कुत्तों की 24 नस्लों पर प्रतिबंध लगाने वाले केंद्र के सर्कुलर को दिल्ली उच्च न्यायालय ने किया खारिज

याचिकाकर्ताओं के वकील का तर्क था कि यह सर्कुलर गैरकानूनी है, क्योंकि इस मामले से जुड़े लोगों से उनकी राय नहीं ली गई है
प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
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दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा 12 मार्च, 2024 को जारी एक सर्कुलर को खारिज कर दिया है। 16 अप्रैल, 2024 को जारी इस सर्कुलर के तहत केंद्र ने कुत्तों की 24 नस्लों के आयात, प्रजनन और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था।

उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि अधिकारियों को प्रस्तावित नियम पर दो सप्ताह के भीतर आपत्तियां आमंत्रित करते हुए राष्ट्रीय समाचार पत्र और सरकारी वेबसाइट पर विज्ञापन देना होगा। इसके बाद अधिसूचना को अंतिम रूप देने से पहले मंत्रालय द्वारा इन आपत्तियों की समीक्षा की जाएगी।

गौरतलब है कि इस सर्कुलर को चुनौती देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई। याचिकाकर्ताओं के वकील का तर्क है कि यह सर्कुलर गैरकानूनी है, क्योंकि इस मामले से जुड़े लोगों से उनकी राय नहीं ली गई है।

इस बारे में छह दिसंबर, 2023 को दिल्ली उच्च न्यायालय को आश्वासन दिया गया था कि इंसानी जीवन के लिए खतरा माने जाने वाले कुत्तों के आयात, प्रजनन और बिक्री पर रोक लगाने के किसी भी निर्णय से पहले सभी हितधारकों को अपने विचार व्यक्त करने का उचित अवसर दिया जाएगा।

भारत सरकार की ओर से पेश वकील ने भी स्वीकार किया है कि सर्कुलर जारी करने से पहले सरकारी निकायों के अलावा, किसी भी निजी संगठन से परामर्श नहीं किया गया था। उन्होंने सर्कुलर को रद्द करने पर कोई विरोध नहीं व्यक्त किया, बशर्ते कि अधिकारियों को सभी हितधारकों को अपनी आपत्तियां व्यक्त करने की अनुमति देने के बाद एक नया सर्कुलर या अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया जाए।

कृषि भूमि पर दूषित सीवेज के निपटान के मामले में पोखरण नगरपालिका बोर्ड ने नहीं भरा मुआवजा

पोखरण नगरपालिका बोर्ड कृषि भूमि पर छोड़े गए दूषित सीवेज और उससे प्रभावित पर्यावरण की बहाली पर आवश्यक रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफल रहा है। मामला राजस्थान में जैसलमेर जिले के पोखरण का है।

गौरतलब है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने इस मामले में पोखरण म्यूनिसिपल बोर्ड को 65,75,000 रुपए का पर्यावरण मुआवजा भरने का निर्देश दिया था। इस मुआवजे को दो महीनों के भीतर राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास जमा कराने के लिए कहा गया था। हालांकि राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा समय-समय पर जारी पत्रों के बावजूद इस मुआवजे को अब तक जमा नहीं किया गया है। यह पूरा मामला घरेलू सीवेज के कारण कृषि भूमि को हुए नुकसान से संबंधित है।

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