ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों के कल्याण के लिए दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों के कल्याण के लिए दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
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सुप्रीम कोर्ट ने ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्तियों के कल्याण के लिए उठाए गए कदमों पर दायर जनहित याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है। सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि याचिकाकर्ता ने ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्तियों के कल्याण से जुड़े अहम मुद्दे उठाए हैं। यह मुद्दे निःशक्त व्यक्ति अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत दिशानिर्देश तैयार करने से जुड़े हैं। इस याचिका में विकलांगों के रोजगार का भी मुद्दा उठाया गया है।

इस मामले में मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की बेंच ने शौर्य फाउंडेशन ट्रस्ट की ओर से पेश वकील गौरव केजरीवाल की दलीलों पर ध्यान देते हुए, जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया है।

फौरन बंद कर दिया जाना चाहिए बागेश्वर में होता खनन: एनजीटी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 9 मई, 2023 को निर्देश दिया है कि बागेश्वर के उगियान गांव के ठीक ऊपर किए जा रहे खनन को तुरंत बंद कर दिया जाना चाहिए। मामला उत्तराखंड के बागेश्वर जिले की कपकोट तहसील का है। इसके साथ ही कोर्ट ने जिलाधिकारी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि क्षेत्र में कोई खनन न किया जाए।

गौरतलब है कि गांव सोराग में होते अवैध खनन के खिलाफ कैलाश सिंह व अन्य ने कोर्ट में आवेदन किया था। जानकारी दी गई है कि इस तरह के अवैध खनन के लिए ब्लास्टिंग भी की गई है। इससे इलाके में घर, 4,000 पेड़, जलमार्ग और चरागाह की जमीन प्रभावित हुई है।

इस मामले में एनजीटी ने एक जनवरी, 2023 को आदेश जारी किया था, जिसके तहत उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बागेश्वर जिला मजिस्ट्रेट और प्रभागीय वन अधिकारी को शामिल करते हुए एक समिति गठित की गई थी, ताकि मामले में तथ्यात्मक और कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत की जा सके। समिति ने 17 मार्च, 2023 को सबमिट रिपोर्ट में स्वीकार किया था कि यह खनन स्थल, उगियान गांव के ठीक ऊपर 45 डिग्री के ढलान पर है।

साथ ही रिपोर्ट में यह भी माना है कि अवैध खनन से चरागाह भूमि और 4,000 पेड़ प्रभावित हुए हैं। साथ ही इसका असर क्षेत्र में तूफानी जल निकासी पर भी पड़ा है। वहीं ग्रामीणों द्वारा भौगोलिक स्थिति व नुकसान की सम्भावना को देखते हुए इस खनन का विरोध किया जा रहा है। एनजीटी ने मामले पर गौर करने के बाद कहा है कि क्षेत्र में खनन के संभावित नुकसान की रिपोर्ट को खारिज करने का कोई कारण नहीं है।

मेरठ स्थित वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट में वर्षों से जमा कचरे का नहीं किया जा रहा वैज्ञानिक तरीके से निपटान

9 मई 2023 को एनजीटी ने कहा है कि मेरठ के लोहिया नगर में स्थित वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट में वर्षों से जमा कचरे का वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन नहीं हो रहा है। कचरे को न तो उसके पैदा होने के स्थान पर सही से अलग किया जा रहा है और न ही उसे प्रोसेस करने की क्षमता मौजूद है। मामला मेरठ के हापुड़ रोड में लोहिया नगर का है।

अदालत के अनुसार रिपोर्टों से पता चला है कि वहां वर्षों से जमा सात लाख मीट्रिक टन पुराना कचरा अभी भी मौजूद है और केवल तीन लाख मीट्रिक टन का निपटान किया गया था। पता चला है कि वहां कोई अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्र नहीं है, ऐसे में हर दिन 900 टन कचरा डंप किया जा रहा है।

9 मई, 2023 को एनजीटी ने कहा है कि "निगम द्वारा वैधानिक कर्तव्यों का उल्लंघन किया गया है और यह स्थिति को सुधारने में उच्च अधिकारियों की विफलता को दर्शाता है।" एनजीटी ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को मामले की जांच करने और आगे के उपाय करने का निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट ने मेरठ नगर निगम के आयुक्त को भी एक माह के भीतर मामले में कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। 

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