कोविड-19 वैक्सीन: क्या बूस्टर डोज लेने से भारत में थम जाएगा नए वेरिएंट का असर

कोविन प्लेटफॉर्म में अब तक चौथी कोविड-19 वैक्सीन खुराक के लिए पंजीकरण की अनुमति नहीं दी जा रही है
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चीन, जापान और कुछ अन्य देशों में कोविड-19 की एक ताजा और घातक लहर के बाद भारत में भी मामले बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। यही वजह है कि केंद्र व राज्य सरकारें संशोधित सुरक्षा दिशानिर्देशों की घोषणा कर रही है।

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के एक अपडेट के अनुसार, भारत में 27 दिसंबर, 2022 को 190 नए मामले सामने आए, जिससे देश में सक्रिय मामलों की संख्या 3,468 हो गई।

मंत्रालय ने कहा कि रिकवरी दर काफी अधिक (98.8 प्रतिशत) और पॉजीटिविटी रेट कम (0.14 प्रतिशत) है। अधिकारियों ने कहा कि फिर भी केंद्र ने कोविड-19 टीकाकरण को गति देने का निर्णय लिया है।

समाचार एजेंसी एएनआई ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया कि भारत में पिछले 24 घंटों में कुल 90,529 वैक्सीन खुराक दी गई

इसके साथ ही 16 जनवरी, 2021 कोविड-19 टीकाकरण अभियान शुरू होने के बाद से लेकर अब तक देश में वैक्सीन की कुल खुराक 220 करोड़ के पार पहुंच गई है।

देश में वर्तमान में पांच वैक्सीन उपयोग में हैं: कोविशील्ड, कोवाक्सिन, कॉर्बेक्स, कोवोवैक्स और स्पुतनिक वी।

लेकिन अब नाक से दी जाने वाली नैजल वैक्सीन (iNCOVACC) को भी मंजूरी दी गई है। यह नैजल वैक्सीन भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड ने तैयार की है। कोविड के लिए दुनिया की पहला इंट्रानेजल वैक्सीन है।

कंपनी ने कहा कि इसे 18 साल से ऊपर के लोगों को देने के लिए जनवरी 2023 के चौथे सप्ताह में बाजार में उतारा जाएगा। इसके लिए ऑनलाइन वैक्सीन रजिस्ट्रेशन पोर्टल कोविन पर अभी से बुकिंग कराई जा सकती है।

देश के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इसे एक बेहतर विकल्प माना है। नाक से ली जाने वाली वैक्सीन के कई फायदे हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पूर्व प्रमुख डॉ. रणदीप गुलेरिया ने इंडिया टुडे से कहा, "उन्हें प्रशासित करना आसान है और वे म्यूकोसल प्रतिरक्षा देते हैं जो संक्रमण के शुरुआती हिस्से से बचाता है।"

यह वैक्सीन व्यक्ति के दोनों नथुनों में चार-चार बूंदें डाली जाएंगी। सरकार नैजल वैक्सीन को बूस्टर खुराक के रूप में लेने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। लेकिन जो लोग पहले से ही बूस्टर शॉट ले चुके हैं, वे नैजल वैक्सीन नहीं लगवा पाएंगे, क्योंकि कोविन प्लेटफॉर्म में अब तक केवल तीन खुराक की अनुमति दी गई है।

देश के कोविड-19 वैक्सीन टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ एनके अरोड़ा ने एनडीटीवी को यह जानकारी दी।

स्वास्थ्य मंत्रालय केवल पहली एहतियाती खुराक के रूप में iNCOVACC की सिफारिश कर रहा है, उन्होंने कहा: एक अवधारणा है जिसे 'एंटीजन सिंक' कहा जाता है। यदि किसी व्यक्ति को बार-बार किसी विशेष प्रकार के एंटीजन से प्रतिरक्षित किया जाता है, तो शरीर प्रतिक्रिया देना बंद कर देता है, या खराब प्रतिक्रिया करता है।

डॉ अरोड़ा ने कहा, "इसलिए, इस समय चौथी खुराक लेने का कोई महत्व नहीं है।"

लेकिन गुलेरिया और अरोड़ा दोनों ने बूस्टर शॉट्स की प्रभावकारिता के बारे में संदेह व्यक्त किया, हालांकि दोनों ने टीकाकृत आबादी को बूस्टर खुराक प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया।

डॉ. गुलेरिया ने कहा कि ऐसा देखा गया है कि बूस्टर डोज लॉन्ग कोविड के चांस को कम करता है. लेकिन यह पता लगाने के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले शोध की आवश्यकता है कि मौजूदा टीके कितने प्रभावी हैं, वर्तमान में हमारे देश में प्रतिरक्षा का स्तर क्या है और क्या नए वैरिएंट से बचाव के लिए नए टीके की आवश्यकता है।

हालांकि, उन्होंने आश्वासन दिया कि चीन में कहर बरपाने ​​वाला वैरिएंट BF.7 से भारतीय आबादी के लिए कोई तत्काल कोई बड़ा खतरा नहीं है।

डॉ गुलेरिया ने कहा कि यह वैरिएंट कुछ समय पहले ही भारत में पहुंच चुका था, लेकिन इससे पीड़ित लोग अभी तक अस्पताल में भर्ती नहीं हुए हैं।
उन्होंने कहा, "अगर यह एक वायरस में बदल जाता है जिसके खिलाफ हमारे पास कोई प्रतिरक्षा नहीं है, तो हमें समस्या हो सकती है। लेकिन ऐसा होना नामुमकिन सा लगता है।”

डॉ. अरोड़ा के अनुसार, पहली खुराक के बाद कई बूस्टर खुराक लेने से खास सुरक्षा मिल जाती है, इस पर अब तक व्यापक शोध नहीं हुआ है। उन देशों में भी जहां लोगों ने वैक्सीन की तीन, चार या पांच खुराकें ली हैं, जैसे उत्तरी अमेरिका और यूरोप में ये एमआरएनए टीके लेने के बाद भी लोग कोरोना वायरस के संक्रमण से पीड़ित पाए गए।

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