लॉक डाउन का असर अब हरियाणा के ब्लड बैंकों पर दिखने लगा है। हरियाणा के निजी और चैरिटेबल ट्रस्ट के ब्लड बैंक के पास खून नहीं है। सरकारी अस्पतालों में भी अब फ्रेश ब्लड नहीं है। पुराने स्टॉक भी खत्म होने के कगार पर है। प्रदेश के 12 सरकारी ब्लड बैंक में 70 फीसदी से अधिक होल ब्लड खत्म हो चुका है। सबसे अधिक परेशानी गर्भवती महिलाओं और थैलेसिमिया ग्रस्त मरीजों को हो रही है।
लॉकडाउन की वजह से पैदल पलायन कर उत्तर प्रदेश जा रहे डेढ़ दर्जन से अधिक मजदूरों को टमाटर से लदे कैंटर ने कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) पर 28 मार्च की आधी रात को पंचगांव के पास कुचल दिया था। इस हादसे में एक मासूम समेत पांच लोगों की मौत हो गई, वहीं 18 लोग घायल हो गए। इनमें पांच लोगों को खून की जरूरत थी, लेकिन जब मानेसर स्थित निजी अस्पताल में ले जाया गया, तो वहां ब्लड ही नहीं था। ब्लड बैंक में किसी भी ग्रुप को होल ब्लड यूनिट नहीं था। इसकी सूचना जिला प्रशासन को दी। जिसके बाद प्रशासन ने स्वयंसेवियों की मदद से इंतजाम किया गया।
इसी तरह गुड़गांव गांव की रहने वाली 13 वर्षीय एक लड़की मेजर थैलेसिमिया से ग्रसित है। सोशल मीडिया के जरिये उसके पिता ने अपनी बेटी के लिए ब्लड डोनेट करने की अपील करते हुए लिखा कि बेटी को हर 15 दिन पर ब्लड की जरूरत होती है। अगर नहीं मिलेगा तो मर जाएगी। तब जाकर किसी स्वयंसेवी ने मंगलवार को मदद की।
दरअसल, लॉक डाउन के चलते रक्तदान शिविरों का आयोजन रुक गया है। रेडक्रॉस सोसाइटी के पूर्व सचिव प्रदीप कुमार का कहना है कि पूरे हरियाणा में 20 हजार से अधिक यूनिट का रक्तदान होता है। अभी रक्तदान शिविर नहीं लगने से दिक्कतें आ रही है। कोरोनावायरस के संक्रमण को देखते हुए लोग बाहर आने से भी गुरेज कर रहे है। कई जगहों पर पुलिस भी रोक लेती है।
हरियाणा में हर दिन औसतन 150 शिशु जन्म लेते हैं। इस दौरान मांओं को खून की जरूरत पड़ सकती है। इसके अलावा करीब 700 थैलेसिमिया के मरीज है। जिन्हें ताजा रक्त देना आवश्यक होता है। ब्लड नहीं मिलने से उनकी जिंदगी खतरे में पड़ सकती है। फाउंडेशन अगेंस्ट थैलेसिमिया के प्रमुख रविंद्र डुडेजा बताते हैं कि हर 15 दिन में एक व्यवस्क थैलेसिमिया ग्रसित को दो यूनिट और 12 साल से कम उम्र के बच्चे को एक यूनिट ब्लड की जरूरत होती है। अब पूरे हरियाणा में ब्लड की किल्लत हो रही है। कुछ और दिनों तक ऐसा ही रहा तो थैलेसिमिया ग्रस्त बच्चों का भगवान ही जाने क्या होगा।
हरियाणा में 81 निजी व चैरिटेबल और 17 सरकारी ब्लड बैंक है। कमोबेश सभी निजी अस्पतालों में होल ब्लड नहीं है, जबकि सरकारी अस्पतालों में भी भारी रक्त की कमी है। अगर बात करें गुरुग्राम की तो यहां 13 ब्लड बैंक है। इसमें 11 प्राइवेट, एक चैरिटेल और एक सरकारी ब्लड बैंक है। इन ब्लड बैंकों में होल ब्लड हमेशा मौजूद रहता है। लेकिन इन दिनों सरकारी ब्लड बैंक को छोड़कर कही भी होल ब्लड नहीं है। सरकारी ब्लड बैंक में अब केवल 70 यूनिट होल ब्लड है, जबकि यहां हमेशा 200 यूनिट से अधिक ब्लड होता है। सरकारी ब्लड बैंक में ए नेगेटिव, एबी नेगेटिव और एबी पॉजिटीव ग्रुप को ब्लड केवल 14 यूनिट है।
जबकि टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए मशहूर पानीपत में केवल रेडक्रॉस सोसाइटी के पास ब्लड है। यहां एबी नेगेटिव (एक यूनिट), एबी पॉजिटीव (4 यूनिट), ए पॉजिटीव (5 यूनिट), बी नेगेटिव (6 यूनिट), बी पॉजिटीव (68 यूनिट), ओ नेगेटिव (एक यूनिट) और ओ पॉजिटीव (48 यूनिट) मौजूद है। जबकि यहां 150 से अधिक रक्त मौजूद रहता था। नूंह, महेंद्रगढ़, चरखी-दादरी में कहीं भी ब्लड नहीं है। इसी तरह अन्य जिलों का हाल है।
रेडक्रॉस सोसाइटी के श्याम सुंदर का कहना है रक्तदान शिविर नहीं लगने से दिक्कत हो रही है। इसलिए सभी रोगियों को अपने साथ रक्तदाता लाने की अपील की जा रही है। पुलिस को भी प्रशासन के मार्फत पत्र भेजा गया है कि किसी रोगी को रोका नहीं जाए। रेडक्रॉस आने जाने के लिए इन्हें वाहन भी उपलब्ध कराया जा रहा है।