भारत में धूम्रपान के कारण हर साल जाती है 10 लाख से ज्यादा लोगों की जान

भारत में धूम्रपान करने के कारण हर साल औसतन 10 लाख लोगों की जान जाती है| इस आंकड़ें में पिछले 30 वर्षों में 58.9 फीसदी का इजाफा हुआ है
भारत में धूम्रपान के कारण हर साल जाती है 10 लाख से ज्यादा लोगों की जान
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भारत में धूम्रपान करने के कारण हर साल औसतन 10 लाख लोगों की जान जाती है। इस आंकड़ें में पिछले 30 वर्षों में 58.9 फीसदी का इजाफा हुआ है। जहां देशों में तम्बाकू पीने के कारण 1990 में 6 लाख लोगों की जान गई थी, वो संख्या 2019 में बढ़कर 10 लाख पर पहुंच गई है। यह जानकारी मई 2021 में अंतराष्ट्रीय जर्नल लैंसेट में छपे एक अध्ययन में सामने आई है।

वहीं यदि सभी रूपों में तम्बाकू के सेवन की बात करें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार भारत में हर साल होने वाली 13.5 लाख मौतों के लिए तम्बाकू जिम्मेवार है। भारत दुनिया में तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है। ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे इंडिया, 2016-17 के अनुसार देश में 29 फीसदी वयस्क (26.7 करोड़) तंबाकू का सेवन करते हैं। इसमें खैनी, गुटखा, सुपारी तंबाकू, जर्दा, बीड़ी, सिगरेट और हुक्का जैसे उत्पाद शामिल हैं।

शोध के मुताबिक 2019 में वैश्विक स्तर पर करीब 114 करोड़ लोग धूम्रपान करते थे जोकि करीब 7.41 लाख करोड़ सिगरेट के बराबर तम्बाकू का सेवन करते हैं। हालांकि देखा जाए तो 1990 की तुलना में 2019 में धूम्रपान के प्रसार में कमी आई है।

1990 की तुलना में धूम्रपान करने वाले पुरुषों में 27·5 फीसदी और महिलाओं में 37·7 फीसदी की कमी आई है, पर इसके बावजूद यदि धूम्रपान करने वालों की कुल संख्या की बात करें तो उसमें 15.5 फीसदी का इजाफा हुआ है, जहां 1990 में वैश्विक स्तर पर 99 करोड़ लोग धूम्रपान करते थे, वो संख्या 2019 में 114 करोड़ पर पहुंच गई है। यह वो लोग हैं जिनकी आयु 15 वर्ष या उससे ऊपर है। इस लिहाज से विश्व के 15 वर्ष से अधिक आयु के करीब 32·7 फीसदी पुरुष और 6·62 फीसदी महिलाएं तम्बाकू पीती हैं।

धूम्रपान करने के कारण वैश्विक स्तर पर 2019 में 76.9 लाख लोगों की जान गई थी। वहीं यह कैंसर, हृदय रोग, फेफड़ों की बीमारी और अन्य सांस सम्बन्धी बीमारियों को जन्म दे सकता है, जिसके कारण 2019 में 20 करोड़ जीवन वर्षों का नुकसान हुआ था। आंकड़ों के अनुसार दुनिया में हर पांचवे पुरुष की मौत के लिए धूम्रपान ही जिम्मेवार है। जो इसे उनकी मृत्यु का सबसे बड़ा कारण बनाता है।

तंबाकू के सेवन से हर साल होता है करीब 105.4 लाख करोड़ रुपए का नुकसान

वहीं डब्लूएचओ द्वारा जारी तंबाकू टैक्स मैन्युअल से पता चला है कि दुनिया भर में तंबाकू के इस्तेमाल से हर साल करीब 105.4 लाख करोड़ रुपए (140,000 करोड़ डॉलर) का नुकसान हो रहा है। यह नुकसान तम्बाकू के कारण स्वास्थ्य पर किए जा रहे खर्च और उत्पादकता में आ रही गिरावट के कारण हो रहा है। इसके बावजूद दुनिया के केवल 38 देशों में तम्बाकू पर पर्याप्त कर लगाए हैं। करों का मतलब है कि इन देशों में स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले इन हानिकारक उत्पादों पर उनकी कीमत का करीब 75 फीसदी हिस्सा कर के रूप में था। हालांकि देखा जाए तो इन देशों में दुनिया की केवल 14 फीसदी आबादी रहती है। इसका मतलब है कि 86 फीसदी आबादी अभी भी पर्याप्त करों के दायरे से बाहर है।

भारत में भी तम्बाकू के सेवन को सीमित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। भारत सरकार ने सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों के उपभोग की आयु सीमा को 18 से बढाकर 21 वर्ष करने का प्रस्ताव रखा है। इसके लिए सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन और व्यापार और वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति और वितरण निषेध) संशोधन अधिनियम, 2020 का मसौदा भी तैयार किया गया है। साथ ही इस विधेयक में सिगरेटों की खुली बिक्री पर प्रतिबंध लगाने, रेस्तरां और हवाई अड्डों पर धूम्रपान करने वाले कमरों पर प्रतिबंध लगाने और सार्वजनिक स्थानों पर नियमों का पालन न करने पर दंड बढ़ाने का भी प्रस्ताव रखा है।

लेकिन सच्चाई यही है कि जब तक लोग अपने आप इसके सेवन को नहीं छोड़ते और इससे अपने और परिवार को होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक नहीं होंगे तब तक इसे पूरी तरह खत्म करना सरकार के लिए भी आसान नहीं है।

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