
कोरोना काल एक ऐसा भयावह दौर जब पूरी दुनिया सांसें थामे घरों में कैद थी, अस्पतालों में मौतें गिनी जा रही थी, और हर खबर डर पैदा करती थी। उस कठिन समय में मानवता के लिए सबसे बड़ी उम्मीद बनी कोविड वैक्सीन।
एक नए वैश्विक अध्ययन ने स्पष्ट किया है कि इस उम्मीद ने सिर्फ भरोसा ही नहीं, बल्कि 25.3 लाख जिंदगियां भी बचाईं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि 2020 से 2024 के बीच सार्स-कॉव-2 के खिलाफ दिए हर 5,400 टीकों ने दुनिया में एक जिंदगी बचाई है।
यह ऐतिहासिक अध्ययन स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और इटली के यूनिवर्सिटा कैथोलिका डेल सैक्रो कुओरे से जुड़े वैज्ञानिकों के नेतृत्व में किया गया है, जिसके नतीजे जामा हेल्थ फोरम में प्रकाशित हुए हैं।
बुजुर्गों को सबसे ज्यादा फायदा
अध्ययन से पता चला है कि टीकों से जिन जिंदगियों को बचाया गया, उनमें से 82 फीसदी वे लोग थे जिन्हें संक्रमित होने से पहले ही टीका लग चुका था, और 57 फीसदी मौतें ओमिक्रॉन के दौर में टलीं। कुल मिलाकर, जितनी जाने बची उनमें 90 फीसदी 60 वर्ष या उससे ज्यादा उम्र के लोगों की थीं।
इतना ही नहीं स्टडी में यह भी सामने आया है कि इस दौरान वैक्सीन की मदद से कुल 1.48 करोड़ जीवन वर्ष बचाए गए, यानी हर 900 डोज पर जीवन का एक साल बढ़ गया।
कैसे किया गया विश्लेषण
अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दुनिया भर की आबादी और कोविड-19 के संक्रमण से जुड़े आंकड़ों को खंगाला। यह देखा गया कि कौन लोग टीका लगने से पहले या बाद में बीमार हुए, किस समय ओमिक्रॉन फैला, किसकी मौत हुई और किस उम्र में लोगों की मौत हुई थी।
फिर इन आंकड़ों की तुलना उस अनुमान से की गई, जिसमें मान लिया गया कि अगर वैक्सीन नहीं होती तो क्या होता। इस तुलना के आधार पर उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि कितने लोगों की जान वैक्सीन से बची और कितने साल जिंदगी के बढ़े।
अध्ययन में पता चला कि जीवन के ज्यादातर वर्ष 60 साल से बड़े लोगों की वजह से बचे। यह आंकड़ा करीब 76 फीसदी था। लेकिन दीर्घकालिक देखभाल केंद्रों जैसे नर्सिंग होम आदि में रहने वालों का योगदान महज दो फीसदी था। वहीं बच्चों और किशोरों के मामले में जीवन रक्षा का प्रतिशत 0.01 फीसदी, जबकि 20 से 29 साल के युवाओं में यह आंकड़ा 0.07 फीसदी रहा।
अध्ययन के बारे में प्रोफेसर स्टेफानिया बोक्सिया ने प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी दी और कहा, “इससे पहले भी कई अध्ययन हुए हैं। लेकिन यह अब तक का सबसे व्यापक विश्लेषण है क्योंकि इसमें ओमिक्रॉन के दौर को भी शामिल किया गया, यह वैश्विक आंकड़ों पर आधारित है और जीवन के बचे सालों का भी विश्लेषण करता है।”
वे आगे कहती हैं, “हमारे आंकड़े पहले के आकलनों से ज्यादा सतर्क हैं, लेकिन यह बात साफ है कि टीकाकरण ने पूरी दुनिया में लाखों जिंदगियां और करोड़ों जीवन वर्ष बचाए हैं, और सबसे ज्यादा फायदा उन बुज़ुर्गों को मिला, जो सबसे ज्यादा खतरे में थे।”
देखा जाए तो कोविड-19 वैक्सीन सिर्फ एक इंजेक्शन नहीं, बल्कि करोड़ों जिंदगियों का रक्षक साबित हुआ, खासकर उन लोगों के लिए जो उम्र, बीमारी या परिस्थिति के चलते सबसे ज्यादा खतरे में थे।