बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि देश में वास्तविक कोविड-19 संक्रमण, आधिकारिक आंकड़ों से 17 गुणा (13 से 22 गुना के बीच) ज्यादा हो सकता है। देश के कई अन्य संस्थानों के वैज्ञानिकों के साथ किए इस अध्ययन के नतीजे प्रतिष्ठित इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इंफेक्शियस डिजीज में प्रकाशित हुए हैं।
गौरतलब है कि इस अध्ययन के प्रकाशित होने से पहले देश में कोरोना संक्रमितों का कुल आधिकारिक आंकड़ा 4.5 करोड़ दर्ज किया गया था। लेकिन बीएचयू के वैज्ञानिकों का मानना है कि वास्तविकता में संक्रमितों का यह आंकड़ा 58.1 से 98.3 करोड़ के बीच हो सकता है। हालांकि वैज्ञानिकों ने यह भी माना है कि यह आंकड़े केवल 14 जिलों के अध्ययन के निष्कर्ष के आधार पर निकाले गए हैं, ऐसे में इसे भी ध्यान में रखना जरूरी है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बीएचयू से जुड़े वैज्ञानिकों के नेतृत्व में देश के छह राज्यों के 14 जिलों में कोविड संक्रमितों पर यह अध्ययन किया गया था। इस अध्ययन में देश भर के 34 संस्थानों के 88 वैज्ञानिक शामिल थे।
अपने इस अध्ययन में बीएचयू में जूलॉजी विभाग के अनुवांशिकी वैज्ञानिक प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे के नेतृत्व में टीम ने सितंबर से दिसंबर 2020 के बीच 14 जिलों के शहरी क्षेत्रों में 2,301 लोगों के बीच सीरो सर्वे किया था।
यह सर्वे देश में गुजरात के अहमदाबाद और बड़ोदा, उत्तरप्रदेश में वाराणसी, जौनपुर, गाज़ीपुर, मिर्जापुर, गोरखपुर, लखनऊ, झांसी, मध्य प्रदेश में सागर और सिंगरौली, छत्तीसगढ़ के रायपुर, पश्चिम बंगाल में कोलकाता और कर्नाटक के मंगलौर जिले में किए गए थे।
निष्कर्ष के मुताबिक जहां छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में एंटीबॉडी-पॉजिटिव लोगों का अनुपात सबसे कम करीब दो से पांच फीसदी के बीच, वहीं उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में सबसे ज्यादा करीब 47.7 (39.2 से 56.3) फीसदी पाया गया था।
26 से 35 आयु के युवाओं में सबसे ज्यादा थी बिना लक्षण वाले संक्रमितों की संख्या
प्रोफेसर चौबे के अनुसार इस अध्ययन का सबसे चौंकाने वाला पहलू यह था कि भारतीय आबादी के एक बड़े हिस्से में संक्रमण के बावजूद कोविड-19 के लक्षण नहीं पाए गए थे। वैज्ञानिकों के मुताबिक 26 से 35 आयु वर्ग के युवाओं में ऐसे बिना लक्षण वाले संक्रमितों की संख्या सबसे ज्यादा थी।
शोधकर्ताओं के अनुसार कोविड-19 की किसी भी लहर के बाद लोगों में एंटीबॉडी टेस्ट से संक्रमण की सही स्थिति का सटीक आकलन किया जा सकता है। ऐसे में शोधकर्ताओं ने इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों जिनमें ज्यादातर स्ट्रीट वेंडर्स थे उनके बीच शोध किया था, क्योंकि उनके कोरोना वायरस से संक्रमित होने का जोखिम सबसे ज्यादा था।
शोधकर्ताओं ने केवल उन्हीं लोगों से नमूने लिए थे, जिन्होंने इस बात की स्वयं जानकारी दी थी कि उनमें कभी भी कोविड-19 के कोई लक्षण नहीं पाए गए थे या जिनके आरटी पीसीआर टेस्ट पॉजिटिव नहीं थे।
ऐसे में रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना संक्रमितों के आधिकारिक आंकड़े और संभावित रूप से वास्तविक संक्रमण के बीच बड़ी संख्या में अंतर उन मामलों के कारण हो सकता है, जिनमें इसके कोई लक्षण नहीं पाए गए थे।
वहीं यदि कोविड-19 के मौजूदा आंकड़ों पर गौर करें तो देश में अब तक करीब 4.5 करोड़ मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 98.8 फीसदी से ज्यादा स्वास्थ्य हो चुके हैं। वहीं इस महामारी से मरने वालों का आंकड़ा अब तक 530,748 पर पहुंच गया है।
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