विश्व स्तनपान सप्ताह: 50 फीसदी से भी कम शिशुओं को ही मिल पाता है छह माह तक स्तन का दूध

विश्व स्तनपान सप्ताह हर साल अगस्त के पहले सप्ताह में मनाया जाता है, जिसे डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ और कई स्वास्थ्य मंत्रालयों और सिविल सोसाइटी द्वारा समर्थन दिया जाता है
स्तनपान कराने वाली माताओं को स्तन कैंसर, डिम्बग्रंथि के कैंसर, स्ट्रोक, हृदय रोग, मधुमेह और प्रसवोत्तर अवसाद सहित कई बीमारियों के होने के खतरे कम होते हैं।
स्तनपान कराने वाली माताओं को स्तन कैंसर, डिम्बग्रंथि के कैंसर, स्ट्रोक, हृदय रोग, मधुमेह और प्रसवोत्तर अवसाद सहित कई बीमारियों के होने के खतरे कम होते हैं। फोटो साभार: आईस्टॉक
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विश्व स्तनपान सप्ताह स्वस्थ बच्चों, खुशहाल परिवारों और एक बेहतर दुनिया बनाने के लिए स्तनपान के समर्थन में लोगों को जागरूक करने और शिक्षित करने के लिए है। एक मां के द्वारा अपने बच्चे को स्तनपान कराना एक स्वाभाविक और स्वस्थ विकल्प है। आज के दौर में अधिक से अधिक महिलाएं अपने बच्चों और खुद के लिए भी स्वास्थ्य को होने वाले फायदों को अपना रही हैं।

विश्व स्तनपान सप्ताह हर साल अगस्त के पहले सप्ताह में मनाया जाता है, जिसको विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (यूनिसेफ) और कई स्वास्थ्य मंत्रालयों और सिविल सोसाइटी द्वारा समर्थन दिया जाता है। साल 2024 की थीम 'अंतर को कम करना: सभी के लिए स्तनपान का समर्थन करना' है।

यह अभियान स्तनपान कराने वाली माताओं को समर्पित है, यह इस बारे में है कि उनके स्तनपान के सफर के दौरान, किस तरह परिवार, समाज, समुदाय और स्वास्थ्य कार्यकर्ता प्रत्येक स्तनपान कराने वाली मां का साथ दे सकते हैं।

स्तनपान का इतिहास पूरे मानव इतिहास में देखा जा सकता है क्योंकि यह वह तरीका है जिससे माताएं हजारों सालों से अपने बच्चों को दूध पिलाती आ रही हैं। विश्व स्तनपान सप्ताह एक नया आयोजन नहीं है यह 30 साल से भी अधिक पुराना है। इस आयोजन की शुरुआत 1992 में हुई थी जब इसे वर्ल्ड अलायंस फॉर ब्रेस्टफीडिंग एक्शन (डब्ल्यूएबीए) द्वारा स्थापित किया गया था।

अपनी शुरुआत के बाद से, विश्व स्तनपान सप्ताह की लोकप्रियता और दायरा बढ़ता गया, जिसे दुनिया भर के 120 से ज्यादा देशों में मनाया जाता है।

विश्व स्तनपान सप्ताह का उद्देश्य जीवन के पहले छह महीनों के लिए केवल स्तनपान से होने वाले फायदों को प्रोत्साहित करना है। दुनिया भर में, 50 फीसदी से भी कम शिशुओं को छह माह की आयु तक केवल स्तन दूध दिया जाता है, यही कारण है कि विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है, ताकि महिलाओं और बच्चों को इससे मिलने वाले फायदों के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके।

स्तनपान के शिशुओं के लिए फायदे

स्तन का दूध एक ऐसा पदार्थ है जिसमें जीवित स्टेम कोशिकाएं होती हैं, जो बच्चे के मस्तिष्क, हृदय, हड्डियों और अन्य अंगों के विकास में मदद करती हैं।

पहला “दूध”, जिसे कोलोस्ट्रम कहा जाता है, में विशिष्ट प्रोटीन होते हैं जो बच्चे की आंतों के मार्ग को फायदा पहुंचाते हैं ताकि उसे शुरू से ही हानिकारक बैक्टीरिया और कीटाणुओं से बचाने में मदद मिल सके।

स्तन के दूध में मां के एंटीबॉडी और श्वेत रक्त कोशिकाएं होती हैं जो बच्चे को सभी प्रकार की कम समय में और लंबे समय में होने वाली बीमारियों से बचाती हैं।

दिन के बाद के समय में बच्चे द्वारा पिया जाने वाला स्तन के दूध में सेरोटोनिन नामक हार्मोन की अतिरिक्त मात्रा होती है, जो बच्चे को सोने में मदद करता है।

स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए फायदे

गर्भवती माताएं जो अपने शरीर के लिए स्तनपान के व्यक्तिगत फायदों के बारे में अधिक जानने में रुचि रखती हैं, उन्हें डॉक्टर से बात करनी चाहिए और इनमें से कुछ तथ्यों पर भी विचार करना चाहिए:

स्तनपान से प्रतिदिन 500 से 600 कैलोरी बर्न हो सकती है, जिससे हाल ही में बच्चे को जन्म देने वाली माताओं को गर्भावस्था के दौरान बढ़े हुए अतिरिक्त वजन को कम करने में मदद मिलती है।

जब कोई महिला स्तनपान कराती है, तो उसका मस्तिष्क ऑक्सीटोसिन और प्रोलैक्टिन जैसे शांत करने वाले रसायन छोड़ता है, जो उसे अपने बच्चे के साथ समय बिताते समय तनाव और चिंता को कम करने में मदद करते हैं।

स्तनपान कराने वाली माताओं को स्तन कैंसर, डिम्बग्रंथि के कैंसर, स्ट्रोक, हृदय रोग, मधुमेह और प्रसवोत्तर अवसाद सहित कई बीमारियों के होने के खतरे कम होते हैं।

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