कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में बेंगलुरु के बाजारों से लिए सब्जियों के नमूनों में भारी धातुओं की मौजूदगी का खुलासा किया है। रिपोर्ट से पता चला है कि विश्लेषण किए गए 320 सैम्पल्स में से 200 में आयरन, जिंक, मैंगनीज, कॉपर, और निकल तो तय सीमा में थे लेकिन क्रोमियम, लीड, और कैडमियम का स्तर खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ)/ विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा तय मानकों से अधिक था।
हालांकि खुदरा बाजारों और आर्गेनिक दुकानों की सब्जियों से लिए नमूनों में सीसा और कैडमियम का स्तर पता लगाने योग्य सीमा से कम था।
ऐसे में कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) ने एनजीटी को सूचित किया है कि बेंगलुरु के चयनित स्टोरों और बाजारों की सब्जियों में मौजूद प्रदूषण के स्तर को समझने के लिए अधिक व्यापक और गहन जांच की आवश्यकता है। इस अध्ययन में सब्जियों के स्रोतों, मिट्टी, पानी, कृषि-इनपुट और विभिन्न कृषि पद्धतियों को भी शामिल करना होगा, जिसके लिए राज्य-स्तरीय भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के सहयोग की आवश्यकता है।
कूउम नदी के किनारों से साफ कर दिया गया है 100,485 मीट्रिक टन मलबा और कचरा
चेन्नई रिवर रेस्टोरेशन ट्रस्ट (सीआरआरटी) द्वारा कूउम नदी की पर्यावरण बहाली के लिए चलाई जा रही परियोजना के तहत उसके किनारों से कुल एक लाख मीट्रिक टन मलबा और कचरा साफ कर दिया गया है, जिस पर 6.25 करोड़ रुपए की लागत आई है।
इस परियोजना से प्रभावित कुल 14,257 परिवारों की पहचान नदी के किनारे अतिक्रमण करने वालों के रूप में की गई है। अब तक, कूउम नदी के किनारे बसे 13,481 झुग्गी-झोपड़ी परिवारों को तमिलनाडु शहरी आवास विकास बोर्ड (टीएनयूएचडीबी) के मकानों में पुनर्वासित किया गया है। झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले शेष परिवारों को टीएनयूएचडीबी टेनमेंट में स्थानांतरित करने के प्रयास चल रहे हैं।
इस बाबत 10 नवंबर 2023 को एनजीटी में दाखिल रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन अड्यार और कूउम नदियों के किनारे बने बांधों और और किनारों से नियमित रूप से किए जा रहे सफाई कार्यों और समय-समय पर विशेष अभियानों की मदद से कचरा साफ करता है।
रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि कूउम नदी की पर्यावरण-बहाली के लिए सीआरआरटी परियोजना के तहत जलकुंभी और अन्य तैरती सामग्रियों को रोकने और इकट्ठा करने के लिए आठ स्थानों पर ट्रैश बूम स्थापित किए गए हैं। इन्हें समय-समय पर चीनी मिट्टी के बरतन और लॉरी का उपयोग करके हटा दिया जाता है, जिसके चलते इन आठ स्थानों से करीब 39,000 मीट्रिक टन जलकुंभी और तैरती सामग्री हटा दी गई है।
इतना ही नहीं सीआरआरटी परियोजना के तहत कूउम नदी पर अतिक्रमण और ठोस कचरे की डंपिंग को रोकने के लिए 23.92 किलोमीटर लम्बी कंपाउंड दीवार, और सीमा बाड़ का निर्माण किया जाना है। इसमें से अब तक 20.54 किलोमीटर लम्बी चहारदीवारी का काम पूरा हो चुका है।
पर्यावरण संबंधी नियमों को अनदेखा कर रही हैं बिरही कलां में छह स्टोन क्रशिंग इकाइयां: समिति रिपोर्ट
संयुक्त समिति ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में जानकारी दी है कि बिरही कलां में 30 स्टोन क्रशिंग इकाइयों में से 19 इकाइयां मानकों का पालन कर रही हैं। पांच इकाइयों को नष्ट कर दिया गया है, जबकि छह इकाइयों ने वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के पर्याप्त उपाय नहीं किए हैं। इस तरह वो मानकों का पालन नहीं कर रही हैं। मामला हरियाणा के चरखी दादरी के बिरही कलां का है।
इस मुद्दे को हल करने के लिए, संयुक्त समिति ने सिफारिश की है कि हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को बिरही कलां में नियमों का पालन न करने वाली स्टोन क्रशिंग इकाइयों पर पर्यावरणीय मुआवजा लगाने के साथ-साथ उन्हें बंद करने के लिए कदम उठाने चाहिए।
समिति की यह भी सलाह है कि वन विभाग को, इन स्टोन क्रशिंग इकाइयों की मदद से बिरही कलां में स्टोन क्रशरों के मार्ग पर वृक्षारोपण करने की आवश्यकता है। रिपोर्ट के अनुसार, इसके अतिरिक्त, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) को इस क्षेत्र में इन इकाइयों पर लगातार निगरानी रखने की भी जरूरत है।