देश में डेंगू का बढ़ता प्रकोप: कर्नाटक सबसे ज्यादा प्रभावित, जानें कैसे फैलता है डेंगू

डब्ल्यूएचओ की मानें तो विश्व की लगभग आधी आबादी अब डेंगू के खतरे में है तथा हर साल लगभग 10 से 40 करोड़ लोग डेंगू से संक्रमित होते हैं।
डेंगू संक्रमित मादा मच्छरों, मुख्य रूप से एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से मनुष्यों में फैलता है।
डेंगू संक्रमित मादा मच्छरों, मुख्य रूप से एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से मनुष्यों में फैलता है। फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, विश्व की लगभग आधी आबादी अब डेंगू के खतरे में है तथा हर साल लगभग 10 से 40 करोड़ लोग डेंगू से संक्रमित होते हैं। वहीं भारत की बात करें तो यहां मॉनसून का दौर जारी है, देश के अधिकतर हिस्सों में हो रही बारिश के कारण डेंगू का प्रकोप बढ़ रहा है, खासकर दक्षिण के कुछ राज्यों में मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों में वृद्धि देखी जा रही है। कर्नाटक में डेंगू के बढ़ते प्रकोप से चिंता बढ़ गई है क्योंकि राज्य में इस साल दर्ज मामलों की संख्या 7,000 के आंकड़े के पार पहुंच गई है।

कर्नाटक सरकार के छह जुलाई तक के आंकड़ों के अनुसार, 7,006 लोगों में वायरल संक्रमण का पता चला है, जिनमें से छह की बीमारी से मृत्यु हो गई है। केवल बेंगलुरू में डेंगू संक्रमण के 1,908 पॉजिटिव मामले सामने आए हैं, जो राज्य में सबसे अधिक है।

कर्नाटक में छह जुलाई 2024 तक जिलेवार डेंगू के मामले
कर्नाटक में छह जुलाई 2024 तक जिलेवार डेंगू के मामले स्रोत: स्वास्थ्य विभाग कर्नाटक सरकार

अन्य जिलों में डेंगू संक्रमण में वृद्धि देखें तो चिकमगलुरु में 521 मामले, मैसूर में 496 मामले और हावेरी में 481 मामले हैं। धारवाड़ में भी डेंगू के 289 पॉजिटिव मामले सामने आए हैं। चित्रदुर्ग में भी डेंगू के 275 मामले सामने आए हैं।

इस बीच, देश की राजधानी नई दिल्ली में भी डेंगू का प्रकोप देखने को मिला और छह जुलाई की रात तक कुल 240 मामले दर्ज किए गए।

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डेंगू संक्रमित मादा मच्छरों, मुख्य रूप से एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से मनुष्यों में फैलता है।

डेंगू क्या है और कैसे फैलता है?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, डेंगू या हड्डी तोड़ बुखार मच्छरों द्वारा फैलने वाला एक खतरनाक संक्रमण है। डेंगू संक्रमित मादा मच्छरों, मुख्य रूप से एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से मनुष्यों में फैलता है। जिन लोगों में लक्षण होते हैं, उनमें सबसे आम तेज बुखार, सिरदर्द, शरीर में दर्द, मतली और दाने होते हैं। अधिकांश लोग एक से दो सप्ताह में ठीक हो जाते हैं। कुछ लोगों को गंभीर डेंगू हो जाता है और उन्हें अस्पताल में भर्ती करने तथा अधिक देखभाल की जरूरत पड़ती है।

मच्छर छत पर रखे खुले टैंकों, ड्रम, बैरल और इसी तरह के बर्तनों में जमा पानी में पनपते हैं। इसलिए, विशेषज्ञों का सुझाव है कि यह सुनिश्चित करने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए कि खुले बर्तनों में पानी इकट्ठा न होने पाए।

डेंगू होने के संकेत

डेंगू से पीड़ित अधिकांश लोगों में लक्षण नहीं होते या इसके कुछ लक्षण आमतौर पर मच्छर के काटने के एक सप्ताह बाद दिखाई देते हैं। बुखार, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द, आंखों में दर्द, थकान जैसे फ्लू जैसे लक्षणों पर ध्यान दिया जाना चाहिए। अगर आपको इनमें से दो या अधिक लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए

डेंगू से बचाव के लिए सुझाव

डेंगू मच्छर के काटने से बचने के लिए, सुरक्षात्मक कपड़े पहनने चाहिए। मच्छरों के अधिक होने के समय खासकर सुबह और शाम बाहर जाने से बचें

मच्छरदानी का उपयोग करना चाहिए, रुके हुए पानी में मच्छर मारने वाली दवाओं का उपयोग करना चाहिए। अपने आस-पास रुके हुए पानी तथा गंदगी को दूर करना चाहिए तथा स्वच्छता बनाए रखना जरूरी है।

आज कल मॉनसून का मौसम है इसलिए बारिश के पानी की तेज और सुरक्षित निकासी सुनिश्चित की जानी चाहिए ताकि इसे मच्छरों के प्रजनन स्थल बनने से रोका जा सके। पानी के जमा होने वाली जगहों टैंकों, खुले जलाशयों और सार्वजनिक शौचालयों की नियमित सफाई सुनिश्चित की जानी चहिए।

गंभीर मामलों में, डेंगू जानलेवा हो सकता है। लोग मच्छरों के काटने से बचकर डेंगू के खतरे को कम कर सकते हैं, खासकर दिन के समय।

निदान और उपचार

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक डेंगू का इलाज दर्द निवारक दवा से किया जाता है क्योंकि वर्तमान में इसका कोई विशिष्ट उपचार नहीं है। मुख्य ध्यान दर्द के लक्षणों के उपचार पर है। डेंगू बुखार के अधिकांश मामलों का इलाज घर पर ही दर्द की दवा से किया जा सकता है।

दर्द को नियंत्रित करने के लिए अक्सर एसिटामिनोफेन (पेरासिटामोल) का उपयोग किया जाता है। इबुप्रोफेन और एस्पिरिन जैसी गैर-स्टेरायडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाओं से परहेज किया जाता है क्योंकि वे रक्तस्राव के खतरे को बढ़ा सकती हैं।

गंभीर डेंगू से पीड़ित लोगों को अक्सर अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है।

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