिलाकर पर्याप्त इंतजाम किए गए है। मरीज वहीं आते हैं, जहां उन्हें बेड मिलते है। मरीजों को आने से रोका नहीं जा सकता है।
निजी अस्पतालों के भरोसे है प्रदेश में वेंटिलेटर व्यवस्था
भले ही सरकारी आंकड़ों में प्रदेश में एक हजार से अधिक वेंटिलेटर है, लेकिन इसमें 95 फीसदी वेंटिलेटर निजी अस्पतालों में है। प्रदेश के 22 सिविल अस्पतालों में से केवल पांच जिला अस्पतालों में 13 वेंटिलेटर की व्यवस्था है। सबसे अधिक रेवाड़ी के जिला अस्पताल में 5 वेंटिलेटर है। मेडिकल हब के रूप में विकसित 30 लाख की आबादी वाले गुरुग्राम में 233 वेंटिलेटर बेड की सुविधा है, लेकिन यह सभी निजी अस्पतालों में है। 200 बेड के सरकारी अस्पताल में एक भी वेंटिलेटर या आईसीयू नहीं है। जबकि प्रदेश में सबसे अधिक औसतन ढाई हजार कोविड-19 से संक्रमित मरीज गुरुग्राम में आ रहे है।
स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सिविल अस्पताल के पास छह वेंटिलेटर थे, लेकिन तकनीकी तौर पर किसी डॉक्टर के पास परीक्षण नहीं होने के कारण वह रखे-रखे खराब हो गया। बाकी बिल्डिंग के शिफ्ट करने के बाद इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। करोड़ों रुपये की मशीन खराब पड़ी हुई है। इसी तरह फरीदाबाद में 56 वेंटिलेटर कोविड केयर मरीजों के लिए हैं, जिनमें सभी निजी अस्पतालों में है। इसके अलावा यहां 134 आईसीयू कोविड मरीजों के लिए आरक्षित हैं। इसके विपरीत 208 आईसीयू में कोविड मरीजों को दाखिल किया गया है।
कुरुक्षेत्र के सरकारी एलएनजेपी अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में गंभीर कोरोना पॉजिटिव मरीजों के लिए छह माह पहले बनाए गए आइसीयू में आज भी ताले लटके हुए हैं। अत्याधुनिक उपकरणों से लैस इस आइसीयू में चार वेंटिलेटर है, लेकिन प्रशिक्षित स्टाफ नहीं होने की वजह से बंद ही पड़ा है। अब यहां के मरीजों को स्थिति बिगड़ने पर निजी अस्पतालों या बड़े संस्थानों में रेफर कर दिया जाता है। एलएनजेपी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. लज्जाराम ने बताया कि आइसीयू के लिए प्रशिक्षित स्टाफ की मांग की हुई है।
स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी चीफ मेडिकल ऑफिसर पद से सेवानिवृत्त डॉ. एमपी शर्मा कहते है, सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर नहीं होने का सबसे बड़ा कारण क्रिटिकल केयर यूनिट का नहीं होना है। इसके लिए एमडी या अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर की जरूरत होती है। हरियाणा में विशेषज्ञ डॉक्टरों के लिए अलग से कोई काडर नहीं है। जिसके तहत भर्ती ही नहीं होती है। सरकार की तरफ जिन अस्पतालों में कुछ बेड तैयार किए गए थे, उनके लिए आज तक एक्पर्ट की भर्ती नहीं हुई है। डॉक्टरों को ही विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है, लेकिन डॉक्टर इसमें विशेष रूचि नहीं लेते है।
सस्ते वेंटिलेटर के लिए भटक रहे है मरीज
कोविड-19 संक्रमित होने के बाद सांसों पर आफत को निजी अस्पताल खूब लूट रहे है। गुरुग्राम के मेदांता, फोर्टिस, आर्टिमिस और पारस अस्पताल में एक दिन का बिल 40 से 70 हजार रुपये तक वसूला जा रहा है। सेक्टर-56 के रहने वाले बृजेश श्रीवास्तव ने बताया कि उनकी 73 वर्षीय सास को कोविड-19 पॉजिटीव होने के बाद उन्हें पारस अस्पताल में भर्ती कराया था। एक दिन की जांच, दवाइयां और अस्पताल का खर्च करीब 69 हजार रुपये का बिल बना दिया गया। इस संकट की घड़ी में आमदनी सीमित होने के कारण इतना महंगा खर्च उठाना संभव नहीं हुआ तो किसी तरह दूसरे दिन छोटे अस्पताल में वेंटिलेटर का इंतजाम किया। अब वहां हर दिन का खर्च 10 हजार रुपये देना पड़ रहा है।
वहीं, कोविड-19 इलाज के इंचार्ज अधिकारी टीसी गुप्ता का कहना है कि निजी अस्पतालों के लिए सरकार ने मानक तय किए है। उससे अधिक रकम कोई अस्पताल नहीं ले सकता है। सामान्य अस्पताल वेंटीलेटर की आवश्यकता वाले आइसीयू में भर्ती मरीजों से अधिकतम 15 हजार रुपये प्रतिदिन और आक्सीजन और सहायक सुविधाओं के साथ अलग बिस्तर के लिए एक मरीज से प्रतिदिन आठ हजार रुपये शुल्क ले सकते है। अन्य बीमारियों से ग्रसित ऐसे कोविड के मरीज, जिन्हें बिना वेंटीलेटर के आइसीयू की आवश्यकता है, उनसे प्रतिदिन के हिसाब से 13 हजार रुपये शुल्क लिया जा सकता है। एनएबीएच मान्यता प्राप्त अस्पतालों में कोविड के इलाज के लिए तीन श्रेणियों में प्रतिदिन 10 हजार रुपये, 15 हजार रुपये और 18 हजार रुपये तक शुल्क लिया जा सकता है।