
विश्व स्तनपान सप्ताह सालाना एक से सात अगस्त तक मनाया जाता है। यह स्तनपान के कई फायदों को बढ़ावा देने के लिए समर्पित एक वैश्विक अभियान है। इस साल "स्तनपान को प्राथमिकता दें: स्थायी सहायता प्रणालियां बनाएं" की आकर्षक थीम के साथ, विश्व स्तनपान कार्रवाई गठबंधन, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और यूनिसेफ के सहयोग से, दुनिया से ऐसी स्थायी संरचनाएं बनाने का आह्वान करता है जो माताओं को सफलतापूर्वक स्तनपान कराने में सक्षम बनाएं।
स्तनपान केवल एक व्यक्तिगत पसंद नहीं है, यह एक सामूहिक जिम्मेवारी है जिसके सार्वजनिक स्वास्थ्य, आर्थिक समृद्धि और पर्यावरणीय स्थिरता पर दूरगामी प्रभाव पड़ते हैं। स्तनपान को प्राथमिकता दें का आह्वान शिशु आहार के सर्वोत्तम तरीके के रूप में इसकी मूलभूत भूमिका पर जोर देता है।
स्तन का दूध एक जीवंत, गतिशील पदार्थ है जो शिशु की बदलती जरूरतों के लिए पूरी तरह से अनुकूल है, यह न केवल संपूर्ण पोषण प्रदान करता है, बल्कि आवश्यक एंटीबॉडी भी प्रदान करता है जो शिशु की प्रतिरक्षा प्रणाली को कई बीमारियों से बचाता है।
शिशु अवस्था में सांस का संक्रमण, दस्त और अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस) के खतरों से लेकर बाद के जीवन में मोटापा और मधुमेह जैसी पुरानी बीमारियों के मामलों तक, बच्चे के लिए इसके स्वास्थ्य लाभ में कोई भी संशय नहीं हैं। माताओं के लिए स्तनपान समान रूप से अहम फायदे प्रदान करता है, जिसमें प्रसवोत्तर रक्तस्राव का खतरा कम होता है, कुछ कैंसर (स्तन और डिम्बग्रंथि) के आसार कम होते है और प्रसव के बाद तेजी से स्वास्थ्य लाभ शामिल हैं।
व्यक्तिगत स्वास्थ्य के अलावा, स्तनपान के आर्थिक लाभ भी बहुत हैं। यह परिवारों के लिए एक किफायती समाधान है, जो फॉर्मूला, बोतलें और अन्य स्तनपान सामग्री खरीदने से जुड़े वित्तीय बोझ को कम करता है।
स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों के लिए, स्तनपान की बढ़ी हुई दरें शिशुओं की बीमारियों और अस्पताल में भर्ती होने की संख्या में कमी के कारण स्वास्थ्य सेवा पर होने वाले खर्च में कमी लाती हैं। व्यापक स्तर पर अध्ययन बताते हैं कि ज्यादा से ज्यादा स्तनपान पद्धतियां स्वास्थ्य सेवा में होने वाले खर्च को कम करके और उत्पादकता बढ़ाकर किसी देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं।
स्तनपान बच्चों के स्वास्थ्य और जीवन रक्षा को सुनिश्चित करने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है, फिर भी वर्तमान में छह महीने से कम उम्र के आधे से भी कम शिशुओं को ही स्तनपान कराया जाता है।
बाल अधिकारों पर कन्वेंशन के अनुसार, प्रत्येक शिशु और बच्चे को अच्छे पोषण का अधिकार है। दुनिया भर में 2022 में, पांच वर्ष से कम आयु के 14.9 करोड़ बच्चे बौने (उम्र के हिसाब से बहुत छोटे), 4.5 करोड़ बच्चे कमजोर (ऊंचाई के हिसाब से बहुत पतले) और 3.7 करोड़ बच्चे अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त होने का अनुमान है। शून्य से छह महीने के लगभग 44 फीसदी शिशुओं को ही स्तनपान कराया जाता है।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, अगर शून्य से 23 महीने के सभी बच्चों को उचित स्तनपान कराया जाए, तो हर साल पांच साल से कम उम्र के 8,20,000 से अधिक बच्चों की जान बचाई जा सकती है। स्तनपान से बौद्धिक क्षमता बढ़ती है, स्कूल में उपस्थिति बढ़ती है और वयस्क जीवन में आय में वृद्धि होती है।
कुपोषण के कारण हर साल 27 लाख बच्चों की मृत्यु होती है, जो कुल बाल मृत्यु का 45 फीसदी है। शिशु और छोटे बच्चों का पोषण, बाल जीवन दर में सुधार और स्वस्थ वृद्धि एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण है।
साल 2018 में विश्व स्वास्थ्य सभा के एक प्रस्ताव ने विश्व स्तनपान सप्ताह को एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य संवर्धन रणनीति के रूप में मान्यता दी। हर साल एक अलग थीम के साथ, इसका उद्देश्य ऐसे अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देना है जो महिलाओं को स्तनपान कराने में मदद करे। जिसमें समुदाय और कार्यस्थल पर समर्थन, सरकारी नीतियों और कानूनों में पर्याप्त सुरक्षा शामिल है। साथ ही स्तनपान के फायदों और रणनीतियों के बारे में जानकारी साझा करना भी शामिल है।
यूनिसेफ ने कहा है कि स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करना न केवल स्वास्थ्य संबंधी, बल्कि नैतिक और आर्थिक रूप से भी जरूरी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ ऐसे देशों को मजबूत स्वास्थ्य प्रणालियां बनाने में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जहां कोई भी मां या बच्चा पीछे न छूटे।