नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 22 सितंबर, 2022 को पानीपत थर्मल पावर स्टेशन द्वारा अवैध रूप से डंप की जा रही फ्लाई ऐश की जांच के लिए समिति को निर्देश दिए हैं। मामला हरियाणा में पानीपत के खुखराना गांव का है।
गौरतलब है कि इस मामले में सुताना गांव के सुभेंदर ने एक याचिका एनजीटी में दायर की थी, जिसमें उन्होंने यह आरोप लगाया था कि प्लांट से निकले फ्लाई ऐश को आसपास के क्षेत्रों में डंप किया जा रहा है। जिससे आसपास के गांवों सुताना, जाटाल, खुखराना, उंटला, आसन आदि में फ्लाई ऐश के कणों के उड़ने के कारण लोगों को समस्या हो रही है।
इसके साथ ही इस प्लांट के किनारे से गुजरने वाले यात्रियों को फ्लाई ऐश के कारण काफी परेशानी का भी सामना करना पड़ता है। आवेदक ने बताया कि 20 मई 2022 को चली हवा के कारण फ्लाई ऐश उक्त गांवों के घरों तक में घुस गई थी।
ऐसे में कोर्ट ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पानीपत के उपायुक्त को साथ लेकर एक संयुक्त समिति के गठन का निर्देश दिया था, जिसे दो सप्ताह के भीतर साइटों का दौरा करने और शिकायतों को देखने के लिए कहा गया था।
साथ ही कोर्ट ने इस मामले में मामले की जांच कर एक माह के भीतर अपनी रिपोर्ट कोर्ट में जमा करने के लिए कहा है। आदेश में कहा गया है कि यदि संयुक्त समिति सहमति की शर्तों और पर्यावरण मानदंडों के किसी भी उल्लंघन को देखती है, तो वह अपनी रिपोर्ट की एक कॉपी पानीपत थर्मल पावर स्टेशन को भी भेजेगी, जिससे समिति की सिफारिशों को लागू किया जा सके और प्लांट के खिलाफ आपत्ति दर्ज की जा सके।
पंचकुला में परिवहन के लिए कम धार्मिक कचरे को फेंकने के लिए ज्यादा किया जा रहा है पुल का उपयोग
एनजीटी में दाखिल एक अर्जी में कहा गया है कि हरियाणा के पंचकुला में सेक्टर 21 और 23 के बीच घग्गर नदी पर बने पुल का उपयोग चंडीगढ़ ट्राइसिटी तक परिवहन के लिए कम बल्कि धार्मिक कचरे के विसर्जन के लिए ज्यादा किया जा रहा है। इससे नदी दूषित हो रही है और पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है।
अदालत ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए एक समिति को मामले की जांच के निर्देश दिए हैं साथ ही उसे दो महीने के भीतर रिपोर्ट कोर्ट में सौंपने के लिए कहा है।
रहेटा में बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित हैं ग्रामीण, कोर्ट ने समिति से एक महीने में मांगी रिपोर्ट
एनजीटी ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और सोनभद्र के उपायुक्त को गांव रहेटा में पानी की कथित कमी की जांच के निर्देश दिए हैं। गौरतलब है कि एनजीटी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सचिव पन्ना लाल द्वारा दायर याचिका पर कार्रवाई कर रही थी।
पत्र के रूप में भेजी गई इस याचिका में आवेदक ने रहेटा गांव के निवासियों की शिकायतों को उजागर किया गया था। गौरतलब है कि इस गांव को उत्तरी कोलफील्ड्स (एनसीएल) काकरी परियोजना के तहत सोनभद्र में पुनर्वासित किया गया था। इस गांव में कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) के तहत आठ रिवर्स ऑस्मोसिस प्लांट लगाए गए हैं। आरोप है कि उनमें से केवल तीन ही प्लांट चालू हैं जबकि पांच बंद पड़े हैं।
इसी तरह लगभग चौंतीस वर्ष पूर्व सीएसआर के तहत निर्मित सामुदायिक केंद्र भी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है और पिछले पांच वर्षों से उपयोग में नहीं आ रहा है। इस गांव में रहने वाले लोगों के लिए मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है जिसके कारण वो आक्रोशित हैं।
एनजीटी ने कहा है कि पहली दृष्टि में आवेदन में जो बात कही है वो एनजीटी अधिनियम 2010 की अनुसूची I में निर्दिष्ट पर्यावरण संबंधित मामले में प्रश्न उठाते हैं। इसके अलावा साफ पानी और स्वच्छता संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के लक्ष्यों (एसडीजी) में से एक है।
इस मामले में एनजीटी ने एक संयुक्त समिति का गठन किया है जिसे आवेदक की शिकायतों को देखने, साइटों का दौरा करने और तथ्यात्मक स्थिति की पुष्टि करने के बाद एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट कोर्ट के सामने प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
प्रदूषण और अतिक्रमण का दंश झेल रही है लखनऊ की सबसे बड़ी झील: एनजीटी ने दिए जांच के आदेश
लखनऊ के गांव गढ़ी-चुनोटी में चंदे बाबा तालाब अतिक्रमण का खतरा झेल रहा है और झील के जलस्तर में भी कमी आ रही है। यह झील सर्दियों के दौरान हजारों प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करती है लेकिन उनकी संख्या भी तेजी से कम हो रही है, एनजीटी के वकील उत्कर्ष सिंह चौहान ने एक याचिका में बताई यह जानकारी कोर्ट के सामने रखी है।
आवेदक के अनुसार, चंदे बाबा तालाब 100 एकड़ में फैला हुआ है और वो लखनऊ शहर की सबसे बड़ी झील है। इसके अलावा, इस झील का जल स्रोत नगवा नाला नामक एक तूफानी जल निकासी नाली है। जानकारी दी गई है कि सई नदी में मिलने वाले उक्त नाले का मीठा पानी बर्बाद हो रहा है। ऐसे में चंदे बाबा झील के जल स्तर में सुधार के लिए तूफानी जल निकासी को नदी से जोड़ने की आवश्यकता है।
ऐसे में इस मामले में कोर्ट ने एक संयुक्त समिति को साइटों का दौरा करके एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने और वास्तविक स्थिति को सत्यापित करने का निर्देश दिया है।