एंडोसल्फान पीड़ितों के लिए क्या स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हैं, सुप्रीम कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
एंडोसल्फान पीड़ितों के लिए क्या स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हैं, सुप्रीम कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट
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सुप्रीम कोर्ट ने 18 अगस्त, 2022 को कासरगोड के जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) सचिव को विभिन्न स्तरों पर कासरगोड में एंडोसल्फान प्रभावित क्षेत्रों के लिए उपलब्ध चिकित्सा और स्वास्थ्य सुविधाओं पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इस रिपोर्ट में जिला अस्पताल, सामान्य अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल होंगे।

कोर्ट ने डीएलएसए सचिव को स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी प्राप्त करने के लिए फील्ड विजिट करने के लिए कहा है साथ ही दो पहलुओं पर रिपोर्ट मांगी है जिसमें मौजूदा स्वास्थ्य सुविधाओं और स्वास्थ्य देखभाल और फिजियोथेरेपी के संबंध में क्या सुविधाएं उपलब्ध हैं उसके बारे में जानकारी देनी है। यह रिपोर्ट छह सप्ताह के भीतर कोर्ट में प्रस्तुत की जानी है और अदालत इस मामले में अगली सुनवाई 21 अक्टूबर, 2022 को करेगी।

किस आधार पर जुर्माना कर दिया माफ, एनजीटी ने सीजीडब्ल्यूए से पूछा सवाल

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, 18 अगस्त, 2022 ने केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) से पूछा है कि उसने किस आधार पर उद्योगों को लगाया जुर्माना माफ कर दिया है। मामला हरियाणा के सोनीपत का है जहां यह उद्योग बिना अनुमति के भूजल का दोहन कर रही थी।

साथ ही कोर्ट ने यह भी पूछा है कि जब वो क्षेत्र पानी की भारी किल्लत का सामना कर रहा था तो सीजीडब्ल्यूए बिना जरुरी उपायों के भूजल दोहन की अनुमति कैसे दे सकता है उसपर भी स्पष्टीकरण मांगा है।

साथ ही ट्रिब्यूनल ने जल शक्ति मंत्रालय को "व्यापक जल प्रबंधन रणनीति" पर एक रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया है। जो प्रदूषण को रोकने के साथ-साथ औद्योगिक उद्देश्यों के लिए पीने योग्य पानी के उपयोग में मदद करेगी।

गौरतलब है कि एनजीटी का यह आदेश उस आवेदन के जवाब में था, जिसमें कहा गया था कि एनजीटी द्वारा 5 मार्च, 2021 को दिए आदेश के बावजूद हरियाणा के सोनीपत में औद्योगिक इकाईयां अवैध रूप से भूजल का दोहन कर रही है, जोकि पर्यावरण सम्बन्धी नियमों का उल्लंघन है। साथ ही भूजल की बहाली के लिए भी कोई कदम नहीं उठाए गए हैं।

आवेदक का कहना है कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस मामले में मुआवजे का आकलन किया गया था, लेकिन वसूली और बहाली के लिए खर्च करने के बजाय, इसे अन्य कारणों के चलते सीजीडब्ल्यूए ने मनमाने ढंग से माफ कर दिया था।

सीवेज और सॉलिड वेस्ट की वजह से दूषित हो रही है अष्टामुडी झील, रिपोर्ट में आया सामने

केरल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अष्टामुडी झील पर किए स्वच्छता सर्वेक्षण से पता चला है कि इस झील में प्रदूषण की मुख्य वजह घरों और प्रतिष्ठानों से निकला सीवेज और ठोस कचरा है जिसे अंधाधुंध तरीके से इस झील में डाला जा रहा है।

जानकारी मिली है कि कोल्लम कॉर्पोरेशन द्वारा कुरीपुझा में 12 एमएलडी क्षमता के एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के निर्माण का काम किया जा रहा है। इस प्लांट के एक वर्ष के भीतर पूरा होने की उम्मीद है। रिपोर्ट का कहना है कि यह एसटीपी झील में सीवेज प्रदूषण को कम करने में मददगार होगा।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्रदूषण के उपरोक्त प्रमुख कारणों के अलावा, नारियल की भूसी की होती कटाई और संबंधित संचालन, जोकि छोटे पैमाने पर, झील में किए जाते हैं वो भी इस झील को प्रदूषित करने में मदद कर रहे हैं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आउटबोर्ड इंजन से लैस मछली पकड़ने की नावें भी इस झील में हाइड्रोकार्बन और भारी धातुओं छोड़ रही हैं। साथ ही कृषि पद्धतियां जिनमें रासायनिक/जैविक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग शामिल है, वो भी प्रदूषण का कारण बन सकते हैं।

साथ ही नावों को नष्ट करने से पैदा हुए कचरे को भी किनारों पर जमा करके जला दिया गया है जो मैंग्रोव को नुकसान पहुंचा सकते हैं। साथ ही जलीय कृषि और फिश प्रोसेसिंग यूनिट्स भी प्रदूषण का एक कारण हो सकती हैं।  

फार्मा कंपनियों द्वारा डॉक्टरों को दिए जा रहे मुफ्त उपहारों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

सर्वोच्च न्यायालय ने भारत सरकार को निर्देश दिया है कि वो फार्मा कंपनियों के मामले में एक जवाबी हलफनामा दायर करे। मामला फार्मा कंपनियों द्वारा डॉक्टरों को दिए जा रहे मुफ्त उपहारों से जुड़ा है जो वो कंपनियां अपनी दवाएं लिखने के लिए डॉक्टरों को दे रही हैं। गौरतलब है कि यह याचिका फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा दायर की गई थी।

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