जानते हैं, समय से पहले क्यों हो रहा है बच्चों का जन्म?

शोधकर्ताओं के अनुसार जब तापमान 32.2 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया तो समय से पहले पैदा होने वाले बच्चों की जन्म दर में 5 फीसदी की वृद्धि आ गई
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वैज्ञानिकों द्वारा किये गए नए अध्ययन के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग के चलते बच्चों के समय से पहले जन्म लेने के मामले बढ़ रहे हैं। जिससे बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि क्लाइमेट चेंज की वजह से तापमान में जिस तेजी से वृद्धि हो रही है, उसके चलते यह समस्या और गंभीर हो सकती है। यह अध्ययन अंतराष्ट्रीय जर्नल नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन के अनुसार, गर्मी के बढ़ने से गर्भवती महिलाओं में प्रसव सम्बन्धी जोखिम बढ़ जाता है। जिससे गर्भपात की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। साथ ही इसके चलते होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है।

यह अध्ययन संयुक्त राज्य अमेरिका में 1969 से 1988 के बीच हो रही ग्लोबल वार्मिंग पर आधारित है। इसके लिए वैज्ञानिकों ने वहां प्रतिदिन जन्म ले रहे बच्चों की जन्म दर में आ रहे परिवर्तनों को आधार बनाया है। इसके लिए वैज्ञानिकों ने 5.6 करोड़ सैम्पल्स का अध्ययन किया है। जिसकी मदद से उन्होंने बढ़ रही गर्मी और उससे जन्म की अवधि में आ रहे बदलाव का अनुमान लगाया है। उनके अनुसार जिस दिन भीषण गर्मी पड़ती है, उस दिन और उसके अगले दिन बच्चे के जन्म की सम्भावना काफी बढ़ जाती है। साथ ही इसका असर अगले दो सप्ताह तक रहता है।

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि गर्मी के बढ़ते जोखिम के चलते हर वर्ष अमेरिका में औसतन 25,000 शिशुओं का जन्म समय से दो सप्ताह पहले हो जाता है। वहीं इसके चलते हर वर्ष 150,000 से अधिक गर्भावधि दिनों की हानि होती है। और यदि ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए जल्द कदम न उठाये गए तो इस सदी के अंत तक तक यह नुकसान बढ़कर 250,000 दिनों का हो जायेगा ।

आखिर क्या सम्बन्ध है बढ़ते तापमान और बच्चे के जन्म के बीच 

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के शोधकर्ता एलन बर्रेका ने बताया कि "बच्चों के जल्दी पैदा होने से उनके विकास के प्रभावित होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है। साथ ही इसका प्रभाव उनके बड़े होने पर भी कायम रहता है। उनके अनुसार गर्मी के बढ़ने से गर्भवती महिला के शरीर में ऑक्सीटोसिन नामक हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जोकि प्रसव और बच्चे के जन्म को नियंत्रित करने वाला एक प्रमुख हार्मोन होता है। हालांकि वो इस बात से भी इंकार नहीं करते कि गर्म मौसम से होने वाले हृदय संबंधी तनाव से बच्चों का जन्म समय से पहले हो रहा है।

शोधकर्ताओं के अनुसार जब तापमान 32.2 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया तो समय से पहले पैदा होने वाले बच्चों की जन्म दर में 5 फीसदी की वृद्धि आ गयी थी । जोकि 200 में से एक बच्चे के जन्म को प्रभावित कर रही है| एलन के अनुसार चूंकि वैश्विक स्तर पर तापमान में पूर्व औद्योगिक काल की तुलना में  औसतन 1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो चुकी है, और इसके आगे भी और बढ़ने के आसार हैं। तो बच्चे के जन्म से जुड़े यह आंकड़े चिंताजनक हैं, क्योंकि भविष्य में इसके और गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं।

अनुमान है कि इस सदी के अंत तक अमेरिका में हर 100 में से एक बच्चे का जन्म समय से पहले हो जायेगा। शोधकर्ताओं का मानना है कि भारत जैसे विकाशील देशों में ग्लोबल वार्मिंग के और गंभीर परिणाम हो सकते हैं। क्योंकि वहां गर्भवती महिलाओं को गर्मी से बचाने के लिए साधन उपलब्ध ही नहीं हैं, और जो हैं भी वो या तो बहुत अधिक महंगे हैं या फिर बहुत अधिक ऊर्जा की खपत करते हैं, जिससे उनका प्रयोग काफी सीमित हो जाता है। ऐसे में ग्लोबल वार्मिंग महिलाओं के प्रसव की अवधि के साथ-साथ बच्चों के शारीरिक और बौद्धिक विकास को भी प्रभावित कर सकती है।

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