इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 17 जनवरी, 2024 को प्रयागराज के एक अस्पताल में चूहों के आतंक को गंभीरता से लेते हुए मामले पर स्वतः संज्ञान लिया है। पूरा मामला उत्तर प्रदेश में प्रयागराज के स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल का है।
गौरतलब है कि यह मामला अमर उजाला में प्रकाशित एक समाचार के आधार पर कोर्ट द्वारा स्वत: संज्ञान लेते हुए दायर किया गया है। इस खबर में चूहों के चलते प्रयागराज के अस्पताल में पैदा हो रही समस्याओं का जिक्र किया गया है। कहा गया है कि यह चूहे अस्पताल में रखी दवाओं और अन्य चीजों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
उच्च न्यायालय का कहना है कि यदि यह आरोप सही हैं तो ये अस्पताल आने वाले और पहले से भर्ती मरीजों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। चूंकि यह मुद्दा सार्वजनिक महत्व का है, जिससे मरीजों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है, इसलिए अदालत ने चूहों की समस्या को नियंत्रित करने के लिए किए जा रहे उपायों पर नजर रखने का सुझाव दिया है।
उच्च न्यायालय ने अस्पताल के मुख्य अधीक्षक से कहा है कि वो अस्पताल में चूहों की समस्या से निपटने के लिए नियुक्त एजेंसी के बीच हुए अनुबंध की जानकारी कोर्ट में उपलब्ध कराएं। अदालत जानना चाहती है कि एजेंसी को कितना पैसा दिया गया और मामले को नियंत्रित करने के लिए उन्होंने क्या कार्रवाई की है।
अस्पताल अधिकारियों को यह भी बताने के लिए कहा गया है कि उन्होंने एसआरएन अस्पताल और उसके आसपास चूहों को बढ़ने से रोकने के लिए उन्होंने क्या कुछ कदम उठाए हैं और आगे क्या कदम उठाने की योजना है।
संतोषजनक नहीं ठोस कचरा प्रबंधन पर इस्लामपुर नगर परिषद द्वारा दायर हलफनामा: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने इस्लामपुर नगर परिषद द्वारा दायर हलफनामे पर असंतोष व्यक्त किया है। यह हलफनामा तीन अक्टूबर, 2023 को दिए आदेश पर कोर्ट में सौंपा गया है। अदालत का कहना है कि शहर में हर दिन कितना कचरा पैदा हो रहा है, ऐसी बुनियादी तथ्यों का जिक्र भी इस हलफनामे में नहीं किया गया है। यहां तक की अपशिष्ट प्रबंधन क्षमता के बारे में भी स्पष्ट रूप से जानकारी नहीं दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने नगर निगम परिषद से कहा है कि वह बताए कि उसने 28 अप्रैल 2021 के बाद महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मंजूरी हासिल करने के लिए क्या प्रयास किए हैं। अदालत ने इस्लामपुर नगर परिषद को सभी आवश्यक विवरणों के साथ एक स्पष्ट रिपोर्ट प्रस्तुत को कहा है, जिसके लिए एक महीने का समय दिया गया है। इस मामले में अगली सुनवाई सात मार्च, 2024 को होगी।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नया नोटिस जारी करने का भी निर्देश दिया है।
गौरतलब है कि तीन अक्टूबर, 2023 को दिए अपने एक आदेश में, सुप्रीम कोर्ट ने इस्लामपुर नगर परिषद के मुख्य अधिकारी को एक हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। इस हलफनामे में इस बात का जिक्र किया जाना था कि क्या परिषद ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 का पालन किया है और यदि किया है तो उसका विवरण कोर्ट ने मांगा था। इसके साथ ही कोर्ट ने इस बात का ब्यौरा भी मांगा था, दूषित सीवेज कृष्णा नदी में न छोड़ा जाए, यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कुछ कदम उठाए जा रहे हैं।