स्तन कैंसर के कोशिकाओं को जगा सकते हैं कोरोना वायरस या फ्लू

अध्ययन में कहा गया है कि कोविड महामारी के दौरान कैंसर से होने वाली मौतों की दर में वृद्धि ने इस विचार को और मजबूत कर दिया
अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि कैंसर से बचे लोगों में सामान्य सांस के संक्रामक संक्रमण के बाद मेटास्टेटिक के दोबारा उभरने का खतरा बढ़ सकता है।
अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि कैंसर से बचे लोगों में सामान्य सांस के संक्रामक संक्रमण के बाद मेटास्टेटिक के दोबारा उभरने का खतरा बढ़ सकता है। फोटो साभार: आईस्टॉक
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एक नए अध्ययन से पता चलता है कि कोरोना और इन्फ्लूएंजा फेफड़ों में निष्क्रिय स्तन कैंसर कोशिकाओं को जगा सकते हैं, जिससे तेजी से मेटास्टेसिस हो सकता है। शोधकर्ताओं ने इसे प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से होने वाले सूजन से जोड़ा है और कैंसर की बीमारी से पीड़ित लोगों को सांस के संक्रमण से बचने के लिए सावधानी बरतने की सलाह दी है।

कोविड-19 और इन्फ्लूएंजा सहित सामान्य सांस के संक्रमण, फेफड़ों तक फैली निष्क्रिय स्तन कैंसर की कोशिकाओं को जगा सकते हैं, जिससे नए मेटास्टेटिक ट्यूमर बन सकता है।

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अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि कैंसर से बचे लोगों में सामान्य सांस के संक्रामक संक्रमण के बाद मेटास्टेटिक के दोबारा उभरने का खतरा बढ़ सकता है।

नेचर पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन चूहों पर किए गए अध्ययनों और मानव रोगियों के मेटा-विश्लेषण पर आधारित हैं, जो उस शोध का समर्थन करते हैं, जिसमें सार्स-सीओवी-2 कोविड का कारण बनने वाले वायरस से संक्रमित कैंसर से बचे लोगों में मृत्यु और मेटास्टेटिक फेफड़ों की बीमारी में वृद्धि देखी गई।

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अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि कैंसर से बचे लोगों में सामान्य सांस के संक्रामक संक्रमण के बाद मेटास्टेटिक के दोबारा उभरने का खतरा बढ़ सकता है।

अमेरिका के अल्बर्ट आइंस्टीन कॉलेज ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ता के मुताबिक, कैंसर हो चुके लोगों को सांस संबंधी वायरसों के प्रति सावधानी बरतने से फायदा हो सकता है, जैसे कि उपलब्ध होने पर टीकाकरण और अपने डॉक्टर के साथ किसी भी समस्या को लेकर चर्चा करना आदि।

अध्ययन बताते हैं कि सूजन के कारण फैली हुई कैंसर कोशिकाओं (डीसीसी) को जगा सकती हैं, वे कोशिकाएं जो शुरुआती ट्यूमर से अलग होकर दूसरे अंगों में फैल जाती हैं और अक्सर लंबे समय तक निष्क्रिय रहती हैं।

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अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि कैंसर से बचे लोगों में सामान्य सांस के संक्रामक संक्रमण के बाद मेटास्टेटिक के दोबारा उभरने का खतरा बढ़ सकता है।

अध्ययन में कहा गया है कि कोविड महामारी के दौरान कैंसर से होने वाली मौतों की दर में वृद्धि ने इस विचार को और मजबूत कर दिया कि गंभीर सूजन निष्क्रिय डीसीसी को जगा सकती है।

टीम ने चूहों पर इस परिकल्पना को लेकर परीक्षण किया और उन्हें सार्स-सीओवी-2 या इन्फ्लूएंजा वायरस के संपर्क में लाया गया, दोनों ने फेफड़ों में निष्क्रिय डीसीसी को जगाया, जिससे संक्रमण के कुछ ही दिनों के भीतर मेटास्टेटिक कोशिकाओं का बड़े पैमाने पर विस्तार हुआ और दो हफ्तों के भीतर मेटास्टेटिक घाव दिखाई देने लगे।

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अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि कैंसर से बचे लोगों में सामान्य सांस के संक्रामक संक्रमण के बाद मेटास्टेटिक के दोबारा उभरने का खतरा बढ़ सकता है।

आणविक विश्लेषण से पता चला है कि निष्क्रिय डीसीसी का जागरण इंटरल्यूकिन-6 (आईएल-6) द्वारा संचालित होता है, जो एक प्रोटीन है जिसे प्रतिरक्षा कोशिकाएं संक्रमण या चोट के प्रति प्रतिक्रिया में स्रावित करती हैं। इससे पता चलता है कि आईएल-6 अवरोधकों या अन्य तय की गई प्रतिरक्षा चिकित्साओं का उपयोग मेटास्टेसिस के फिर से उभरने को रोक सकता है या कम कर सकता है।

इसके अलावा लोगों पर इसके प्रभावों को समझने के लिए, टीम ने दो बड़े डेटाबेसों का विश्लेषण किया गया और पाया कि कैंसर रोगियों में सांस के संक्रमण, जो ठीक हो रहे हैं, कैंसर मेटास्टेसिस से जुड़े हैं।

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अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि कैंसर से बचे लोगों में सामान्य सांस के संक्रामक संक्रमण के बाद मेटास्टेटिक के दोबारा उभरने का खतरा बढ़ सकता है।

कैंसर की ओर तेजी से विकसित होने, पशु मॉडलों में निष्क्रिय कैंसर कोशिकाओं के तेजी से फैलने को दर्शाती है। अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि कैंसर से बचे लोगों में सामान्य सांस के संक्रामक संक्रमण के बाद मेटास्टेटिक के दोबारा उभरने का खतरा बढ़ सकता है। यह ध्यान रखना अहम है कि अध्ययन कोविड-19 टीके उपलब्ध होने से पहले की अवधि पर आधारित है।

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